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राज्य में पशु धन की क्षति

सूबे के पशुपालकों को सालाना कम-से-कम दो सौ करोड़ की क्षति इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च ऑफ इंडिया के लिए राज्य किसान आयोग के सदस्य ने किया है शोध पटना : राज्य के 27.6 प्रतिशत विशुद्ध रूप से भूमिहीन और आधा एकड़ तक जमीन के जोतदार 45.2 प्रतिशत लोगों की पशुपालन जीविका है. राज्य की इतनी […]

सूबे के पशुपालकों को सालाना कम-से-कम दो सौ करोड़ की क्षति

इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च ऑफ इंडिया के लिए राज्य किसान आयोग के सदस्य ने किया है शोध

पटना : राज्य के 27.6 प्रतिशत विशुद्ध रूप से भूमिहीन और आधा एकड़ तक जमीन के जोतदार 45.2 प्रतिशत लोगों की पशुपालन जीविका है. राज्य की इतनी बड़ी आबादी की जीविका के बावजूद पशु संसाधन के प्रति वर्तमान रवैये से राज्य के पशुपालकों को सालाना कम से कम दो सौ करोड़ रुपये की क्षति हो रही है.

यह शोध राज्य सरकार द्वारा गठित राज्य किसान आयोग के पूर्व सलाहकार डॉ राम केवल प्रसाद सिंह का है. उन्होंने आइसीएआर, नयी दिल्ली के लिए यह शोध कार्य पूरा किया था.

पशुओं में होती हैं 14 प्रकार की बीमारियां : अपने रिसर्च के माध्यम से उन्होंने बताया है कि राज्य के पशुओं में मूल रूप से 14 प्रकार की बीमारियां होती हैं. इनमें सर्वाधिक खतरनाक और महामारी की तरह फैलने वाली बीमारी एफएमडी (खुर पका-मुंह पका ) होता है. इससे पशुओं में बीमारी होने के साथ ही दूध उत्पादन में भरी कमी आ जाती है. टीकाकरण से ही इसे रोका जा सकता है.

पशुओं में होने वाली बीमारियों में मेस्टायटिस, एफएमडी, हेमरजिक सेप्टिसीमिया, ब्लैक क्वार्टर, इनटेरेटायटिस, ब्रूसेलिस, न्यूमोनिया, लीवर फ्लयूक, थिलरोसिस, टिक्स, डायरिया, मिल्क फीवर, सुर्रह, एंथ्रेक्स आदि खतरनाक बीमारी होती है. इन बीमारियों की इलाज नहीं होने से किसानों की पूरी मेहनत बरबाद हो जाती है.

इन बीमारियों से किसानों को कम से कम 146 करोड़ 17 लाख 80 हजार की क्षति होती है. इलाज ही नहीं, पशुओं के खान-पान, रख-रखाव आदि की वैज्ञानिक जानकारी नहीं रहने के कारण भी क्षति होती है.

पशुओं में कुपोषण, गर्भाधान, अस्पताल की व्यवस्था, हरे चारे और सूखे चारे की कमी के कारण क्षति का आकलन किया गया है. पशु चिकित्सा संघ के संरक्षक डॉ वीरेश प्रसाद सिन्हा ने कहा कि सिर्फ मेस्टायटिस और एफएमडी से बिहार के पशुपालकों को सालाना आर्थिक नुकसान हो रहा है.

फरवरी में होगा टीकाकरण : विभाग के प्रधान सचिव एसके मल्ल ने बीमारियों की भयावहता को स्वीकारते हुए कहा कि विभाग क्षति को कम करने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि फरवरी में एफएमडी का टीकाकरण होगा. इसकी सभी तैयारी पूरी कर ली गयी है. 2013 की फरवरी में टीकाकरण नहीं हो सका. मल्ल ने कहा कि भारत सरकार को एफएमडी पीपी कार्यक्रम में शामिल करना चाहिए. ऐसा करने से बिहार को बड़ी राहत मिलेगी. इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र भी लिखा है.

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