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कॉफी विद् डॉक्टर. अब युवा और नवजात भी गठिया रोग की चपेट में, लोगों ने पूछे सवाल

पटना : जोड़ों की बीमारी व गठिया के मरीज पटना सहित पूरे बिहार में तेजी से बढ़ रहे हैं. यह बीमारी बुजुर्गों के साथ ही युवाओं और बच्चों को भी तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रही है. हमारे यहां खास कर आॅस्टियो आॅर्थराइटिस, रूमेटाइड अार्थराइटिस, गाउट व टीबी आॅर्थराइटिस के मरीज इलाज के लिए […]

पटना : जोड़ों की बीमारी व गठिया के मरीज पटना सहित पूरे बिहार में तेजी से बढ़ रहे हैं. यह बीमारी बुजुर्गों के साथ ही युवाओं और बच्चों को भी तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रही है. हमारे यहां खास कर आॅस्टियो आॅर्थराइटिस, रूमेटाइड अार्थराइटिस, गाउट व टीबी आॅर्थराइटिस के मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.
यह कहना है पारस एचएमआरआइ अस्पताल के हड्डी रोग और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के डॉ निशिकांत कुमार का. शनिवार को प्रभात खबर और पारस एचएमआरआइ की ओर से आयोजित काॅफी विद् डॉक्टर की शृंखला में हड्डी और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट रोग पर चर्चा हुई. यह चर्चा टेलीफोन के माध्यम से की गयी. इसमें पटना के अलावा पूरे बिहार से सैकड़ों लोगों ने अपनी परेशानी बतायी और डॉक्टर ने इससे बचने के उपाय बताये.
50 प्लस के 20 प्रतिशत लोग चपेट में : डॉ निशिकांत कुमार ने बताया कि गठिया से पीड़ित मरीजों में एक से दो फीसदी रूमेटाइड आॅर्थराइटिस, करीब दो फीसदी गाउट, जबकि 15 से 20 फीसदी मरीज ऑस्टियो आॅर्थराइटिस के होते हैं. ऐसे मरीजों की तादाद बढ़ रही है. डॉक्टर की मानें, तो 50 साल के ऊपर के 15 से 20 फीसदी लोग इससे पीड़ित हैं. जिनमें यह बीमारी शुरुआती अवस्था में है. लेकिन अधिकतर लोग इसेबढ़ती उम्र की बीमारी समझ कर इलाज नहीं कराते हैं.
नाॅर्मल दर्द की दवा का असर कुछ ही देर : बैक पेन और ज्वाइंट पेन के बारे में डॉक्टर ने बताया कि दर्द होने पर लोग नाॅर्मल पेन किलर की दवा खाकर काम चला लेते हैं. ऐसे में दवा का असर कुछ देर के लिए रहता है, लेकिन जैसे ही इसका असर खत्म होता है, दर्द
फिर से शुरू हो जाता है. नतीजा बाद में एक बड़ा रोग जन्म ले लेता है. उन्होंने बताया कि हड्डी रोग के इलाज में केवल दवाओं की कोई भूमिका नहीं है.
किसी भी मरीज के हड्डी टूटने, घुटने में खराबी आने और पीठ की नस दबने पर दवा के बदले जांच कराना महत्वपूर्ण होता है, ताकि बीमारी का सही पता चल पाये.
ये हैं हड्डी रोग से जुड़े कॉमन प्रॉब्लम
अधिक मात्रा में कमर का दर्द होना, जोड़ों का दर्द और सरवाइकल स्पांडिलाइसिस हड्डियों के रोगों से संबंधित कॉमन प्राॅब्लम है. इसके अलावा हड्डी रोगों में कुछ तो जन्मजात होते हैं, कुछ उम्र के साथ पैदा होते हैं और कुछ अनियमित जीवन यापन के कारण होते हैं.

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