पटना: सोमवार को पटना जंकशन पर पकड़ी गयी महिला उमा देवी ने 80 हजार रुपये में दो लाख के जाली नोट धंधेबाजों से खरीदे थे. वह मोतिहारी से जाली नोट लेकर राजधानी में सप्लाइ करने आयी थी. उसने यह खुलासा पूछताछ में किया. नकली नोट पाकिस्तान व बांग्लादेश से बिहार के रास्ते देश के अन्य हिस्सों में आता है. नकली नोट के कारोबारी इसके लिए महिलाओं व बच्चों को कैरियर के रूप में इस्तेमाल करते हैं.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, लगभग बीस लाख रुपये के नकली नोट बांग्लादेश व पाकिस्तान से कोलकाता व नेपाल होते हुए बिहार पहुंचे. यहां नोट के लगभग 25 बंडल तैयार किये गये. उनको चलाने के लिए फुटकर कारोबारियों को दिया गया. बांग्लादेश में रहनेवाले नकली नोट के दो कारोबारियों ने 27 दिसंबर को नकली नोट के दो बंडल मोतिहारी जिले में उमा देवी के हवाले कर दिये. उमा देवी उक्त बंडलों को मोतिहारी से भागलपुर स्थित अपने घर ले आयी. फिर कारोबारियों से कमीशन फाइनल होने पर पांच जनवरी को वह नकली नोट की खेप लेकर पटना जंकशन पर उतर गयी और बस स्टैंड पर इंतजार कर रहे एजेंट से मिलने जाने के दौरान जीआरपी के हत्थे चढ़ गयी.
टीम बना कर हो रही मामले की जांच: रेलवे सुरक्षा के डीएसपी अनंत कुमार राय के अनुसार नकली नोट के कारोबारियों को गिरफ्तार करने और उनके नेटवर्क का पता लगाने के लिए जीआरपी की दो टीमें बनायी गयी हैं. इनमें एक टीम उमा देवी से पूछताछ कर पटना में उनके नेटवर्क को खंगालने की कोशिश कर रही है, तो दूसरी टीम मोतिहारी में रेड करने के लिए रवाना हो गयी है. पुलिस को उमा देवी ने बताया कि हजार रुपये के नकली नोट वाले बंडलों की नयी खेप की सप्लाइ करने के लिए तीन सप्ताह पहले नोट कारोबारी ने उनसे संपर्क किया था और मामला डील होने के बाद हजार के नकली नोट उनके पास पहुंच गये.
कारोबार में लगा है पूरा परिवार : उमा देवी का पूरा परिवार ही नकली नोट के कारोबार से जुड़ा हुआ है. पति भुनेश्वर साह बहुत पहले से इस काम को अंजाम दे रहा है. पुलिस को शक न हो, इसके लिए नोट के इस कारोबार में बच्चों का भी उपयोग किया जाता है. नकली नोट के कारोबारी नेपाल बॉर्डर क्रॉस करने के लिए गरीब दिखने वाली महिलाओं व बच्चों का खुलेआम उपयोग करते हैं.
भारतीय सीमा पर तैनात एसएसबी के जवान और अन्य सुरक्षाकर्मियों की निगाहें इन बेबस महिलाओं और बच्चों पर नहीं पड़ती हैं. इसका कारोबारी भरपूर फायदा उठाते हैं.
अरे, ये तो बिल्कुल असली है
अरे, यह तो बिल्कुल असली नोट है. कुछ ऐसा ही लगा था उमा देवी को, जब उसे हजार के नकली नोटों का बंडल कारोबारियों ने दिये थे. हालांकि, मन में रह-रह कर सवाल कौंध रहा था कि पता नहीं मार्केट में यह नोट चलेगा या नहीं? उमा देवी ने कारोबारियों के सामने नोट के मार्केट में चलने को ले कर शंका जाहिर भी की थी. इस पर नोट कारोबारियों ने उमा देवी के बंडल में से दो नोट निकाल कर मार्केट में चलाया. इसके लिए उन्होंने मार्केट की दुकान से फल और कपड़े खरीदे. तब जा कर उन्होंने तय रकम दे कर नकली नोटों को भागलपुर होते हुए पटना लाया. उमा ने दो लाख नकली नोट के बदले असली अस्सी हजार रुपये दिये थे.