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स्वास्थ्य के प्रति किशोरियां होंगी जागरूक

यूनिसेफ और बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन पटना : बिहार में दो करोड़ 27 लाख किशोर-किशोरियां हैं. ये ही कल युवा होंगे. ऐसे में हमें उनकी सामाजिक और मानसिक दुविधा दूर करनी होगी, ताकि मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर जैसे मानकों में सुधार हो सके. यह […]

यूनिसेफ और बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन
पटना : बिहार में दो करोड़ 27 लाख किशोर-किशोरियां हैं. ये ही कल युवा होंगे. ऐसे में हमें उनकी सामाजिक और मानसिक दुविधा दूर करनी होगी, ताकि मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर जैसे मानकों में सुधार हो सके. यह कहना है राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ वाइएन पाठक का. वे गुरुवार को यूनिसेफ और बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से होटल पाटलिपुत्रा में किशोरियों की माहवारी- स्वास्थ्य और स्वच्छता विषय पर आधारित प्यारी पहल के तहत आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे.
दो वर्षों से चलाये जा रहे हैं जागरूकता कार्यक्रम :डॉ वाइएन पाठक ने कहा कि किशोरियों काे माहवारी से जुड़ी जानकारी देने के लिए वर्ष 2013 से बिहार के दो जिले वैशाली और नालंदा में प्यारी नामक कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसकी समीक्षा रिपोर्ट तैयार की गयी है, जिसमें पाया गया है कि दो वर्ष पूर्व कराये गये सर्वें में 59 फीसदी किशोरियां माहवारी के कारण स्कूल नहीं जा पाती थीं, जो आज घट कर मात्र दस फीसदी रह गयी है.
दस जिलों में होगी कार्यक्रम की शुरुआत : राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत चयनित दस जिलों में लागू कर इसका फायदा हर किशोरी तक पहुंचाया जायेगा. इसके तहत गांव-घर की वो किशोरियां हैं, जो पीयर एजुकेटर के रूप में गांव की अन्य किशोरियों के साथ संवाद स्थापित कर माहवारी एवं प्रजनन स्वास्थ्य संबंधित विषयों को बातचीत व मनोरंजक गतिविधियों द्वारा बता रही हैं.
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम में पीयर एजुकेटर की अहम भूमिका है. राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा पीयर एजुकेटर के चयन एवं प्रशिक्षण प्रक्रिया हो चुकी है. उन्होंने किशोर-किशोरियों के विकास के लिए सभी विभागों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा व समाज कल्याण विभाग के आपसी समन्वय को महत्वपूर्ण बताया.
यूनिसेफ के बिहार हेड यामिन मजूमदार ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों का संचालन सरकारी और गैर सरकारी संगठनों को मिल कर करना चाहिए. कार्यक्रम में बिहार के शिक्षा विभाग के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी भारत भूषण, यूनिसेफ की दिल्ली कम्यूनिकेशन पदाधिकारी रूपा शुक्ला, ओएसडी कुमार अरविंद सिन्हा, समेकित बाल विकास परियोजना एवं किशोर-किशोरियों से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों के राज्यस्तरीय प्रतिनिधियों के साथ ही नालंदा और वैशाली के जिला स्तरीय पदाधिकारी उपस्थित थे.
सर्वे में ये आया सामने
सेंटर फाॅर मीडिया स्टडीज द्वारा नालंदा एवं वैशाली के 14 प्रखंडों में सर्वे कराया गया है. इसमें 1049 गांव, 29 माध्यमिक विद्यालयों व 1834 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. इसके तहत 201376 लक्षित किशोरियों में से 198911 किशोरियों को जागरूक किया गया. इसमें पाया गया कि किशोरियां अब सेनेटरी पैड का प्रयोग करने लगी हैं. माहवारी स्वास्थ्य एवं स्वच्छता संबंधी सही जानकारी व व्यवहार में गुणात्मक बदलाव आया है. साथ ही 49 फीसदी किशोरियां अब माहवारी के दौरान स्कूल जाना बंद नहीं करती हैं.

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