पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार और उसकी योजनाओं पर शनिवार को जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सिर्फ नारा गढ़ने का काम कर रही है. पहले भी नारे गढ़े जा रहे थे और अब भी. मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया के बाद अब स्टैंड अप इंडिया का नारा दिया जा रहा है.
कहीं ‘स्टैंड अप इंडिया’ ‘सिट डाउन इंडिया’ में न वे पहुंचा दें. इसी तरह देश को ‘ले डाउन इंडिया’ और ‘स्लीप इंडिया’ तक न ले जायें. आने वाले समय में मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया व स्टैंड अप इंडिया को वे ले डाउन इंडिया व स्वीप इंडिया तक पहुंचा ही देंगे. लोगों को लिटा देंगे और सुला देंगे. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जो वादे किये थे कुछ भी पूरा नहीं किया. अब तक कितने लोगों को रोजगार मिला है?
केंद्र सरकार काम तो कर नहीं रही है, सिर्फ लोगों को जुबान में ताले लगाने की कोशिश कर रही है. जेएनयू में जो कुछ हुआ वह आने वाले समय के लिए खतरे की घंटी है. 2014 के लोक सभा चुनाव में उन्होंने विकास के लिए वोट मांगा. जब सरकार बन गयी तो लव जेहाद, घर वापसी और बिहार चुनाव के समय बिफ प्रकरण तक का मुद्दा उठा और अब राष्ट्रवाद की बात कर रहे हैं. 2014 का चुनाव एेसे मॉडल पर निकाल कर ले गये जो दिखाई ही नहीं दे रहा है.
जनता के दायित्व पर रहना चाहते हैं केंद्रित : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वे अपना ध्यान जो जनता ने दायित्व सौंपा है उस पर ही केंद्रीत रहना चाहते हैं. दिल्ली जाने के लिए सभी कह रहे हैं, लेकिन इसका असर नहीं होगा. यहां काम कर रहे हैं वहीं देश का काम है. बिहार आगे बढ़ेगा तो देश आगे बढ़ेगा. अगर देश के लिए ज्वलंत सवाल में वह चुप नहीं रह सकते हैं. हम पब्लिसिटी में नहीं रहते हैं. ऊर्जा सीमित है. उसे काम करने के लिए लगाये या फिर बोलने के लिए. इसलिए हम ऊर्जा का काम करने में ज्यादा प्रयोग करते हैं.
इक्विलिटी जस्टिस के मॉडल पर करते हैं काम : नीतीश कुमार ने कहा कि वे इक्विलिटी जस्टिस के मॉडल पर काम कर रहे हैं. सरकार का मुख्य उद्देश्य न्याय के साथ विकास का है. विकास का लाभ समाज के अंतिम पायदान तक जाये. यही मूल मंत्र है. बिहार के ग्रोथ रेट कम पर विरोधी दलों ने तंज कसते रहे, लेकिन बिहार का विकास नहीं रुका. यहा ना तो बड़े उद्योगपति आये और ना ही बड़ा निवेश हुआ, फिर भी ग्रोथ रेट डबल डिजिट से नीचे नहीं आया. हम लोगों का इंपावरमेंट करना चाहते हैं. जितना इंपावरमेंट करेंगे लोकतंत्र उतना मजबूत होगा.
पांच जून से लागू होगा लोक शिकायत निवारण कानून : सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में लोक शिकायत निवारण कानून पांच जून से लागू होगा और छह जून से व्यावहारिक रूप से काम करने लगेगा. यह पहले मई महीने से शुरू होने वाला था. फिलहाल इसके लिए अधिकारियों व कर्मचारियों की ट्रेनिंग नहीं हुई है. इसलिए इसे बढ़ाया गया है. इसमें लोगों को अनुमंडल और जिला स्तर पर भी शिकायतों का निवारण होगा. जो लोग सर्टिफिकेट के लिए इधर-उधर दौड़ते थे उन्हें वहीं सब कुछ मिल सकेगा.
भाजपा को देर से हुआ तिरंगा प्रेम : मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग तो भारत माता की जय हर दिन बोलते हैं. किसी के कहने पर कोई नहीं बोलता. चलिए इसी के कारण उन्होंने तिरंगा तो अपना लिया. वे तो नागपुर में भी तिरंगा नहीं फहराते हैं. देर से ही सही तिरंगा के प्रति उनका प्यार पैदा हो गया, तो उन्हें लग रहा है सबको नहीं है. उनका तिरंगा प्यार नया है, बाकि हमलोगों का तो पुरखों पुराना प्यार है.
शराब न पीने का लिया है संकल्प स्टिंग का खतरा : मुख्यमंत्री ने विधायकों-विधान पार्षदों को कहा कि उन लोगों ने शराब नहीं पीने और लोगों को भी नहीं पीने देने का संकल्प लिया है. इसलिए शराब तो नहीं ही पीयें, क्योंकि स्टिंग का खतरा हो सकता है. अगर स्टिंग हुई तो इसके लिए आचार समिति भी बनी हुई है. ऐसे में कार्रवाई हो सकती है.
उन्होंने कहा कि नशा बंदी संविधान में कही गयी है. शराब पीना फंडामेंटल अधिकार नहीं है और ना ही इसका कारोबार करने का अधिकार है. बिहार में कर्पूरी ठाकुर ने इसे पहली बार लागू किया था. उस समय की कमी अौर दूसरे राज्यों में लागू होने के बाद आयी समस्या का अध्ययन करने के बाद शराब बंदी लागू की गयी है.
शराब अच्छी चीज नहीं है. पीने वाले शराब की आदत छोड़िए, शराब मत पीजिए. शराब बंदी से राजकीय कोष में कमी आयेगी लेकिन शराब में खर्च होने वाला पैसा दूसरी जगहों पर निवेश होगा. शराब से आमदनी मोरल फोर्स नहीं है. अब जो आमदनी होगी वह मोरल फोर्स होगी. इसमें महिलाओं का साथ अौर बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलेगा तो बिहार आगे बढ़ेगा.
ताड़ी के लिए तमिलनाडु मॉडल होगा लागू : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उनसे कहा गया कि तमिलनाडु को दूसरा घर बनाइए. शराब के बाद ताड़ी पर भी रोक लगायी गयी. ताड़ी व्यवसायी के कुछ तबका जुड़ा हुआ है. तमिलनाडु में सबसे ज्यादा ताड़ के पेड़ हैं. 25 सालों से इस पर शोध हुआ है. उसी मॉडल को बिहार में एक साल में लागू किया जायेगा. जो लोग ताड़ से ताड़ी निकालते हैं उनके लिए एक साल में वैकल्पिक रोजगार बना देंगे.
विकास के मुद्दे को भटका रहा केंद्र : राजा
केंद्र सरकार मुख्य विकास के मुद्दे पर लोगों का ध्यान भटकाने के लिए तरह-तरह का काम कर रही है. उसकी दोहरी नीति भी साफ दिख रही है. जेएनयू, कन्हैया गिरफ्तारी, रोहित वेमुला आत्महत्या व एनआइटी श्रीनगर की घटना इसके उदाहरण हैं. 2020 तक भारत में औसत आयु 29 साल हो जायेगी, जो युवा होगा.
नौकरी के लिए बड़ी फौज होगी, लेकिन केंद्र सरकार मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया जैसे कार्यक्रम चला रही है, जिसका कोई असर नहीं दिख रहा है. इन मुद्दों से भटकाने के लिए ही भारत माता को राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है. हमारी भारता माता सभी धर्म-संप्रदाय के लोगों की एक समान भाव से देखती है, जबकि केंद्र नयी परिभाषा गढ़ने में लगी हुई है. वे एक धर्म-जाति विशेष को एंटी नेशनल साबित करने में लगे हुए हैं.
डी राजा,
भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव
अगर उन्हें इतनी ही चिंता है तो प्राइवेट सेक्टर में एससी, एसटी व ओबीसी को आरक्षण दिलवा दें. डी. राजा ने नीतीश कुमार को राष्ट्रीय स्तर पर आने का निमंत्रण दिया. उन्होंने कहा कि हम सबकी संयुक्त आवाज बननी चाहिए और नीतीश कुमार धर्म निरपेक्ष ताकतों की आवाज बनें.
सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक न्याय की जरूरत
पेरियार ने तमिलनाडु में सामाजिक न्याय पर गरीब, पिछड़ों, एससी-एसटी के आरक्षण के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और सफलता पायी. डीएमके इसे आगे बढ़ा रहा है. ऐसे ही सामाजिक न्याय की लड़ाई की वजह से नीतीश कुमार को बिहार की जनता ने इतना बड़ा मेंडेड दिया है.
सोशल जस्टिस की बात करते हैं तो माना जाता है आरक्षण. लेकिन यह आरक्षण तक इसे सीमित नहीं करना चाहिए. हमें सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक न्याय की जरूरत है. इसके लिए धर्मनिरपेक्ष ताकतों को मिल कर काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मंडल से ही देश आगे बढ़ेगा, कमंडल से देश का भला नहीं होने वाला है. तमिलनाडू में 69 प्रतिशत आरक्षण लागू है.
डीएमके के के. वीरमणि
निजी सेक्टर में भी आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए. सामाजिक न्याय फ्रंट व सेकुलर फ्रंट को देश में प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण की लड़ाई लड़नी होगी, तभी निचले तबके को मुख्य धारा में जोड़ा जा सकता है. राष्ट्रीय स्तर पर नीतीश कुमार इसकी पहल करें.
विकास पुरुष ही नहीं संकल्प पुरुष हैं नीतीश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वीरमणि पुरस्कार के सही हकदार हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विकास पुरुष के साथ-साथ संकल्प पुरुष भी है. आज के राजनीतिक दौर में वे जो बोलते हैं वे संकल्प के रूप में करते हैं.
विजय कुमार चौधरी,
बिहार विधानसभा के अध्यक्ष
सामाजिक न्याय के पुरोधा हैं नीतीश
नीतीश सामाजिक न्याय के पुरोधा हैं. वे अपने दायित्व, कर्तव्यों के प्रति सजग रहते हैं. उन्होंने बिहार को एक दिशा देने का काम किया है. दलित, महादलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा को आरक्षण दिया. पूर्ण शराबबंदी का अनूठा निर्णय लिया. उनके रास्ते कठिन होते हैं, पर इसमें भी वे सफल होते हैं.
अवधेश नारायण सिंह,
विप सभापति
सभी जाति, धर्म, समुदाय के हैं नीतीश
नीतीश कुमार राष्ट्र की संपत्ति हैं. हवा, पानी, रोशनी व खुशबू पर जिस प्रकार किसी एक जात या धर्म का अधिकार नहीं है, उसी प्रकार नीतीश कुमार सभी जाति, धर्म, समुदाय के हैं.
केसी त्यागी,
जदयू के सांसद सह प्रधान महासचिव
मुसलमानों की स्थिति दलितों से बदतर : अयूब
मुसलमानों की स्थिति दलितों से बदतर हो गयी है. धर्म के साथ भेदभाव सही नहीं है. दलित मुसलमानों को बिना भेद भाव के अनसूचित जाति का दर्जा दिया जाना चाहिए. मुसलमान और पिछड़े लोग ही मूल निवासी है. देश के पूरे मुसलमानों को नीतीश कुमार पर भरोसा है. वे जन आकांक्षाओं को समझेंगे और देश उन्हें नेतृत्व सौंपने का काम करेगा.
अयूब,
पीस पार्टी के अध्यक्ष सह यूपी के विधायक