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तीन साल के रेकॉर्ड की जांच

प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाला. और बढ़ेगा जांच का दायरा, डीएम से अनुशंसा प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले की व्यापकता को देखते हुए इसकी जांच को विस्तार देने का विचार किया गया है. इसके तहत 2013 से 2015 तक के छात्रवृत्ति वितरण की जांच की जायेगी. पटना : प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले में पहली जांच रिपोर्ट आने […]

प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाला. और बढ़ेगा जांच का दायरा, डीएम से अनुशंसा
प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले की व्यापकता को देखते हुए इसकी जांच को विस्तार देने का विचार किया गया है. इसके तहत 2013 से 2015 तक के छात्रवृत्ति वितरण की जांच की जायेगी.
पटना : प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले में पहली जांच रिपोर्ट आने के बाद अब इसकी जांच का दायरा और बढ़ने जा रहा है. अब तीन साल पुराने यानी 2013 से 2015 तक के छात्रवृत्ति वितरण की जांच की जायेगी. जांच दल के प्रमुख डीडीसी अमरेंद्र कुमार ने इसकी जांच कराने की अनुशंसा डीएम एसके अग्रवाल से की है. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बड़ी कमेटी से इसकी जांच करायी जाये, इससे घोटाले की और परतें खुलेगी. उन्हें भी यह लग रहा है कि यह घोटाला करोड़ों में है.
छात्रवृत्ति घोटाले में रिपोर्ट
शुक्रवार को आते ही शनिवार को 15 खाताधारियों पर एफआइआर दर्ज हो गयी है. जिला कल्याण पदाधिकारी एसपी चौरसिया ने गांधी मैदान थाने में 15 खाताधारियों पर केस दर्ज किया है. इसमें कांति देवी कल्याणपुर पटना, भाेला कुमार बीएमदास रोड पटना, गौतम कुमार व अशोक कुमार माधोपुर जहानाबाद, कुमार विकास सरिस्ताबाद, सुमित गुप्ता बाकरगंज, मंटू यादव सोनियावां, सरोज कुमार सैदाबाद, रुपेश कुमार एनआइटी नागपुर, राजीव रंजन मीठापुर, गोपाल कुमार, श्रवण कुमार व प्रमोद कुमार मखनियां कुआं, कविता देवी और सुरुचि देवी के साथ ही अन्य शामिल हैं.
एक गलती से बच गये साढ़े पांच लाख : कभी कभी गलती फायदेमंद भी हो जाती है. मामला छात्रवृति घोटाले से जुड़ा है. जिला कल्याण शाखा के कंप्यूटर ऑपरेटर ने एक खाताधारी के आइएफएससी कोड में 8 को 0 लिख दिया और इससे 5.5 लाख रुपये गबन होने से बच गये. क्योंकि गलत कोड से राशि खाते में ट्रांसफर ही नहीं हो सका. मामला फर्जी स्कूल मीडिल स्कूल ढेलवा से जुड़ा हुआ है.
इसका खाता संख्या 201110100002847 में एक बार 1.35 लाख, दूसरी बार 67200 और तीसरी बार 59400 रुपये दो किश्त में जाना था. इसका आइएफएससी कोड एएनडीबी 0002011 था जो गलती से 0002811 लिख दिया. इसी गलती से खाते में 261 600 रुपये दो बार नहीं जा सके और 5 लाख 25 हजार 200 रुपये सरकारी खाते में ही रह गये.

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