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दंडात्मक कार्रवाई पर लगायी रोक

शराबबंदी : कोर्ट ने 19 तक मांगा जवाब पटना : पटना हाइकोर्ट ने प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी पर रोक लगाने संबंधी याचिकाओं पर कोई भी अंतरिम आदेश देने से मना कर दिया है. जस्टिस नवनीति प्रसाद सिंह और चक्रधारी शरण सिंह के कोर्ट ने बुधवार को सरकार का पक्ष जानने के बाद कुछ बिंदुओं पर […]

शराबबंदी : कोर्ट ने 19 तक मांगा जवाब
पटना : पटना हाइकोर्ट ने प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी पर रोक लगाने संबंधी याचिकाओं पर कोई भी अंतरिम आदेश देने से मना कर दिया है. जस्टिस नवनीति प्रसाद सिंह और चक्रधारी शरण सिंह के कोर्ट ने बुधवार को सरकार का पक्ष जानने के बाद कुछ बिंदुओं पर और जानकारी मांगी है.
कोर्ट ने सरकार को 19 अप्रैल तक अपना पक्ष रखने को कहा है. कन्फेडरेशन आॅफ अल्कोहलिक इंडिया बेवरेज कंपनीज और बार एवं रेस्टोरेंट एसोसिएशन की ओर से दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार को वैसी कंपनियों को पैसा वापस करना होगा, जिससे थोक भाव में पूर्ण शराबबंदी के पहले विदेशी शराब की खरीद की थी.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी भी की. कहा कि अब तक सरकार मस्ती से लोगों को शराब पिला रही थी, अब अचानक ऐसा क्या हो गया कि पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गयी. कोर्ट ने यह भी कहा कि बंद करना है, तो ताड़ी की बिक्री पर रोक क्यों नहीं उस समय लगायी गयी. जबकि पटना हाइकोर्ट के गेट पर ताड़ी खुलेआम पिलायी जाती रही है.
याचिकाकर्ताओं में एक सेना के रिटायर्ड अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार सेना को शराब उपलब्ध कराती है. बिहार में यदि सेना के जवान या अधिकारी पीते पकड़े जाते हैं, तो उसे दस साल की सजा हो जायेगी. इस पर कोर्टने सरकारी वकील से पूछा कि क्या सेना के कैंटीन में मिलनेवाली शराब पर भी रोक लगायी गयी है.
प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि सेना के कैंटीन पर बिहार सरकार रोक कैसे लगा सकती है, तो कोर्ट ने कहा, आप हां या ना में जवाब दें. याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि सरकार की थोक एजेंसी बिवरेज काॅरपोरेशन ने चार अप्रैल तक थोक भाव में शराब खरीद करती रही. अब अचानक कह दिया गया कि यहां पूर्ण शराबबंदी लागू हो गयी है और आप अपना माल वापस ले जाइए. याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि सरकार एेसा नहीं कर सकती है.
उसे इसकी भरपाई करनी हाेगी. इस पर कोर्ट ने सहमति जतायी और कहा कि सरकार को पैसा देना होगा और ऐसे मामलों में 19 अप्रैल तक दंडात्मक कार्रवाई भी नहीं होगी. कोर्ट ने इन सभी मसलों पर 19 अप्रैल तक जवाब देने को कहा है.
जब शराब की लत लगी, तो पूरे परिवार ने मुंह मोड़ िलया
दिशा नशा विमुक्ति केंद्र और हितैषी हैप्पीनेस होम में कई लोग आज भी भरती हैं, जो परिवार के पास जाने के लिए शराब को छोड़ना चाहते हैं. ऐसे ही एक हैं सुधीर कुमार. शराब की लत लगने के कारण पूरे परिवार ने ही उनसे मुंह मोड़ लिया.
मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरा परिवार मुझे छोड़ देगा. लेकिन इसमें मेरी ही गलती है. मैंने अपने परिवार के साथ काफी बुरा किया है. शराब की लत के कारण मैं परिवार के साथ हमेशा बुरा व्यवहार करता था. मैं बिजनेस मैन था. पाइप का काम करता था.
काम का प्रेशर काफी रहता था. दोस्तों की संगत में मुझे शराब पीने की आदत लगी. थोड़ा थोड़ा लेते-लेते मैं काफी पीने लगा. एक समय ऐसा आया कि मैं बिना शराब के नहीं रहता था. इससे मेरा ध्यान बिजनेस पर नहीं रहता था. बिजनेस कमजोर होने लगा. बिजनेस कमजोर होने से पार्टनर ने भी धोखा दे दिया. इसके बाद मैं और शराब पीने लगा.
मैंने लगभग दस सालों तक खूब शराब पीया. शराब पीकर पत्नी के साथ बच्चों को भी पीटता था. बच्चे मुझे देख कर ही भाग जाते थे. घर की स्थिति खराब हो गयी.
इसके बाद पत्नी ने बुटिक खोली. बुटिक से जो कमाई होती थी, उसी से बच्चों की पढ़ाई और जैसे तैसे घर चलता था.
मैं अभी तक 25 लाख रुपये का शराब पी चुका हूं. एक साल पहले मेरे बेटे का सेलेक्शन इंजीनियरिंग में हो गया. लेकिन परिवार वालों ने मुझे कहा तक नहीं. मैं परिवार में रहते हुए भी अकेला महसूस करता था. इसके बाद मैं शराब छोड़ने के लिए भरती हुआ.
सुधीर कुमार, (बदला हुआ नाम), शिवपुरी

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