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गंगा एक्सप्रेस वे: विवादों ने लगाया रफ्तार पर ब्रेक

पटना : नौ दिन चले ढाई कोस. बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य की रफ्तार कुछ यही है. वर्ष 2013 में शुरू हुई इस परियोजना में अब तक केवल 10 प्रतिशत काम पूरा हुआ है. जब परियोजना को पूरा करने की समय सीमा बढ़ा कर 2017 कर दी गयी, तो काम […]

पटना : नौ दिन चले ढाई कोस. बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य की रफ्तार कुछ यही है. वर्ष 2013 में शुरू हुई इस परियोजना में अब तक केवल 10 प्रतिशत काम पूरा हुआ है. जब परियोजना को पूरा करने की समय सीमा बढ़ा कर 2017 कर दी गयी, तो काम और सुस्त पड़ गया. इस परियोजना की शुरुआत से लेकर अब तक काम काफी धीमे-धीमे चल रहा है. कभी गंगा चैनल के कारण काम रोका गया तो कभी रंगदारी मांगने की वजह से.

बाद में बालू संकट के कारण काम रुका. अब ताजा मामला जमीन विवाद से जुड़ा हुआ है. गंगा पुल से दीदारगंज तक जिस हिस्से में काम होना है, उसमें कई लोगों ने जमीन को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज करायी है. कोर्ट के निर्देश के बाद उस हिस्से में काम रोक दिया गया है. अब सारण और वैशाली जिला प्रशासन के पास यह मामला पेंडिंग पड़ा हुआ है. इसके पहले गुरु गोविंद सिंह जी के 350वें वार्षिकोत्सव को लेकर नौजर घाट से लेकर कंगनघाट तक काम रोकने का निर्देश सरकार ने पहले ही जारी कर दिया था. यानी पश्चिमी और पूर्वी हिस्से में काम पूरी तरह बंद है.

662 पिलरों में से 220 ही हुए हैं पूरे : जो रफ्तार है उससे साफ है कि यह समय सीमा 2019 तक जायेगी. अभी थोड़ा बहुत काम बीच के 13.5 किलोमीटर के हिस्से में हो रहा है, जहां एलिवेटेड सड़क बनायी जानी है. इस कारण गंगा एक्सप्रेस वे का सपना हाल-फिलहाल पूरा होता नहीं दिख रहा है. अब तक इस परियोजना में 662 पिलरों में से केवल 220 पूरे हुए हैं. यदि युग्म पिलर की बात करें तो 159 में से महज 46 बने हैं. परियोजना के पदाधिकारियों का कहना है कि काम शुरू होने के साथ ही इससे विवाद लगातार जुड़ते रहे. इस कारण विवादों से मुक्त जमीन जुलाई 2015 में दी गयी. अब नये साल में फिर से विवाद शुरू हुए तो परेशानी बढ़ गयी.
बजट के साथ बढ़ती गयी तारीख : इस पूरी परियोजना में शुरू से लेकर अब तक जैसे-जैसे सरकार बजट बढ़ाती गयी वैसे-वैसे परियोजना को पूरी करने की तारीख भी लगातार बढ़ती गयी. पहले फेज में दीघा से दीदारगंज को जोड़नेवाली करीब 21.5 किलोमीटर लंबी इस सड़क को लेकर बजट में 1777 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. बाद में इसे बढ़ा कर 3160 करोड़ रुपये कर दिया गया. इस परियोजना को फेज-2 में बख्तियारपुर तक ले जाने की योजना बनायी गयी, जहां इसे बख्तियारपुर से ताजपुर के बीच गंगा पर बन रहे पुल से जोड़ा जाना है. इसके पहले कच्ची दरगाह में गंगा पथ पर प्रस्तावित छह लेन वाले पुल को भी इस सड़क से जोड़ने की योजना बनायी गयी है. फेज वन का काम ही अभी 2017 में होना कठिन हो रहा है तो आप आसानी से कल्पना कर सकते हैं कि फेज टू का क्या हाल होगा.
प्रकाशोत्सव के पहले शुरू करने की घोषणा हवा-हवाई : प्रकाशोत्सव के पहले इस परियोजना को हर हाल में पूरा करने के लिए सरकार ने कई दावे किये थे. 2013 में तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने और फिर राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा था कि 2017 में गुरु गोविंद सिहं की 350 वीं जयंती के पहले इसे हर हाल में तैयार कर लिया जायेगा, ताकि पटना साहिब पहुंचने वालों को सहूलियत हो. लेकिन, बाद में इस परियोजना से नजरें फेर ली गयी.
गंगा एक्सप्रेस वे परियोजना को समय सीमा के भीतर पूरा करने के लिए प्रशासन लगातार समीक्षा कर रहा है. हमने स्थल निरीक्षण भी किया था. कुछ विवादों को लेकर परियोजना की रफ्तार सुस्त हुई है. इसको खत्म करने के लिए प्रशासन सभी समस्याओं को सुलझायेगा. इसी सप्ताह परियोजना से जुड़े सभी अधिकारियों के साथ समीक्षा की जायेगी.
आनंद किशोर, कमिश्नर, पटना
गंगा एक्सप्रेस वे में अभी तक दस प्रतिशत काम पूरा हो पाया है. हमें 13.5 किलोमीटर विवाद मुक्त जमीन मिली है जिस पर हम युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं. कई कारणों से प्रोजेक्ट की समय सीमा बढ़ गयी है. हम सारण और वैशाली जिला प्रशासन द्वारा जमीन विवाद खत्म करने के फैसले का इंतजार कर रहे हैं.
संजय कुमार, डीजीएम, गंगा एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट

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