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मॉडल फॉर्म के बाद भी कातिब की शरण में पहुंच रहे आवेदक

मॉडल फॉर्म की खामियां आवेदकों को कर रहीं परेशान पटना : एक तरफ निबंधन विभाग ने जमीन रजिस्ट्री को आसान बनाने के लिए मॉडल फॉर्म को अनिवार्य कर दिया है. वहीं, दूसरी ओर इसके तहत की जाने वाली रजिस्ट्री लोगों को रास नहीं आ रही है. फाॅर्म में दिये गये अलग-अलग कॉलमों में लोग सारे […]

मॉडल फॉर्म की खामियां आवेदकों को कर रहीं परेशान
पटना : एक तरफ निबंधन विभाग ने जमीन रजिस्ट्री को आसान बनाने के लिए मॉडल फॉर्म को अनिवार्य कर दिया है. वहीं, दूसरी ओर इसके तहत की जाने वाली रजिस्ट्री लोगों को रास नहीं आ रही है. फाॅर्म में दिये गये अलग-अलग कॉलमों में लोग सारे डिटेल भरने के बाद भी संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं.इससे वे कातिबों की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं.
मॉडल फॉर्म में जमीन का ब्योरा देने का कॉलम नहीं : मॉडल फाॅर्म में जमीन का ब्योरा देने का कॉलम यानि संदर्भ (टाइटल) के लिए कोई जगह नहीं है. इस कॉलम के नहीं होने से लोग जमीन का पूरा ब्योरा नहीं भर पा रहे हैं, जबकि मॉडल फॉर्म में जमीन का पूरा ब्योरा देना संभव नहीं है. इसके लिए लोगाें को कातिबों के पास जाना पड़ रहा है. जमीन का पूरा ब्योरा तभी लिखा जा सकता है, जब खतियान की जानकारी होगी. ऐसे में बगैर कातिब लोगों को खतियान से पूरा ब्योरा लेने में परेशानी हो रही है. इसके साथ ही मॉडल फॉर्म में भरने के लिए जगह भी काफी कम छोड़ी गयी है, जिसके चलते उस पर आवश्यक निर्देश लिखने में भी आवेदकों को परेशानी हो रही है.
लाइसेंस रद्द करने पर हाइकोर्ट पहुंचे कातिब
निबंधन विभाग द्वारा कातिबों को बिना नोटिस दिये बगैर लाइसेंस रद्द किये जाने से उसका संघ विभाग के खिलाफ हाइकोर्ट मेंं याचिका दायर की है. बिहार दस्तावेज नवीस संघ के अध्यक्ष ब्रहानंद सिंह ने बताया कि लगभग 150 वर्षों से कातिब द्वारा दस्तावेज तैयार किया जा रहा है.
यहां तक कि गजट में भी इसका जिक्र है. ऐसे में विभाग द्वारा मौखिक आदेश के तहत लाइसेंस रद्द करने से पूरे बिहार भर के 42 हजार कातिबों का रोजगार खत्म कर दिया गया है. पटना जिले में इसकी संख्या एक हजार है. इसके विरोध में संघ की ओर से हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी है, ताकि कातिबों के साथ न्याय हो सके.

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