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परिवहन निगम के पास बचीं महज 14 बसें

पटना: सरकारी बस पड़ावों के कायाकल्प और रंग-रोगन पर तो करोड़ों खर्च किये गये, लेकिन परिवहन निगम की बसें एक-एक कर कम होती जा रही हैं. 7.50 करोड़ खर्च कर बांकीपुर बस पड़ाव का लुक तो बदल दिया गया, लेकिन वहां मात्र 14 बसें ही चल रही हैं. पीपीपी मोड पर चलनेवाली 88 बसें ही […]

पटना: सरकारी बस पड़ावों के कायाकल्प और रंग-रोगन पर तो करोड़ों खर्च किये गये, लेकिन परिवहन निगम की बसें एक-एक कर कम होती जा रही हैं. 7.50 करोड़ खर्च कर बांकीपुर बस पड़ाव का लुक तो बदल दिया गया, लेकिन वहां मात्र 14 बसें ही चल रही हैं. पीपीपी मोड पर चलनेवाली 88 बसें ही जान बनी हुई हैं.

2011 में चलती थीं 64 बसें
2011 तक बांकीपुर से 64 बसें खुलती थीं. यहां से झारखंड, पश्चिम बंगाल व उत्तरप्रदेश तक के लिए बसें चलती थीं. अब झारखंड में महज डालटेनगंज के लिए ही बस चल रही है. शेष बसें मोहनिया, भभुआ, सासाराम, राजपुर, सुपौल व निर्मली के लिए चल रही हैं.

झारखंड के रांची, हजारीबाग व टाटा और पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के लिए जो बसें यहां से खुल रही हैं, वे पीपीपी मोड की हैं. पटना से बनारस के लिए भी पीपीपी मोड की ही बसें चल रही हैं. सरकारी बस पड़ावों से खुलनेवाली बसों के चालक भी नहीं हैं. 14 बसों के लिए महज 10 चालक हैं. खलासी एक भी नहीं है. बसों की संख्या घटना से निगम की आमदनी घटती जा रही है. इससे कर्मियों की परेशानी बढ़ती जा रही है. स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो आनेवाले दिन और मुश्किल भरे हो जायेंगे.

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