पटना में लोक शिकायत निवारण अधिनियम के तहत शिकायतों को अनसुना करनेवाले लगभग 400 अधिकारियों को नोटिस जारी किया जा चुका है. ये सभी अधिकारी नोटिस के दिन सुनवाई में आयेंगे. सात दिनों में कुल 396 शिकायतें इस कानून के दायरे में चयन की गयी हैं. इस बाबत सभी संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर दिया गया है.
रविशंकर उपाध्याय
पटना : आम आदमी की शिकायतों को अनसुनी करने के कारण पटना के लगभग 400 अधिकारियों को हाजिरी लगानी होगी. उन्हें बताना होगा कि आम आदमी का काम क्यों नहीं हो सका? किसी को छात्रवृत्ति क्यों नहीं मिली, तो किसी का दाखिल खारिज क्यों नहीं हो सका?
संबंधित अधिकारी अब नोटिस की तारीख पर लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष प्रमाण के साथ उपस्थित होंगे और बतायेंगे कि किस आधार पर सेवा को प्रदान करने में देर हुई है? सुनवाई में दूसरी ओर शिकायत करनेवाला आम आदमी खड़ा होगा और पंच परमेश्वर की भूमिका शिकायत निवारण पदाधिकारी के जिम्मे होगी. यह संभव हुआ है पांच जून से लोक शिकायत निवारण कानून के लागू होने के कारण. शनिवार यानी सातवें दिन तक पटना में लगभग 400 अधिकारियों को नोटिस जारी किया जा चुका है. ये सभी अधिकारी नोटिस के दिन सुनवाई में आयेंगे. सात दिनों में कुल 396 शिकायतें इस कानून के दायरे में चयन की गयी हैं. इस बाबत सभी संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर दिया गया है.
पटना जिला मुख्यालय को सर्वाधिक 120 शिकायतें मिली हैं. इसमें जिला स्तर के अधिकारियों की कारगुजारी का जिक्र है. अनुमंडलों की बात करें, तो पटना सदर ऐसा अनुमंडल है, जहां शिकायतों की सूची काफी लंबी है. पटना सदर में 118 अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें दर्ज की गयी हैं. पटना सिटी का अनुमंडल कार्यालय इसमें दूसरे नंबर पर है.
वहां 56 आवेदन दिये गये, जिन पर नोटिस जारी किये गये हैं. इसके बाद मसौढ़ी का अनुमंडल ऑफिस है, जिसमें 37 आवेदन पहुंचे हैं. दानापुर, बाढ़ और पालीगंज में मिलनेवाले आवेदनों के आंकड़े लगभग समान थे. दानापुर में 22 आवेदन मिले, तो बाढ़ और पालीगंज में 21-21 आवेदन आये.
अंचलों और थानों से जुड़ीं शिकायतें अधिक : पटना जिले में जो आवेदन मिले हैं, उनसे पता चलता है कि आम आदमी को ज्यादा समस्या अंचल और थाना स्तर पर होती है. अंचलों और थानों से जुड़ी शिकायतें सबसे ज्यादा मिली हैं. कुल 400 शिकायतों में से 200 से अधिक इन्हीं दोनों से जुड़ी हुई हैं. इनमें जमीन की मापी, अतिक्रमण और जान माल की सुरक्षा की गुहार के ज्यादा मामले हैं. इसके बाद बारी नगर निगम के साथ जुड़ी समस्याओं की है. निगम या नगर निकाय में नाली, सड़क निर्माण और सफाई से जुड़ी शिकायतें अधिक आयी हैं.
पटना : शहर में 15 साल पुराने वाहनों पर रोक के बावजूद बढ़ रहे ऑटो की संख्या पर रोक लगाने के लिए आरटीए ने नया फॉर्मूला इजाद किया है. चूंकि लगभग दो साल पहले से ही नये ऑटो के परमिट पर रोक लगा दी गयी है. बावजूद इसके ऑटो चालक ग्रामीण क्षेत्र के परमिट पर शहर में वही ऑटो चला रहे हैं.
ऐसे में ट्रैफिक पुलिस और डीटीओ को यह पहचानना मुश्किल होता है कि कौन गाड़ी ग्रामीण क्षेत्र की है और कौन शहरी क्षेत्र की. अब इसी समस्या के निदान के लिए आरटीए का नया फाॅर्मूला शहर और गांव के ऑटो का परमिट देने के समय ही रंग
तय कर देने का लाया है. अब ग्रामीण ऑटो हरे रंग के होंगे और शहरी ऑटो लाल रंग के. प्रमंडलीय आयुक्त के सचिव उदय कुमार ने बताया कि परमिट तभी दिया जायेगा जब इस नियम का पालन उसी वक्त होगा.
ऑटो रिक्शा, मिनिडोर, विक्रम को परमिट के समय ही हरे रंग से रंग दिया जायेगा.
15 साल पुराने वाहनों पर रोक के लिए 15 से चलेगा अभियान
राजधानी में 15 साल से पुराने व्यवसायिक वाहनों को चलाने पर 15 जून से रोक लगा दिया गया है. गाड़ियों का परमिट रद्द किया जा रहा है. 15 से 21 जून के बाद ऐसी गाड़ियों को पूर्ण प्रतिबंधित करने का निर्देश पटना के ट्रैफिक एसपी, डीटीओ और एडीएम लॉ एंड आर्डर काे जारी किया गया है. शहर के कई हिस्सों में मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारी की टीम वाहनों की जांच करेगी.