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इंटर रिजल्ट घोटाला : लालकेश्वर-उषा समेत सात गये जेल, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत भी प्राथमिकी

पटना : इंटर रिजल्ट घोटाले के मुख्य आरोपित बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद, उनकी पत्नी पूर्व विधायक उषा सिन्हा समेत सात लोगों को मंगलवार को जेल भेज दिया गया. एसआइटी ने वाराणसी से गिरफ्तार लालकेश्वर, उषा सिन्हा और उनके रिश्तेदार शराब कारोबारी प्रभात जायसवाल को यहां निगरानी केविशेष जज राधवेंद्र कुमार सिंह के […]

पटना : इंटर रिजल्ट घोटाले के मुख्य आरोपित बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद, उनकी पत्नी पूर्व विधायक उषा सिन्हा समेत सात लोगों को मंगलवार को जेल भेज दिया गया. एसआइटी ने वाराणसी से गिरफ्तार लालकेश्वर, उषा सिन्हा और उनके रिश्तेदार शराब कारोबारी प्रभात जायसवाल को यहां निगरानी केविशेष जज राधवेंद्र कुमार सिंह के कोर्ट में पेश किया.

इन तीनों के अलावा रामवृक्ष बेनीपुरी महिला कॉलेज, इंद्रप्रस्थ मझौलिया की प्राचार्या डाॅ कुमारी शकुंतला, गांधी जानकी हाइस्कूल, भटौना भरवनपुर, मुजफ्फरपुर की शिक्षक रीता कुमारी, बिदुपुर, वैशाली की नीशु सिंह और विशुनपुर कॉलेज, वैशाली की मैनेजिंग कमेटी के सदस्य नंद किशोर यादव को भी इस कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने सभी अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में चार जुलाई तक जेल भेजने का निर्देश दिया. इसके बाद उन्हें बेऊर जेल भेज दिया गया. इधर कोतवाली थाने में इस मामले में दर्ज प्राथमिकी में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएं भी जोड़ दिया गया है.

भ्रष्टाचार निवारण एक्ट की धाराएं भी जुड़ीं

कांड के अनुसंधानकर्ता ने पटना के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ओमप्रकाश द्वितीय की अदालत में 20 जून को एक आवेदन देकर यह निवेदन किया था कि उक्त घोटाले में सरकारी कर्मचारी भी सम्मिलित हैं, इसलिए इनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराएं भी लागू की जाएं. अदालत ने इसमें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं को लागू करते हुए उक्त मामलों को निगरानी की विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दिया. इसके कारण सभी अभियुक्तों को निगरानी की विशेष अदालत में पेश किया गया.

मालूम काे कि यह मामला कोतवाली थाने में कांड संख्या 270/16 भादवि की धाराएं 420/465/462/468/471/120 बी/188/201 और बाद में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएं 8/9/13 (1) (इ) सहपठित धारा 13(2) के तहत मामला दर्ज किया गया.

अग्रिम जमानत याचिका वापस

वहीं, दूसरी ओर सोमवार को गिरफ्तारी से बचने के लिए लालकेश्वर प्रसाद सिन्हा व उनकी पत्नी उषा सिन्हा ने पटना जिला जज की अदालत में अग्रिम जमानत दाखिल कर निवेदन किया था, जिसकी सुनवाई मंगलवार को होनी थी. लेकिन, सुनवाई के पूर्व ही दोनों लोगों को पकड़े जाने के बाद उक्त आवेदन को वापस ले लिया गया था.

एक ही भवन में बच्चा के 15 स्कूल-कॉलेज, जब जिसका निरीक्षण, तब उसका बोर्ड

पटना : इंटर रिजल्ट घोटाले के मुख्य अभियुक्तों में एक बच्चा राय के 15 शिक्षण संस्थान वैशाली जिले में संचालित हैं. लेकिन, जिस गांव के नाम पर कॉलेज को मान्यता प्राप्त है, वहां ऐसे किसी संस्थान को कोई नहीं जानता है.

इन्हें विशुन राय मेमोरियल एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट और सियावती मेमोरियल ट्रस्ट के नियंत्रण में संचालित किया जाता है और ये दोनों ही ट्रस्ट बच्चा परिवार की निजी संपत्ति हैं. इन ट्रस्टों में उसके परिवार से बाहर का शायद ही कोई सदस्य हो. कीरतपुर राजाराम भगवानपुर स्थित वीआर कॉलेज अभी कई कारणों से चर्चा के केंद्र में है. यहां संचालित राजदेव राय डिग्री कॉलेज के भवन में सीबीएसइ से मान्यताप्राप्त आरडी पब्लिक स्कूल का संचालन हो रहा है. वहीं, एक ही भवन में इसके अंदर में वीआर कॉलेज, राजदेव राय डिग्री कॉलेज, वीआर टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, लालमुनी देवी आइटीआइ, आरडीआर पब्लिक स्कूल, आरडीआइ टी पॉलिटेक्निक हैं. लेकिन, कोई नहीं जानता कि ये संस्थान कहां चल रहे हैं और उनके शिक्षक और छात्र कहां हैं. जब जिस संस्थान का निरीक्षण होता है, उसके बोर्ड को टांग दिया जाता है और शेष को हटा दिया जाता है.

सरकार और शिक्षा विभाग की आंखों में धूल झोंक बगैर किसी आधारभूत संरचना के इन संस्थानों की मान्यता प्राप्त कर ली गयी. इन संस्थानों का संचालन व्यावसायिक संगठन के रूप में किया जाता है. यह देखने के लिए कॉलेज में इंटर की परीक्षा फॉर्म भरने के समय का दृश्य काफी है, जब बच्चों से पांच हजार से लेकर 75 हजार रुपये तक की मांग फीस के रूप में की जाती है और इनकार करने पर उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है.

दूसरे की जमीन के फर्जी कागजात पेश कर ली मान्यता

विशुन राय कॉलेज के संचालकों ने अवैध तरीके से जमीन की रजिस्ट्री करा कर कॉलेज की स्थापना की थी. इस कॉलेज से 12 किमी की दूरी पर स्थित हांसी केवल गांव में स्थित गोविंद सिंह की जमीन को कॉलेज की जमीन दरसा कर इस कॉलेज की मान्यता ली गयी थी. उस गांव के जमाबंदी रजिस्टर में क्रम संख्या 379 पर सर्वे खतियान के आधार पर गोविंद सिंह का नाम पर दर्ज है. इस जमीन को वर्ष 1990-91 में चकबंदी अधिनियम के अंतर्गत बैक डेटेड आदेश वाद संख्या-742/89-90 बनवा कर नया जमाबंदी संख्या-704 दर्ज करायी गयी है. इस जमाबंदी के आधार पर 19 जनवरी, 92 और 20 अक्तूबर, 92 को मालगुजारी रसीद कॉलेज के नाम से निर्गत करा ली गयी. यह जमीन अब भी सर्वे खतियान के रैयत के पुत्र अंगद सिंह के कब्जे में है. रैयत ने बताया कि यह जमीन मेरे कब्जे में है और इसे न तो मैंने और न ही मेरे पिता ने बेचा था, फिर किस आधार पर और कैसे कॉलेज के नाम पर रसीद कटती है, यह मैं नही जानता हूं. जबकि सरकार द्वारा तय मानक के अनुसार कॉलेज के लिए एक ही जगह सात एकड़ जमीन जरूरी है. इसका कॉलेज संचालकों ने उल्लंघन किया है और अधिकारियों की आंखों में धूल झोंक कर कॉलेज के पास जमीन दिखा कर फर्जी तरीके से मान्यता ले ली.

भूमि हड़पने के कई मामले हैं लंबित

जिस भूमि पर कॉलेज का निर्माण कराया गया है, उसके अधिकतर हिस्से पर जबरन कब्जा किया गया है. कई मामलों में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है, जबकि कई मामलों में पीड़ित परिवार उसकी पहुंच और पैरवी के डर से पुलिस के पास या कोर्ट जाने के बजाय चुप रह गये. कई बार तो स्थानीय पुलिस पीड़ित को डांट-फटकार कर काम चला लेती है. इसके अलावा कई मामले में व्यवहार न्यायालय में विचाराधीन हैं. बच्चा और उसके परिवार ने एनएच-77 के किनारे लोगों की लगभग 60 एकड़ भूमि पर कब्जा कर रखी है.

बच्चा राय के स्कूल-कॉलेज

1. विशुन राय महाविद्यालय, कीरतपुर राजाराम, भगवानपुर, वैशाली.

2. राजदेव राय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, भगवानपुर, वैशाली.

3. राजदेव राय लालमुनी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, चेहराकलां, वैशाली.

4. सियावती लालमुनी कुलदीप उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, कृष्णवाड़ा पातेपुर.

5. ठाकुरदेवी रामचंद्र राजदेव बौआजी उच्चतर विद्यालय, सठिऔता लालगंज

6. राजदेव राय डिग्री महाविद्यालय, कीरतपुर राजाराम भगवानपुर, वैशाली.

7. सियावती लालमुनी कुलदीप डिग्री महाविद्यालय, रसलपुर, पातेपुर, वैशाली.

8. ठाकुरदेवी रामचंद्र राजदेव बौआजी डिग्री महाविद्यालय, सठिऔता, लालगंज.

9. राजदेव राय लालमुनी डिग्री महाविद्यालय, चेहराकलां, वैशाली.

10. विशुन राजदेव टीचर्स ट्रनिंग कॉलेज, कीरतपुर राजाराम, भगवानपुर.

11. लालमुनी देवी इंड्रस्ट्रीयल ट्रेनिंग सेंटर, आइटीआइ, कीरतपुर भगवानपुर.

12. आरडी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कीरतपुर राजाराम, भगवानपुर.

13. विशुन राय शिवमोहन लॉ कॉलेज, बथना, चेहराकलां, वैशाली.

14. आरडी पब्लिक स्कूल, सीबीएसइ, कीरतपुर राजाराम, भगवानपुर

15. आरडीआर एलएम बिहार विश्वविद्यालय, कीरतपुर, भगवानपुर.

सबौर कृषि विवि में नियुक्ति और निर्माण की हाइकोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे जांच

राज्यपाल ने दिया आदेश

पटना : राजभवन ने भागलपुर के सबौर कृषि विश्वविद्यालय में भवन निर्माण और कनीय वैज्ञानिकों की नियुक्ति की जांच का आदेश दिया है. राज्यपाल सह कुलाधिपति रामनाथ कोविंद ने विवि के भवन निर्माण में अनियमितता की शिकायतों को प्रथमदृष्टया सही मानते हुए पटना हाइकोर्ट के रिटायर्ड जज सैयद महफूज आलम को इसकी जांच का जिम्मा सौंपा है. कुलाधिपति

ने जस्टिस आलम को दो माह में जांच रिपोर्ट देने को कहा है. इस संबंध में मंगलवार काे राजभवन से पत्र जारी किया गया. सबौर कृषि विवि में भवन निर्माण को लेकर परामर्शी नियुक्त करने और उसे पैसे का भुगतान करने में गड़बड़ी की जांच निगरानी विभाग भी कर रहा है.

गौरतलब है कि सबौर कृषि विवि में करोड़ों रुपये के भवन निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत मिली है. कृषि मंत्री ने पूरे मामले की निगरानी जांच का आदेश दिया है. निगरानी की टीम ने हाल ही में सबौर कृषि विवि जाकर वहां से संबंधित दस्तावेज जब्त किये हैं. यह गड़बड़ी 2010-11 के काल की है. उस समय डाॅ मेवालाल चौधरी वहां के कुलपति थे. वर्तमान में वह मुंगेर जिले के तारापुर के जदयू विधायक हैं. इससे पूर्व यहां से उनकी पत्नी नीता चौधरी विधायक थीं.

2013 के बाद बने सभी अंतरिम वीसी के फैसलों की भी जांच

पटना : राजभवन ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों में 2013 के बाद बने अंतरिम कुलपतियों के सभी फैसलों की भी जांच कराने का निर्णय लिया है. कुलाधिपति सह राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को यह आदेश जारी किया. जांच के लिए

राजभवन ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है. इसके अध्यक्ष पटना हाइकाेर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अखिलेश चंद्रा बनाये गये हैं, जबकि प्रो डाॅ प्रेमा झा और रिटायर्ड आइएएस अधिकारी मसूद हसन को सदस्य बनाया गया है.

कमेटी ललित नारायण मिथिला विवि काे छोड़ कर राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में अप्रैल, 2013 या उसके बाद अंतरिम व्यवस्था के तहत नियुक्त किये गये कुलपतियों द्वारा की गयी नियुक्ति, प्रोन्नति और अन्य मामलों की जांच करेगी. कमेटी को दो माह में रिपोर्ट देने को कहा गया है.

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