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दोबारा होगी बिहार मेडिकल परीक्षा

इस साल राज्यों को मेडिकल परीक्षा लेने की िमलेगी छूट पटना : नीट पर केंद्र सरकार के ताजा फैसले के बाद बिहार के मेडिकल और डेंटल के अभ्यर्थियों को राज्य के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में नामांकन लेने का मौका इस बार मिल सकेगा. बीसीइसीइ सूत्रों की मानें, तो जो अभ्यर्थी 15 मई को हुई […]

इस साल राज्यों को मेडिकल परीक्षा लेने की िमलेगी छूट
पटना : नीट पर केंद्र सरकार के ताजा फैसले के बाद बिहार के मेडिकल और डेंटल के अभ्यर्थियों को राज्य के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में नामांकन लेने का मौका इस बार मिल सकेगा. बीसीइसीइ सूत्रों की मानें, तो जो अभ्यर्थी 15 मई को हुई बिहार मेडिकल और इंजीनियरिंग की दूसरे चरण की परीक्षा में शामिल नहीं हो पाये हैं, उनके लिए दुबारा परीक्षा आयोजित की जायेगी.
दोबारा होनेवाली परीक्षा में उन अभ्यर्थियों को भी शामिल होने का मौका मिल सकता है, जो 15 मई की द्वितीय चरण की परीक्षा में शामिल हो चुके हैं. इसका फैसला जल्द ही बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद (बीसीइसीइ) द्वारा लिया जायेगा.
मेडिकल और डेंटल के लिए ही दुबारा परीक्षा : बीसीइसीइ के अनुसार दुबारा प्रवेश परीक्षा केवल मेडिकल और डेंटल पाठ्क्रमों में नामांकन के लिए ली जायेगी. अभी अधिकारिक तौर पर इससे संबंधित कोई घोषणा नहीं की गयी है. इस पर फैसला सोमवार या मंगलवार को लिया जायेगा. मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार में बीसीइसीइ ने घोषणा की थी कि अब राज्य में होनेवाली प्रवेश परीक्षा से राज्य के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में नामांकन नहीं होगा. इसके कारण 15 मई को होनेवाली दूसरे चरण की प्रवेश परीक्षा में 25 फीसदी छात्र शामिल नहीं हुए थे.
बीसीइसीइ के ओएसडी अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि जल्द ही इस पर निर्णय लिया जायेगा. चुकी 15 मई को बिहार मेडिकल और इंजीनियरिंग का मेंस लिया जा चुका है. लेकिन इस परीक्षा में बड़ी संख्या में छात्र अनुपस्थिति रहे थे. दुबारा मेंस लेने की संभावना हो सकती है.
नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने देश भर के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस व बीडीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनइइटी) के दायरे से राज्य बोर्डों को एक अकादमिक वर्ष के लिए दूर रखने का रास्ता साफ कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दरकिनार करने के लिए एक अध्यादेश को शुक्रवार को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी.
अध्यादेश पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद एनइइटी (नीट) कराने के सुप्रीम कोर्ट के नौ मई के फैसले पर रोक लग जायेगी और एनइइटी एक साल के लिए टल जायेगा. सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट की ओर से मंजूर किये गये अध्यादेश का मकसद सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को आंशिक तौर पर पलटना था, जिसमें कहा गया था कि सभी सरकारी कॉलेजों, डीम्ड विश्वविद्यालयों और निजी मेडिकल कॉलेजों को एनइइटी के दायरे में लाया जायेगा.
उन्होंने बताया कि कैबिनेट की बैठक का यही एकमात्र एजेंडा था. यह रियायत सिर्फ राज्य सरकार की सीटों के लिए होने की बात स्पष्ट करते हुए सूत्रों ने कहा कि निजी मेडिकल कॉलेजों में निर्धारित राज्य सरकार की सीटों को भी इस साल एनइइटी से छूट दी गयी है. विभिन्न राज्य सरकारें राज्य कोटा के लिए विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में 12-15 सीटों निर्धारित करती हैं, ताकि किसी एक राज्य के छात्र दूसरे राज्य में सीट हासिल कर सकें. ऐसे कॉलेजों में शेष सीटें डोमिसाइल छात्रों के लिए आरक्षित होती हैं. अब इस अध्यादेश से डोमिसाइल छात्रों के लिए निर्धारित शेष सीटें एनइइटी के दायरे में आयेंगी.
इस फैसले के मायने : परीक्षा का अगला चरण 24 जुलाई को होना है. ‘नीट’ की पहले चरण की परीक्षा एक मई को हुई थी, जिसमें करीब 6.5 लाख छात्र बैठे थे. अध्यादेश जारी होने के बाद राज्य बोर्डों के छात्रों को 24 जुलाई को नीट के लिए नहीं बैठना होगा, लेकिन उन्हें आगामी अकादमिक सत्र से साझा प्रवेश परीक्षा का हिस्सा बनना होगा. यह परीक्षा निजी चिकित्सा कॉलेजों और केंद्र सरकार के लिए आवेदन कर रहे अभ्यर्थियों के लिए होगी.
अध्यादेश के खिलाफ जायेंगे कोर्ट : एक तरफ केंद्र ने अध्यादेश को मंजूरी दी है, तो दूसरी तरफ नीट के पक्ष में याचिका दायर करने वाले वकील अमित कुमार ने इसके खिलाफ 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है. उधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार को पत्र लिख कर अध्यादेश जारी करने का विरोध किया है.
नौ मई को सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश : कई राज्य नीट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ हैं. सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि 2016-17 से एमबीबीएस, बीडीएस के लिए नीट का आयोजन किया जाये. राज्य सरकारों ने अलग प्रवेश परीक्षा की मांग के लिए अपील की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. हालांकि कोर्ट ने शंकाओं को समाप्त करते हुए कहा था कि जो छात्र नीट- एक में बैठ चुके हैं, वह नीट -2 में भी बैठ सकते हैं.
राज्यों की क्या थी मांग : केंद्र सरकार द्वारा बुलायी गयी स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक में राज्यों ने छात्रों की भाषा व पाठ्यक्रम संबंधी कई समस्याएं उठायी थीं. राज्यों का कहना था कि राज्य बोर्डों से संबद्ध छात्रों के लिए इतनी जल्दी (जुलाई में) साझा परीक्षा देना मुश्किल होगा.

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