पटना : बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग :बीएचआरसी: ने दो भाईयों को झूठे मामले में फंसा कर छह महीने जेल में बंद रखने को लेकर गृह विभाग को उन्हें 50-50 हजार रुपये मुआवजे के तौर पर दिये जाने का आज निर्देश दिया. बीएचआरसी ने सीतामढ़ी जिला निवासी इन दोनों भाईयों मो. शमशाद आलम और मो. इरशाद को मुआवजा की राशि दो महीने के भीतर भुगतान किये जाने का गृह विभाग को निर्देश दिया है.
इन दोनों भाईयो पर 6 से 13 साल के 17 बच्चों को बाल मजदूरी के लिये महाराष्ट्र ले जाने के आरोप में जेल भेजा गया था जिसे बाद में गलत पाया गया. बीएचआरसी के सदस्य नीलमणि ने बताया कि गलत आरोपपत्र के कारण इन दोनों भाईयों के गलत तरीके से छह महीने में जेल में बंद रखा गया. आयोग ने उन्हें मुआवजे के तौर पर 50-50 हजार रुपये दिये जाने का निर्देश दिया है.
उल्लेखनीय है कि 8 अगस्त 2014 को सीतामढ़ी जिला के रुन्नीसैदपुर थाना पुलिस द्वारा गिरफ्तार कियेगयेमो. शमशाद आलम और मो. इरशाद को पटना उच्च न्यायालय से 16 फरवरी 2015 को जमानत मिल गयी थी. शमशाद आलम ने मामले की सुनवाई के दौरान आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए बताया था कि वे पूना के लोनोवाला स्थित एक यतीम बच्चों के लिए संचालित मदरसे में शिक्षक हैं और वे इन बच्चों को उक्त मदरसे में नामांकन कराने के लिये ले जा रहे थे.
इस मामले में जांचकर्ता ने न तो बच्चों के परिजनों से इसकी पुष्टि की कि वे अपने बच्चों को शमशाद आलम के साथ पूना उक्त मदरसा भेज रहे हैं और न ही यह पता करने की कोशिश की कि शमशाद उक्त मदरसे में शिक्षक हैं.