Advertisement
हर बार नाकामी छुपाता है बोर्ड
निराशाजनक. टॉपर की उत्तर पुस्तिका सार्वजनिक करने की मांग नहीं मानी वर्ष 2014 और 2015 में बदली गयी टॉपरों की सूची पटना : आये दिन यह शिकायत की जाती है कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति टॉपरों की उत्तर पुस्तिका सार्वजनिक क्यों नहीं करती है. ऐसी शिकायत करनेवालों में वे छात्र शामिल हैं जो खुद पहले […]
निराशाजनक. टॉपर की उत्तर पुस्तिका सार्वजनिक करने की मांग नहीं मानी
वर्ष 2014 और 2015 में बदली गयी टॉपरों की सूची
पटना : आये दिन यह शिकायत की जाती है कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति टॉपरों की उत्तर पुस्तिका सार्वजनिक क्यों नहीं करती है. ऐसी शिकायत करनेवालों में वे छात्र शामिल हैं जो खुद पहले टॉपर रह चुके हैं या जिन्हें पहले तो टॉपर घोषित किया गया लेकिन बाद में उसके स्थान पर किसी और को टॉपर बना दिया गया.
ज्ञात हो कि 2014 और 2015 में इंटर साइंस का रिजल्ट निकलने के बाद टॉपर चेंज कर दिये गये थे. 2014 में डीएवी स्कूल, दानापुर का रवीश कुमार पहली बार टॉपर बना. एक सप्ताह के बाद रवीश की जगह अभिनव सुमन को बोर्ड ने टॉपर घोषित कर दिया. 2015 में भी यही हुआ. तब विद्यापति प्लस टू हाइ स्कूल मुबाजितपुर, समस्तीपुर के छात्र विकास कुमार को टॉपर घोषित किया गया. लेकिन, दस दिनों के बाद विकास की जगह वीआर कॉलेज, कीरतपुर, भगवानपुर, वैशाली के छात्र विशाल को टॉपर बना दिया गया.
इससे आहत विकास ने समिति के पास लिखित आवेदन देकर टॉपर्स की उत्तर पुस्तिका को सार्वजनिक करने की मांग की थी. इस पर समिति का कहना होता है कि दूसरे छात्र को अधिक अंक आने के कारण टॉपर बदले गये.
2014 में सूची में संशोधन के बाद टॉपर बने अभिनव सुमन ने बताया कि उसे फिजिक्स में कम अंक दे दिये गये थे. स्क्रूटनी के बाद उसके मार्क्स बढ़ गये. अभिनव सुमन ने बताया कि टॉपर की उत्तर पुस्तिका सार्वजनिक की जाये.
हर साल झटके खाने के बाद भी नहीं संभल रही बिहार विद्यालय परीक्षा समिति
समिति की कार्य प्रणाली पर उठ रहे सवाल
परीक्षा और रिजल्ट को लेकर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति किसी न किसी विवाद में फंसती है. समिति की कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठते हैं. इसके बावजूद कोई सुधार नहीं होता है.
समिति की ओर से हर बार दोषी स्कूल, कॉलेज, शिक्षक, केंद्राधीक्षक, कर्मचारी आदि पर कार्रवाई करने की बात कही जाती है, लेकिन बाद में कार्रवाई कागजों तक ही सिमट कर रह जाती है.
2015 में इंटर रिजल्ट को लेकर कई मामले सामने आये थे. परीक्षा केंद्र और मूल्यांकन में शामिल शिक्षकों की लापरवाही के मामले समिति के सामने उजागर हुए थे. समिति ने इसको लेकर जांच के बाद कार्रवाई की बात भी कही थी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया.
केस 1 : सुमन कुमारी (रोल नंबर 10005) 2014 में मैट्रिक की परीक्षा में शामिल हुई. अररिया की रहने वाले सुमन को सभी विषयों में प्रथम श्रेणी के अंक थे. लेकिन, उसे हिंदी में जीरो अंक आये. सुमन इंटर में नामांकन नहीं ले सकी. स्क्रूटनी के लिए अावेदन दिया, तो भी कोई बदलाव नहीं हुआ. फिर सूचना के अधिकार के तहत उत्तर पुस्तिका निकलवाया गया, तो पता चला कि सुमन के हिंदी के उत्तर पुस्तिका के अंदर लिखे हुए सारे पन्नों को निकाल कर खाली पन्ने लगा दिये गये थे. समिति ने जांच के बाद सुमन कुमारी को औसत अंक देकर हिंदी में पास किया.
केस 2 : प्रवीण कुमार (रोल नंबर 10001) 2012 में इंटर साइंस की परीक्षा में शामिल हुआ. जब रिजल्ट घोषित हुआ तो प्रवीण कुमार को रिजल्ट ही नहीं मिला. छह महीने बोर्ड का चक्कर लगाने के बाद प्रवीण को पता चला कि जिस रोल नंबर से वह इंटर साइंस की परीक्षा में शामिल हुआ, वो रोल नंबर समिति के रेकॉर्ड में ही नहीं है. इस रोल नंबर का एडमिट कार्ड प्रवीण के पास था. काफी भाग दौड़ करने के बाद प्रवीण कुमार का रोल नंबर निकला. इसके बाद प्रवीण को रिजल्ट मिल सका. इस वजह से प्रवीण समय पर कहीं नामांकन नहीं ले सका.
एक बार हमें टॉपर बनाया और फिर दस दिनों के बाद किसी और को. इससे हमें काफी निराशा हुई. समिति को टॉपर का चुनाव सोच-समझ कर करना चाहिए. अगर टॉपर चेंज हो जाता है तो नये टॉपर की उत्तर पुस्तिका को सार्वजनिक किया जाये. इससे विश्वास होगा कि बदलाव सही है.
रवीश कुमार, साइंस टॉपर 2014 (दस दिन बाद सूची बदल गयी)
समिति ने मुझे टॉपर चुना और बाद में मेरे स्थान पर किसी और को टॉपर बना दिया. इससे समाज में मेरी काफी हंसी उड़ायी गयी. मैंने समिति कार्यालय से सूचना के अधिकार के तहत चेंज टॉपर विशाल की उत्तर पुस्तिका को देने के लिए कहा. लेकिन, समिति कार्यालय ने मना कर दिया.
विकास कुमार, साइंस टॉपर 2015 (एक सप्ताह बाद चेंज कर दिया गया)
अब जारी होती है प्रोविजनल टॉपर लिस्ट
स्टेट टॉपर और टॉपर लिस्ट में बदलाव होने के कारण बिहार बोर्ड अब प्रोविजनल टॉपर लिस्ट जारी करता है. 2015 में पहली बार इंटर साइंस में प्रोविजनल टाॅपर लिस्ट जारी की गयी थी.
उसी तरह 2016 में भी इंटर साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स में प्रोविजनल टॉपर लिस्ट ही जारी की गयी है. समिति के अनुसार स्क्रूटनी में आये आवेदन से कई बार टॉपर चेंज हो जाते हैं. इस कारण प्रोविजनल टॉपर लिस्ट जारी की जाती है. इस बार स्क्रूटनी से पहले ही टॉपरों को लेकर विवाद छिड़ गया है. आर्ट्स और साइंस के जो टॉपर बने हैं, उनकी योग्यता पर सवाल खड़े हो गये हैं. इससे बोर्ड की पूरी कार्यप्रणाली और निगरानी व्यवस्था ध्वस्त होती नजर आ रही है. इन मामलों से राज्य की प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंची है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement