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बाढ़ प्रबंधन योजनाओं की मंजूरी प्रक्रिया सरल करे केंद्र : चौधरी

पटना: जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत को पत्र लिख कर बिहार में बाढ़ की समस्या के निदान के लिए बाढ़ प्रबंधन की योजनाओं की स्वीकृति प्रक्रिया को सरल करने की मांग की है. श्री चौधरी ने अपने पत्र में कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा चलायी जा […]

पटना: जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत को पत्र लिख कर बिहार में बाढ़ की समस्या के निदान के लिए बाढ़ प्रबंधन की योजनाओं की स्वीकृति प्रक्रिया को सरल करने की मांग की है.

श्री चौधरी ने अपने पत्र में कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा चलायी जा रही दो योजनाओं बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम (एफएमपी) और नदी प्रबंधन कार्यकलाप एवं सीमावर्ती क्षेत्रों से संबंधित कार्य (आरएमएडब्ल्यूबीए) से बिहार को अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा है. इन दोनों योजनाओं को और भी अधिक कारगर बनाने की जरूरत है. इसके अलावा केंद्रांश विमुक्ति में जटिलता व अव्यावहारिकता के कारण बिहार को योजनाओं के कार्यान्वयन में आर्थिक कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है.

क्या है कठिनाई : पत्र में उन्होंने कहा है कि केंद्रीय सहायता विमुक्त करने हेतु योजनाओं की जीएफसीसी से टेक्निकल अप्रेजल के बाद एडवाइजरी कमेटी से तकनीकी-आर्थिक क्लीयरेंस, योजना आयोग से इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस और उसके बाद इंटर मिनिस्ट्रीयल कमेटी से अनुमोदन की व्यवस्था है. इस प्रक्रिया में पांच-छह माह का समय लग जाता है. कटाव निरोधक योजनाएं अक्तूबर तक तैयार कर ली जाती है और इनको पूर्ण करने अवधि जनवरी से 15 जून तक निर्धारित रहती है. इस तरह जटिल प्रक्रिया के कारण केंद्रांश की विमुक्ति में काफी कठिनाई होती है.

इस समस्या का निदान 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए निर्गत मार्ग निर्देशिका में भी नहीं हो पाया था. श्री चौधरी ने अपने पत्र में लिखा है कि मुख्य रूप से बाढ़ प्रबंधन की योजनाओं को पूरा करने की अवधि जनवरी से 15 मई तक निर्धारित रहने के कारण राज्य सरकार द्वारा जनवरी से मार्च तक कराये गये कार्यो के विरुद्ध किये गये व्यय की प्रतिपूर्ति नहीं हो पाती है, जो उचित नहीं है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा है कि बागबती बाढ़ प्रबंधन की योजना फेज-2 जिसकी राशि 596.51 करोड़ रुपये है, का टेक्नो इकोनोमिक क्लियरेंस व इन्वेस्टमेंट क्लियरेंस प्राप्त है. इस योजना के विरुद्ध वित्तीय वर्ष 2010-11 तक, 2011-12 व 2012-13 में क्रमश: 166.55 करोड़, 120.94 करोड़ व 309.02 करोड़ रुपये व्यय करने का कार्यक्रम था. फिर इंपावर्ड कमेटी द्वारा मात्र एक वित्तीय वर्ष में होने व्यय के विरुद्ध ही केंद्रांश विमुक्ति का कोई औचित्य नहीं बनता है.

केंद्र द्वारा जिस योजना की स्वीकृति दी गयी है, उस योजना पर होनेवाले संपूर्ण खर्च की राशि की प्रतिपूर्ति की जानी चाहिए. उन्होंने लिखा है कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम के अंतर्गत अनुमोदित 46 अदद योजनाओं की कुल लागत 1929.19 करोड़ के विरुद्ध कुल व्यय 1994.45 करोड़ है, जिसके लिए केंद्रांश की राशि 1495.83 करोड़ होती है, जिसके विरुद्ध अब तक केवल 726.1459 करोड़ की राशि विमुक्त की गयी है. इस प्रकार राज्य सरकार को शेष देय राशि 769.60 करोडड़ के विमुक्ति के लिए शीघ्र कार्रवाई की जाये.

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