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फसल बीमा के लिए अब तक कंपनियों का चयन नहीं: मोदी

: पटना. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राज्य में फसल बीमा के लिए राज्य सरकार अब तक बीमा कंपनियों के चयन के लिए टेंडर भी नहीं निकाली है. न ही बैंकों की बैठक कर खरीफ फसल के लिए 31 जुलाई तक केसीसी धारक किसानों को ऋण देने का ही कोई निर्देश […]

: पटना. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राज्य में फसल बीमा के लिए राज्य सरकार अब तक बीमा कंपनियों के चयन के लिए टेंडर भी नहीं निकाली है. न ही बैंकों की बैठक कर खरीफ फसल के लिए 31 जुलाई तक केसीसी धारक किसानों को ऋण देने का ही कोई निर्देश दिया है.

उन्होंने कहा है कि बीमा का लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा जिन्हें निर्धारित 31 जुलाई तक ऋण प्राप्त होगा. ऐसे में राज्य सरकार की शिथिलता से प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के विफल होने का अंदेशा हो गया है. एक ओर जहां डेढ़ साल बाद भी किसानों को रबी 2014–15 के फसल बीमा का 700 करोड़ रुपये नहीं मिल पाया है वहीं खरीफ 2015 की उपज के अंतिम आंकड़े आज तक राज्य सरकार उपलब्ध नहीं करा सकी है. उन्होंने कहा है कि बीमा कंपनियों को दिए जाने वाले प्रीमियम का 50 प्रतिशत राज्य सरकार को देना है.

पिछड़ों के बजट में कटौती क्यों : डॉ. प्रेम
बिहार विधान सभा में विपक्ष के नेता डॉ. प्रेम कुमार ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने सात निश्चय को पूरा करने के लिए पिछड़ा–अति पिछड़ा कल्याण विभाग के बजट में करोड़ों रुपये की कटौती की है. यह साबित करता है कि राज्य सरकार पिछड़ों अति पिछड़ों के लिए कल्याणकारी नहीं है. भाजपा इसका विरोध करती है. डॉ. कुमार ने कहा कि साल 2016–17 के लिए सरकार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दिकी ने विधान सभा में 26 फरवरी को अपने बजट भाषण में कहा था कि पिछड़ा वर्ग और अतिपिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग को वर्ष 2016–17 में 1975.54 करोड़ रुपये आंवटित करने का प्रस्ताव किया गया था. इसमें 384 करोड़ 53 लाख रुपये की कटौती की गयी है. उन्होंने कहा है कि 384.53 करोड़ रुपये की कटौती इस वर्ग के लोगों के साथ अत्याचार है. डॉ. कुमार ने कहा कि सरकार ने पिछड़ा अति पिछड़ा वर्ग के साथ भेद भाव की नीति अपना रही है. वन विभाग की योजनाओं के लिए 150 करोड़ रुपये अतिरिक्त सरकार ने दी है. सरकार ने अन्य विभागों को अधिक राशि आंवटित की है.

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