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सतरंगी चादर तो दूर, अस्पतालों से बेडशीट ही हो गया गायब

पटना : सतरंगी चादर तो दूर इस भीषण गरमी में सरकारी अस्पतालों में आनेवाले मरीजों को बेडशीट भी उपलब्ध नहीं हो रहा है. अस्पताल के बेड पर लगे प्लास्टिक के गद्दे पर रेक्सीन पर मरीजों को सोना पड़ता है. चार साल से बेडशीट की खरीद नहीं हुई है. सरकार के अधिकारी इसके लिए दर अप्रूव […]

पटना : सतरंगी चादर तो दूर इस भीषण गरमी में सरकारी अस्पतालों में आनेवाले मरीजों को बेडशीट भी उपलब्ध नहीं हो रहा है. अस्पताल के बेड पर लगे प्लास्टिक के गद्दे पर रेक्सीन पर मरीजों को सोना पड़ता है.
चार साल से बेडशीट की खरीद नहीं हुई है. सरकार के अधिकारी इसके लिए दर अप्रूव नहीं होना प्रमुख कारण बताते हैं. बेडशीट को लेकर अस्पताल की नर्स भी लाचार हैं और मरीज द्वारा बेडशीट की मांग करने पर हाथ खड़ी कर देती है. जिन मरीजों को बेडशीट मिलता भी है, वह धुला हुआ नहीं रहता है. यह स्थिति राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर मेडिकल काॅलेज अस्पतालों तक बनी हुई है.
सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने से चादर की खपत भी बढ़ गयी है. राज्य के अस्पतालों में करीब 21500 बेड लगाये गये है. करीब 30 फीसदी से अधिक बेड पर चादर नहीं है. मालूम हो कि सरकार ने वर्ष 2007-08 में अस्पतालों में सतरंगी चादर देने की घोषणा की थी. इसके पीछे सरकार का तर्क था कि सात दिन में सात चादर बिछाने पर हर मरीज को प्रतिदिन धुली हुई चादर मिलेगी. इससे अस्पताल में मरीजों के बीच संक्रमण का कम फैलाव होगा.
जो चादर दी जानी थी, उनमें रविवार को बैगनी, सोमवार को नीला, मंगलवार को फिरोजी, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को नारंगी और शनिवार को लाल रंग की चादर अस्पताल के बेड़ पर बिछाये जाने थे. आरंभ के दिनों से ही पर्याप्त संख्या में चादर अस्पतालों में उपलब्ध नहीं हो पाये थे.

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