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Result Scam : लालकेश्वर-उषा सिन्हा रिमांड पर, पूर्व कुलपति अरुण के यहां छापेमारी

पटना : इंटर रिजल्ट घोटाले के मुख्य आरोपित पूर्व बिहार बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह, उनकी पत्नी उषा सिन्हा व रिश्तेदार प्रभात जायसवाल को एसआइटी की टीम ने तीन दिनों के रिमांड पर लिया है. उनसे पूछताछ की जा रही है. तीनों को सोमवार को वाराणसी से गिरफ्तार किया गया था.इधर लालकेश्वर के समधी व […]

पटना : इंटर रिजल्ट घोटाले के मुख्य आरोपित पूर्व बिहार बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह, उनकी पत्नी उषा सिन्हा व रिश्तेदार प्रभात जायसवाल को एसआइटी की टीम ने तीन दिनों के रिमांड पर लिया है. उनसे पूछताछ की जा रही है. तीनों को सोमवार को वाराणसी से गिरफ्तार किया गया था.इधर लालकेश्वर के समधी व मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अरुण कुमार के आवास पर छापेमारी की गयी. वहां से अहम दस्तावेज मिले हैं.
बुधवार को लालकेश्वर, उषा सिन्हा व प्रभात जायसवाल को रिमांड पर लेने की एसआइटी अर्जी पर निगरानी की विशेष अदालत में सुनवाई हुई. इसके बाद अदालत ने एसआइटी को रिमांड पर लेने की अनुमति दे दी. रिमांड पर लेने के पूर्व एक बार फिर से लालकेश्वर व अन्य की मेडिकल जांच की गयी और फिर पुलिस को सौंप दिया गया. एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि तीनों से पूछताछ की जा रही है. उन्होंने बताया कि नेहरू नगर में छापेमारी के बाद कुछ दस्तावेज बरामद किये गये है.
जांच की जा रही है. उन्होंने बताया कि लालकेश्वर का निजी पीए व रिश्तेदार विकास चंद्रा फिलहाल फरार है और पुलिस उसे भी तलाश रही है. एसआइटी की टीम ने मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अरुण कुमार व उनके बेटे विवेक के पाटलिपुत्र के नेहरू नगर स्थित आवास पर छापेमारी की. अरुण कुमार पूर्व बिहार बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद के समधी हैं. पुलिस ने घर से कुछ दस्तावेज भी बरामद किये हैं. पुलिस विवेक को खोजने के लिए वहां पहुंची थी. एक तरह से विवेक भी इस इंटर रिजल्ट घोटाले का आरोपित बन चुका है और पुलिस की नजर में फरार है.
लालकेश्वर के पूर्व पीए व स्टोरकीपर समेत पांच हिरासत में, पूछताछ
पटना : लालकेश्वर से पूछताछ के दौरान एसआइटी ने बुधवार को पांच अन्य को हिरासत में लिया. उनसे भी पूछताछ हो रही है. इनमें लालकेश्वर के पीए रहे विनोद कुमार व बोर्ड के स्टोरकीपर विकास कुमार भी शामिल हैं. सूत्रों की मानें तो लालकेश्वर ने सारे आरोप अपने स्टाफ पर मढ़ दिया है. एसएसपी मनु महाराज ने कहा कि पूछताछ में कई जानकारी मिली है. कुछ और लोगों से भी पूछताछ होनी है.
वैशाली के चार काॅलेजों की मान्यता स्थगित, दर्ज होगी एफआइआर
पटना : बिहार बोर्ड ने वैशाली के चार काॅलेजों की मान्यता को स्थगितकर दिया है. साथ इन चारों कॉलेजों पर बोर्ड अध्यक्ष की ओर से एफआइआर दर्ज करायी जायेगी. इनमें कॉलेज संत कबीर मंहत राम दयाल दास कॉलेज, संजय सिंह प्लस टू स्कूल, वासुदेव सिंह इंटर कॉलेज और राम विदेशी सिंह कॉलेज शामिल हैं.
चारों कॉलेजों के प्राचार्यों ने बुधवार को बोर्ड के सामने अपना पक्ष रखा. लगभग दो घंटे (11 बजे से एक बजे तक) चली पूछताछ में चारों प्राचार्यों की संलिप्तता रिजल्ट घोटाले में पायी गयी है.
बोर्ड की ओर से चारों कॉलेज प्रशासन को वीडियो और ऑडियो दिखाया गया, जो इन कॉलेजों पर बनाया गया गया था. पूर्व बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह से बातचीत को देखने के बाद संजय सिंह प्लस टू स्कूल के प्राचार्य के प्रतिनिधि विनोद कुमार झा और राम विदेशी सिंह कॉलेज के प्राचार्य नर्मदेश्वर कुमार ने कहा कि वीडियो में चेहरा तो सही है, लेकिन आवाज किसी और की है.
बोर्ड अब इन दोनों की आवाज की फॉरेंसिक जांच करवायेगी. इसके अलावा संत कबीर महंत राम दयाल दास कॉलेज के रघुनाथ सिंह को कॉलेज में जिस पद के लिए नियुक्त किया गया था, वह पद ही कॉलेज में नहीं है. रघुनाथ सिंह को भूगोल का लैब इंचार्ज बना दिया गया था. कॉलेज के प्राचार्य जगदीश प्रसाद से जब शिक्षक के बारे में पूछा गया, तो वे जवाब नहीं दे पाये. वहीं, वासुदेव सिंह इंटर कॉलेज के प्राचार्य चंद्रभूषण के भी पक्ष में अनियमितता पायी गयी है.
– शंभु राय इंटर कॉलेज की अनियमितता भी आयी सामने
इन चार कॉलेजों के अलावा वैशाली के ही एक और कॉलेज शंभु राय इंटर कॉलेज की भी संलिप्तता अब सामने आ रही है. बोर्ड ने इस काॅलेज की भी जांच करने की सोची है. इसको लेकर शंभु राय इंटर कॉलेज के प्राचार्य को 29 जून को बोर्ड में अपना पक्ष रखने को कहा गया है. इसके बाद इस कॉलेज के संबंध में निर्णय लिया जायेगा.
– सेंटर मैनेज और मनचाहा रिजल्ट देने का था अारोप
इन कॉलेजों के इंटर परीक्षा में घपला करना, सेंटर मैनेज करना, मनचाहा रिजल्ट दिलवाने के अाराेप थे. जांच में इन आरोपों को प्रथमदृष्टया सही पाया गया है. इसके अलावा इन कॉलेजों पर कई सालों से रिजल्ट में गड़बड़ी करने का आराेप है.
– चार में दो कॉलेज को 2014 में ही मिली थी मान्यता
इन चारों कॉलेजों में दो वासुदेव सिंह इंटर कॉलेज और संजय सिंह प्लस टू स्कूल को बोर्ड से 2014 में ही मान्यता मिली थी. इन दोनों कॉलेज से 2016 में पहली बार इंटर की परीक्षा में परीक्षार्थी शामिल हुए थे. इसमें वासुदेव सिंह इंटर काॅलेज के 110 परीक्षार्थी में 16 को और संजय सिंह प्लस टू स्कूल के 206परीक्षार्थी में 33 को प्रथम श्रेणी मिली थी. राम विदेशी सिंह कॉलेज के 472 परीक्षार्थियों में से 114 और संत कबीर महंत राम दयाल दास कॉलेज के 372 में से 79 प्रथम श्रेणी में पास हुए हैं.
– अब पांच सदस्यीय जांच कमेटी
इन कॉलेजों की जांच के लिए गठित कमेटी के सदस्यों की संख्या बढ़ा कर पांच कर दी गयी है. कॉलेज के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के बाद पांच सदस्यीय कमेटी जांच करेगी. कमेटी कॉलेज परिसर में जाकर कॉलेजों की मान्यता की जांच करेगी. इसके अलावा रिजल्ट, परीक्षा, छात्रों की उपस्थिति, एकेडेमिक अभिलेखों आदि की जांच करेगी.
बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर ने कहा कि परीक्षा की पद्धति में छेड़छाड़ अापराधिक मामला है. ये चारों कॉलेज इंटर टॉपर घोटाले में संलिप्त हैं. इनकी मान्यता स्थगित कर दी गयी है. एफआइअार भी दर्ज की जायेगी.
सभी संबद्ध कॉलेजों की होगी जांच
पटना : राज्य के विश्वविद्यालयों ने जिन कॉलेजों को एफिलिएशन (संबद्धता) दिया है, सभी की जांच की जायेगी. फिलहाल विश्वविद्यालयों को अपने स्तर से ही यह जांच करने का निर्देश दिया गया है कि कॉलेजों को जब एफिलिएशन दिया गया था, उस समय और आज की तारीख में भी निर्धारित मानकों पर खरे उतरते हैं या नहीं.
अगर वे निर्धारित मानकों पर खरे नहीं उतरेंगे, तो उनका एफिलिएशन रद्द कर दिया जायेगा. बुधवार को उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. खालिद मिर्जा की अध्यक्षता में आयोजित सभी विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों (रजिस्ट्रार) की बैठक में ये निर्देश दिये गये. प्रो. खालिद मिर्जा ने निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय एफिलिएशन की प्रक्रिया में सावधानी बरतें. ठोक-बजा कर ही किसी कॉलेज के एफिलिएशन दें और इसमें सरकार के मापदंडों के पूरा पालन हो. वर्तमान में शिकायत मिलती है कि विश्वविद्यालयों से संबद्ध कई कॉलेज ऐसे हैं, जिसे राज्य सरकार राशि तो देती है, वह शिक्षकों के नाम पर निकल भी जाती है, लेकिन वह शिक्षकों को नहीं मिलती है.
इसमें भी पारदर्शिता लाने की सरकार तैयारी कर रही है. बैठक में उच्च शिक्षा निदेशक ने विश्वविद्यालयों से यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट नहीं आने पर नाराजगी जतायी. उन्होंने कहा कि सरकार नियम बनाने जा रही है कि अगर समय पर यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट नहीं आता है, तो जो इसके जिम्मेदार लोग हैं, उनका वेतन रोका जायेगा अौर उन्हें दंडित किया जायेगा. शिक्षकों व कर्मचारियों को समय पर वेतन दिया जायेगा. सरकार जब पैसा देती है, तो उसकी जिम्मेदारी है और हक भी बनता है कि वह जानकारी ले कि किस मद में वह राशि खर्च हुई है.
जांच कमेटी गठित
राज्य सरकार ने विश्वविद्यालयों की वित्तीय अनियमितता की जांच के लिए भी एक कमेटी गठित की है, जो सभी विश्वविद्यालयों के वित्तीय अनियमितता की जांच करेगी. कमेटी में विभाग के अपर सचिव के सेंथिल कुमार और उच्च शिक्षा निदेशक प्रो खालिद मिर्जा को रखा गया है. यह कमेटी एक महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी.
पीएचडी धारक प्रोफेसर को मिलेंगे तीन एरियर, विवि से मांगी गयी सूची
राज्य के विश्वविद्यालयों में 2006-2010 के बीच के पीएचडीधारक प्रोफेसरों को तीन एरियर मिलेंगे. इसके लिए सभी विश्वविद्यालयों से ऐसे प्रोफेसरों की सूची मांगी गयी है. उसके बाद राज्य सरकार ऐसे शिक्षकों के लिए राशि भेजेगी . इन्हें मिलने वाला तीन एरियर छठे वेतन आयोग से जुड़ा हुआ है.

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