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राजनीतिक मोक्ष की बेचैनी में हैं नीतीश : रामकृपाल
पटना : नीतीश कुमार को काशी जाने की इतनी हड़बड़ी क्यों थी? शास्त्रों के अनुसार लोग काशी कब और क्यों जाते हैं, यह जदयू नेताओं को जरूर पता होगा. अभी तो बिहार में पांच साल का शासन पूरा करना है. अभी से राजनीतिक मोक्ष की प्राप्ति की बेचैनी कैसी? शराबबंदी के नाम पर नीतीश कुमार […]
पटना : नीतीश कुमार को काशी जाने की इतनी हड़बड़ी क्यों थी? शास्त्रों के अनुसार लोग काशी कब और क्यों जाते हैं, यह जदयू नेताओं को जरूर पता होगा. अभी तो बिहार में पांच साल का शासन पूरा करना है.
अभी से राजनीतिक मोक्ष की प्राप्ति की बेचैनी कैसी?
शराबबंदी के नाम पर नीतीश कुमार अंगुलीमाल से वाल्मीकि बनने की चाहत में भारत दर्शन यात्रा पर हैं, अगर शराबबंदी उनका राजनीतिक एजेंडा था, तो 2005 में सत्ता में आते ही बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू क्यों नही की?
उस समय सत्ता में आते ही शराब से प्राप्त राजस्व को 300 करोड़ से 4000 करोड़ से अधिक करने के लिए उत्पाद नीति में बदलाव किया. न्यूनतम बिक्री कोटा से अधिक बेचने पर कम एक्साइज डयूटी का प्रावधान कर शराब को गांव-गांव बिकवाया. नौजवानों की पूरी नस्ल को बरबाद किया.
गांव-गांव पुस्तकालय तो नहीं खोल पाये, पर मदिरालय जरुर खोल दिए गए. अब नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को.जीवन भर ठेलको गाड़ी पर बैठ कर राजनितिक यात्रा की. हमेशा वैशाखी के सहारे सत्ता शिखर पर रहें और आज भी वैशाखी पर जिन्दा है और चले नरेंद्र मोदी को चुनौती देने.
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