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अब बच्चों का होगा हर माह मूल्यांकन

सरकारी स्कूलों की शिक्षा. प्रगति के आधार पर होगी ग्रेडिंग, जुलाई से नयी व्यवस्था क्लास एक के बच्चों का जहां ओरल (मौखिक) टेस्ट होगा, वहीं क्लास दो से आठ तक के बच्चों की लिखित परीक्षा होगी. निर्भय पटना : शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में पढ़ाई दुरुस्त करने के लिए नयी शुरुआत करने जा रहा है. […]

सरकारी स्कूलों की शिक्षा. प्रगति के आधार पर होगी ग्रेडिंग, जुलाई से नयी व्यवस्था
क्लास एक के बच्चों का जहां ओरल (मौखिक) टेस्ट होगा, वहीं क्लास दो से आठ तक के बच्चों की लिखित परीक्षा होगी.
निर्भय
पटना : शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में पढ़ाई दुरुस्त करने के लिए नयी शुरुआत करने जा रहा है. क्लास एक से आठ तक से सरकारी स्कूलों के बच्चों का प्राइवेट स्कूलों के तर्ज पर हर महीने मूल्यांकन (एसेसमेंट टेस्ट) होगा. इसकी शुरुआत जुलाई महीने से होगी. इसके अलावा बच्चों का छमाही और वार्षिक मूल्यांकन भी होगा.
एसेसमेंट टेस्ट में बच्चों को ए, बी, सी ग्रेडिंग दी जायेगी. 70 से ज्यादा अंक लाने वाले को ए, 40-70 अंक वाले को बी और 40 से नीचे अंक लाने वाले को सी ग्रेड दिया जायेगा. मूल्यांकन के लिए बिहार शिक्षा परियोजना प्रश्नपत्र देगी, जिसके आधार पर बच्चों का मूल्यांकन होगा. शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता को सुधारने के लिए यह पहल की जा रही है.
एसेसमेंट से बच्चों को किसी क्लास में रोका नहीं जायेगा, बल्कि बच्चों की गुणवत्ता को बेहतर करना है. जो बच्चे जिस विषय में कमजोर होंगे उस पर विशेष ध्यान दिया जायेगा. बच्चों का मंथली, छह महीने पर और वार्षिक मूल्यांकन होगा. मंथली एसेसमेंट की शुरुआत जुलाई से शुरू हो सकेगी, जबकि सितंबर महीने में छमाही परीक्षा ली जायेगी.
वहीं, वार्षिक परीक्षा मार्च 2017 में होगी. क्लास एक के बच्चों का जहां ओरल (मौखिक) टेस्ट होगा, वहीं क्लास दो से आठ तक के बच्चों की लिखित परीक्षा होगी. बिहार शिक्षा परियोजना को प्रश्न तैयार करने को कहा गया है और वह लगभग तैयार है. प्रश्नपत्र के कई सेट बीइपी के वेबसाइट पर डाले जायेंगे औ जिला अपलोड कर उन्हीं से बच्चों का मूल्यांकन करेंगे.
शिक्षा मंत्री ने बताया कि सभी बच्चों का अलग से एक-एक रजिस्टर भी तैयार होगा, जो साल दर साल अगले क्लास में जायेगा. इसमें बच्चों के एसेस्मेंट टेस्ट की रिपोर्ट होगी. जिससे पता चलेगा कि बच्चों में क्या इंप्रूवमेंट आया है. बच्चे जिस विषय में कमजोर होंगे उस पर विशेष ध्यान दिया जायेगा. साथ ही अगली क्लास में पता चल सकेगा कि बच्चों किस विषय में कमजोर है. शिक्षकों की भी जांच हो जायेगी. कौन से शिक्षक बच्चों को ठीक से नहीं पढ़ा पा रहे हैं, उसकी भी जानकारीमिल जायेगी.
पांचवीं के 55% बच्चे नहीं कर पाते हैं रीडिंग
पांचवीं क्लास के बच्चे दूसरी क्लास के टेक्स्ट की रीडिंग भी नहीं कर पाते हैं.
फिलहाल 55.4 फीसदी बच्चे उस टेक्स्ट को पढ़ नहीं पाते हैं, जबकि 44.6 फीसदी बच्चे ही रीडिंग कर पाते हैं.साल 2006 में जहां राज्य के पांचवीं क्लास के बच्चे 64.3 फीसदी बच्चे आसानी से रीडिंग कर लेते थे, लेकिन 2011 से 50 फीसदी से कम बच्चे ही रीडिंग कर पा रहे हैं.यही हाल गणित का भी है. चौथी-पांचवीं के बच्चे सामान्य भाग नहीं दे पा रहे हैं.
चौथी-पांचवीं बच्चों से 919 को छह से और 869 को सात से भाग देने कहा गया था, अधिकांश बच्चे इसे ठीक ढंग से हल नहीं कर पाये.
प्रथम संस्था की अंतिम ‘असर’ की रिपोर्ट
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए काम शुरू
प्रारंभिक स्कूलों के बच्चों का स्तर सुधारने और उनमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लाने के लिए प्रथम ने 2016-17 के लिए काम शुरू कर दिया है. अक्तूबर-नवंबर तक स्टेज वाइज काम होगा और दीवापली से पहले बच्चों का मूल्यांकन किया जायेगा.
वहीं, हर जिले के एक-दो ब्लॉक का चयन कर वहां डेमोस्ट्रेसन भी किया जायेगा. इस संस्था की टीम कैंप लगाकर काम करती है और 30-40 दिनों में रह कर बच्चों की रीडिंग कैपिसिटी और मैथ को सॉल्व करने की क्षमता को मजबूत करती है. बच्चे टेक्स्ट को पढ़ सकें व उसे लिख सकें उसके बारे में बताया जाता है. गणित में भी एक से 100 की जानकारी उन्हें दी जाती है, ताकि सभी अंक की पहचान हो सके. इसमें वन टू वन चर्चा भी होगी.
दूसरी क्लास के स्टेंडर का टेक्स्ट :-
राजू नाम का एक लड़का था. उसकी एक बड़ी बहन व एक छोटा भाई था. उसका भाई गांव के पास के विद्यालय में पढ़ने जाता. वह खूब मेहनत करता था. उसकी बहन बहुत अच्छी खिलाड़ी थी. उसे लंबी दौड़ लगाना अच्छा लगता था. वे तीनों रोज साथ-साथ मौज-मस्ती करते थे.
बिहार में हिंदी, अंगरेजी, गणित अक्षर ज्ञान में बच्चों की स्थिति : असर रिपोर्ट 2014
बिहार में हिंदी, अंगरेजी व गणित के अक्षर ज्ञान में बिहार के बच्चों की स्थिति भी बेहतर नहीं है. असर की अंतिम रिपोर्ट के अनुसार प्रति सौ बच्चों में बिहार में क्लास एक आठ तक के 23.7 फीसदी बच्चे हिंदी के अक्षर नहीं पहचान पाये थे. गणित में 16.1 फीसदी बच्चे नौ तक का अंक नहीं पहचान पाये थे. वहीं, अंगरेजी के अक्षर की जानकारी 33.8 फीसदी बच्चों को नहीं थी.
क्लास हिंदी गणित अंगरेजी
एक 65.7 53.4 73.9
दो 39.2 25.2 54.6
तीन 26.2 13.4 41.7
चार 12.7 6.5 25.9
पांच 9.7 5.0 19.0
छह 5.4 2.7 13.4
सात 3.4 1.3 8.7
आठ 2.3 1.3 5.6
—— ——- ——– ——–
कुल : 23.7 16.1 33.8
बच्चों को मिलेगा आइकार्ड
सरकारी स्कूलों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर अब आइ कार्ड भी दिया जायेगा. बच्चों को अपने पहचान पत्र को अपने साथ रखना होगा, जिससे किसी भी बच्चे की पहचान की जा सके. शिक्षा विभाग इसके लिए तैयारी कर रहा है. गर्मी की छुट्टी के बाद स्कूलों में आइकार्ड देने की प्रक्रिया शुरू होगी. प्रारंभिक स्कूलों से लेकर प्लस टू स्कूलों के बच्चों को पहचान पत्र दिया जायेगा.

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