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आइएमए व सरकार की लड़ाई में हमारे हक की ‘मौत’
तकरार. नर्सिंग होम एक्ट ठंडे बस्ते में, दो बार में प्रदेश के सिर्फ 250 अस्पतालों ने कराया रजिस्ट्रेशन आइएमए के विरोध के कारण नर्सिंग होम एक्ट का पालन नहीं हो पा रहा है. विभाग ने अस्पतालों को 15 मई तक रजिस्ट्रेशन कराने का समय दिया था, जो पूरा नहीं हुआ. आनंद तिवारी पटना : बिहार […]
तकरार. नर्सिंग होम एक्ट ठंडे बस्ते में, दो बार में प्रदेश के सिर्फ 250 अस्पतालों ने कराया रजिस्ट्रेशन
आइएमए के विरोध के कारण नर्सिंग होम एक्ट का पालन नहीं हो पा रहा है. विभाग ने अस्पतालों को 15 मई तक रजिस्ट्रेशन कराने का समय दिया था, जो पूरा नहीं हुआ.
आनंद तिवारी
पटना : बिहार में नर्सिंग होम एक्ट ठंडे बस्ते में चला गया है. आदेश के बाद भी अब तक सिर्फ 250 सरकारी व निजी अस्पतालों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. जबकि, बिहार में सात हजार से अधिक क्लिनिक व अस्पताल संचालित हो रहे हैं. यह स्थिति तब है, जब स्वास्थ्य विभाग ने सूबे के सभी सरकारी व निजी अस्पतालों को 15 मई तक रजिस्ट्रेशन कराने का समय दिया था. बड़ी बात तो यह है कि अब तक दो बार समय दिया जा चुका है.
नहीं बनी टीम, न हुई कार्रवाई
रजिस्ट्रेशन कराने के लिए अस्पतालों पर दबाव बनाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने टीम बनाने की बात कही थी. 20 सदस्यीय यह टीम सूबे के अलग-अलग जिलों में अस्पतालों पर छापेमारी करेगी और रजिस्ट्रेशन कराने के लिए दबाव बनायेगी. लेकिन, अब तक यह टीम नहीं बन पायी है और नहीं किसी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की गयी है.
अधर में स्टेट काउंसिल का गठन
सूबे में अब तक स्टेट काउंसिल और डिस्ट्रिक रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी का गठन भी नहीं हो पाया है. जबकि, इसका जिम्मा स्वास्थ्य विभाग को था. काउंसिल के गठन नहीं होने के चलते भी रजिस्ट्रेशन कराने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्वास्थ्य क्षेत्र के जानकारों की मानें तो स्टेट काउंसिल के लिए हर जिले से मेंबर चुने जाते हैं. ये मेंबर सरकार को रिपोर्ट देंगे कि किस अस्पताल ने अब तक रजिस्ट्रेशन नहीं कराया और एक्ट के विपक्ष अस्पताल संचालित हो रहा है. बड़ी बात तो यह है कि स्टेट काउंसिल के गठन को लेकर हाइकोर्ट ने भी नाराजगी जतायी थी.
कहां कितने हुए रजिस्ट्रेशन
बिहार में 250 अस्पतालों ने क्लिनिकल स्टेब्लिशमेंट के अनुसार कराया है रजिस्ट्रेशन
205 प्राइवेट और 45 सरकारी अस्पतालों ने रजिस्ट्रेशन कराया है.
पटना जिले में अब तक सरकारी व प्राइवेट मिला कर 165 अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन हुए हैं.
इन राज्यों में लागू है एक्ट : हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम व मेघालय में यह एक्ट बिना संशोधन लागू है. वहीं महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और मध्य प्रदेश ने अपना एक्ट बनाया है. वहीं, कुछ ऐसे भी राज्य हैं, जो इस एक्ट पर काम कर रहे हैं.
इन बिंदुओं पर आइएमए को है एतराज
एक ही मकान में आवास और क्लिनिक नहीं चल सकता
जांच कमेटी में प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम रहेगी
एकल क्लिनिक वालों को भी देनी होगी नर्सिंग होम की तरह सुविधा
इमरजेंसी में आनेवाले हर मरीज का करना होगा इलाज
अस्पताल में ट्रेंड नर्स, स्टाफ और पारा मेडिकल स्टाफ की करनी होगी बहाली
मरीजों को होंगे ये फायदे
इमरजेंसी में डॉक्टर अपने क्लिनिक या नर्सिंग होम में उपलब्ध रहेंगे
इलाज के साथ मरीज को बड़े अस्पताल में भेजने की जिम्मेवारी डॉक्टर पर होगी
आउटडोर और इनडोर के मरीजों की संख्या पूरी तरह अपडेट रखनी होगी
इलाज में दी गयी दवा की पूरी रिपोर्ट अस्पताल और मरीज दोनों को रखनी होगी
अस्पताल में मरीज के लिए एंबुलेंस और 24 घंटे डाॅक्टर की व्यवस्था रखनी होगी
नर्स व पारा मेडिकल कर्मी पूरी तरह से ट्रेंड होंगे और वही मरीज को दवा देंगे
लापरवाही होने पर डाॅक्टर या अस्पताल प्रशासन के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं
मरीज को खून की जरूरत पड़ने पर अस्पताल प्रशासन लाइसेंसी ब्लड बैंक से खून उपलब्ध करायेगा
क्या कहते हैं अधिकारी
स्वास्थ्य विभाग का आदेश मिलते ही हम कार्रवाई शुरू कर देंगे. रजिस्ट्रेशन कराने को लेकर भी दबाव बनाया जायेगा. हाल में बाइपास इलाके के कई अस्पतालों में छापेमारी की गयी. अस्पतालों पर कार्रवाई भी की गयी है.
डॉ जीएस सिंह, सिविल सर्जन
क्या कहता है आइएमए
एक्ट में संशोधन की बात स्वास्थ्य विभाग से चल रही है. लेकिन, सरकार की बातों का भी हमें ध्यान है. यही वजह है कि बहुत सारे अस्पतालों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. सरकार के फैसले के अनुसार ही आइएमए काम करेगा.
डॉ सुनील सिंह, उपाध्यक्ष, आइएमए
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