22.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

छात्रवृत्ति घोटाला : क्या बैंकों ने आंख मूंद खोला खाता

कार्रवाई की जद में आयेंगे बैंकों के अधिकारी-कर्मचारी अब जद में वे बैंक आने वाले हैं, जिन्होंने फर्जी लोगों के खाते खोले थे. इसमें शामिल बैंकों के अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है. रविशंकर उपाध्याय पटना : बैंक भले ही आमलोगों का एकाउंट खोलने में आनाकानी करते हैं. कई तरह के पहचान पत्र और आवास […]

कार्रवाई की जद में आयेंगे बैंकों के अधिकारी-कर्मचारी
अब जद में वे बैंक आने वाले हैं, जिन्होंने फर्जी लोगों के खाते खोले थे. इसमें शामिल बैंकों के अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है.
रविशंकर उपाध्याय
पटना : बैंक भले ही आमलोगों का एकाउंट खोलने में आनाकानी करते हैं. कई तरह के पहचान पत्र और आवास प्रमाण पत्र मांगते हैं, लेकिन घपलेबाजों का एकाउंट खुलने में इस तरह की कोई लेट-लतीफी नहीं होती है.
वे बड़े आराम से बैंकों में खाता खोल लेते हैं और कल्याण विभाग की छात्रवृत्ति की राशि अपने एकाउंट में ट्रांसफर करा लेते हैं. अब उन बैंकों पर लगाम कसने की तैयारी हो रही है. पटना में 1.38 करोड़ रुपये के शुरुआती घोटाले में क्लर्क, अधिकारी और खाताधारियों पर कार्रवाई होने के बाद अब इसकी जद में वे बैंक
आने वाले हैं, जिन्होंने फर्जी लोगों के खाते खोले थे. उन सरकारी और गैर सरकारी बैंकों के वैसे अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है, जिन्होंने तय कागजात को दरकिनार कर खाते खोले और उनके खाते में राशि ट्रांसफर करा दी.
बैंकों से मांगा जा रहा है स्पष्टीकरण
जिला कल्याण शाखा उन सभी बैंकों से स्पष्टीकरण मांग रही है, जिनके ब्रांच में खाता खोला गया था. उन सभी बैंकों से पूछा जा रहा है कि कैसे और किस अाधार पर खाता खोला गया. जिस स्कूल समिति के अध्यक्ष के नाम पर खाता खोला गया है, क्या उस स्कूल का कोई एड्रेस प्रूफ लिया गया.
जब स्कूल कागज पर थे और उनका कोई आधार नहीं था, तो फिर कैसे खाता खुला? इन सारे सवालों से अब बैंकों को जूझना पड़ेगा.
कहां हुई चूक : छात्रवृत्ति घोटाले के पूरे प्रकरण में बैंकों की जो सबसे बड़ी चूक दिखाई दे रही है, वह यह है कि बैंकों ने शिक्षा समिति के कागजात को चेक ही नहीं किया. शिक्षा विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि जब छात्रवृत्ति के लिए स्कूलों का चयन किया जाता है, तो शिक्षा समिति के अध्यक्ष के नाम पर स्थानीय बैंक खाता खोलते हैं. उन्हें स्कूलों का कागजात जमा करा कर खाता खोलना होता है. यह एक बड़ा प्रूफ भी होता है. यदि इसे फॉलो किया गया होता, तो घोटाले की गुंजाइश नहीं रहती. इसके अलावा एक ही व्यक्ति के नाम पर न केवल चार-पांच खाते खोले गये हैं.
डीडीसी की रिपोर्ट
डीडीसी की रिपोर्ट कहती है कि घाेटाले के पीछे बैंकों की भी लापरवाही है. यदि बैंक खाता खोलने में सावधानी बरते होते, तो फिर इस घोटाले की पृष्ठभूमि ही नहीं बन पाती. यही वजह है कि उन्होंने बैंकों की भूमिका पर सवाल उठाया है और इसकी जांच करने के लिए कहा है. इसके बाद जिला कल्याण शाखा ने बैंकों से सारे मसलों पर अपना पक्ष रखने को कहा है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें