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अब जघन्य अपराध में समय पूर्व रिहाई नहीं
पटना : राज्य सरकार ने जघन्य अपराध में आजीवन सजा भुगत रहे कैदियों को अब समय पूर्व रिहाई के प्रावधान को खत्म कर दिया है. राज्य मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया. बैठक के बाद कैबिनेट सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बताया कि आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कैदियों को […]
पटना : राज्य सरकार ने जघन्य अपराध में आजीवन सजा भुगत रहे कैदियों को अब समय पूर्व रिहाई के प्रावधान को खत्म कर दिया है. राज्य मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया. बैठक के बाद कैबिनेट सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बताया कि आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कैदियों को रिहाई के लिए बंदी परिहार समिति को उसी पीठासीन पदाधिकारी या कोर्ट से सलाह लेना अनिवार्य कर दिया गया है, जहां से उसे सजा मिली थी. ऐसे मामले में कैदी को स्वयं बंदीपरिहार समिति के समक्ष आवेदन देना होगा. बंदी के आवदेन पर जेल आइजी को कैदी के बार में सुधार संबंधी तथ्य देना होगा. यह तथ्य उसी पीठासीन पदाधिाकरी के समक्ष देना होगा, जहां संबंधित बंदी को सजा मिली थी.
उन्होंने बताया कि यूनियन ऑफ इंडिया बनाम श्रीहरण उर्फ मुरुगन व अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर कारा हस्तक नियम में किये गये परिवर्तन के बारे में बताया कि अब जिस मामले में जांच केंद्रीय एजेंसी कर रही हो और वह मामला केंद्र सरकार से जुड़ा हो, तो ऐसे मामले में रिहाई के लिए केंद्रीय एजेंसी और केंद्र सरकार से सलाह के बाद ही रिहाई मिलेगी. नये प्रावधान में स्पष्ट किया गया है कि वैसे कैदी, जो दुष्कर्म, दुष्कर्म के साथ हत्या, डकैती के साथ हत्या, ऐसी हत्या, जिसमें नागरिक अधिकार संरक्षण के अधिक कोई अपराध शामिल हो.
दहेज के लिए हत्या, 14 साल से कम उम्र के किसी बच्चे की हत्या, कई हत्या, जेल में रहते हुए हत्या, पेरोल पर जाने के दौरान हत्या, आतंकी घटना में हत्या, तस्करी करने में हत्या या कार्य के दौरान सरकारी सेवक की हत्या जैसे जघन्य हत्या के लिए सजा काट रहे कैदियों को परिहार का लाभ नहीं मिलेगा. उन्होंने बताया कि यदि कार्ट द्वारा जसा में यह तय किया गया हो कि बंदी को परिहार का लाभ नहीं मिलेगा या उसके सजा को कम नहीं किया जायेगा, तो ऐसे बंदियों को परिहार का लाभ नहीं मिलेगा.
कैिबनेट के फैसले
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