पटना: समाजवादी जन परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुनील ने कहा कि भारत को बचाना है, तो हमें नयी राजनीति को मजबूत करना होगा. विचार को मजबूत करना होगा. जब तक विचार नहीं होगा, तब तक आंदोलन भी आगे नहीं बढ़ेगा. बिना विचार कोई बदलाव या क्रांति नहीं हो सकती. दुनिया आज नाजुक दौर से गुजर रही है. वैसी स्थिति में यह सम्मेलन हो रहा है. पूंजीवाद कुछ समय पहले तक ऐसा मालूम होता था कि इसका कोई विकल्प नहीं है, लेकिन आज दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चुनौतियां मिलनी शुरू हो गयी हैं.
पूंजीवादी नीतियों के खिलाफ जनता सड़कों पर आ रही है. भारत में भी सरकार नव उदारवाद नीतियों पर चल रही है, जो इस देश के हितों के खिलाफ है. ये बातें उन्होंने रविवार को महिला चरखा समिति में परिषद के बिहार राज्य सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहीं. उन्होंने कहा कि किसी भी पार्टी की सरकार हो, सभी उन्हीं नीतियों पर काम कर रही है. सरकार बदल जाती है, लेकिन उनकी नीतियां नहीं बदलतीं, उनका चरित्र नहीं बदलता है. खुल कर जाति की राजनीति हो रही, पूंजीवादी की राजनीति हो रही है.
इस पर कोई खुल कर बोलनेवाला नहीं है. राष्ट्रीय आय और जीडीपी का आंकड़ा एक छलावा है, धोखा है. बीस साल में भारत की सरकारें जिन नीतियों पर चल रही हैं, उसका परिणाम सामने है. गरीबी, भुखमरी, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, विदेशी वर्चस्व बढ़ रहा है. देश की संप्रभुता पर खतरा मंडरा रहा है. कुपोषण, अशिक्षा, भुखमरी भारत में नंबर वन पर है.
सड़कें बनना ही विकास नहीं
उन्होंने कहा, बिहार का विकास कैसे होगा, जब बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा की व्यवस्था नहीं होगी. स्कूल में पढ़ाई हो न हो, शराब पीने की व्यवस्था हर जगह है. सिर्फ सड़कें बन जाना विकास नहीं होता. इस देश में समाजवाद की धारा को बचाने का काम कर रहे हैं. समाजवादी विचारक सच्चिदानंद सिन्हा ने कहा कि तकनीक के विकास के आधार पर समतामूलक समाज नहीं बन सकता है. औद्योगिक विकास का ढांचा प्रकृति व मनुष्य विरोधी बन गया है.
विकास की धारा ऐसी होनी चाहिए कि मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य बना सके. विकेंद्रित विकास होना चाहिए. मौके पर समाजवादी जन परिषद के पूर्व राष्ट्रीय सचिव चंचल मुखर्जी, डॉ संतु भाई संत, संजय कुमार श्रीवास्तव, अमरेंद्र श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे.