सूबे की चीनी मिलों से देशी शराब बनाने वाली कंपनियों को जरूरत के अनुसार रेक्टीफाइड स्पिरिट मिल भी नहीं पाता था, लिहाजा शराब निर्माता कंपनियों को दूसरे राज्यों की चीनी मिलों से भी इसकी खरीद करनी पड़ती थी. शराबबंदी के बाद बिहार की चीनी मिलें अब इथनॉल निर्माण पर जोर देगी. इथनाॅल का इस्तेमाल पेट्रोल में होता है. रेक्टीफाइड स्पिरिट की तुलना में कम कीमत में इथनॉल बिकने के कारण चीनी मिलें इसके निर्माण में उतनी रुचि नहीं ले रही थी. बिहार सरकार ने चीनी मिलों को इथनाॅल का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए उस पर लगने वाले पांच प्रतिशत इंपोर्ट डयूटी में भी छूट दी है. चीनी मिलों को अब इथनॉल निर्माण पर कोई इंपोर्ट डयूटी शुल्क नहीं देना पड़ेगा. सरकार ने बिहार में चीनी मिलों के सहयोग से ‘इथनॉल-हब’ बनाने का निर्णय लिया है.
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चीनी मिलों में बंद: हुआ रेक्टीफाइड स्पिरिट का निर्माण
पटना : सरकार ने जब शराबबंदी का निर्णय लिया, तो चीनी मिलों में रेक्टीफाइड स्पिरिट के निर्माण पर भी बैन लग गया. बिहार की पांच चीनी मिलों में हर माह गन्ना-पेराई में 3.50 लाख लीटर रेक्टीफाइड स्पिरिट का भी निर्माण होता था. रेक्टीफाइड स्पिरिट निर्माण से चीनी मिलों को अच्छी आय होती थी, पर शराबबंदी […]
पटना : सरकार ने जब शराबबंदी का निर्णय लिया, तो चीनी मिलों में रेक्टीफाइड स्पिरिट के निर्माण पर भी बैन लग गया. बिहार की पांच चीनी मिलों में हर माह गन्ना-पेराई में 3.50 लाख लीटर रेक्टीफाइड स्पिरिट का भी निर्माण होता था.
रेक्टीफाइड स्पिरिट निर्माण से चीनी मिलों को अच्छी आय होती थी, पर शराबबंदी से चीनी मिलों के अतिरिक्त आय का दरवाजा भी बंद हो गया. चीनी मिलें अब रेक्टीफाइड स्पिरिट के बजाय इथनॉल का ही निर्माण कर सकेगी. चीनी मिलों से निकलने वाले रेक्टीफाइड स्पिरिट का इस्तेमाल देशी शराब के निर्माण में बड़े पैमाने पर होता रहा है.
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