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छात्रों के भविष्य के प्रति गंभीर नहीं है सरकार

पटना: राज्य सरकार शिक्षा के प्रति सजग नहीं है. सरकार की लापरवाही के कारण 2013-14 में पॉलिटेक्निक में दाखिला लेने से हजारों छात्र वंचित हो गये. काउंसेलिंग नहीं होने से इंजीनियरिंग में पौने दो सौ सीटें खाली रह गयीं. बिहार में पहली बार मेडिकल कॉलेजों में सौ सीटें खाली रह गयीं. इसमें बेतिया मेडिकल कॉलेज […]

पटना: राज्य सरकार शिक्षा के प्रति सजग नहीं है. सरकार की लापरवाही के कारण 2013-14 में पॉलिटेक्निक में दाखिला लेने से हजारों छात्र वंचित हो गये. काउंसेलिंग नहीं होने से इंजीनियरिंग में पौने दो सौ सीटें खाली रह गयीं. बिहार में पहली बार मेडिकल कॉलेजों में सौ सीटें खाली रह गयीं. इसमें बेतिया मेडिकल कॉलेज की 25 सीटें शामिल हैं.

सूबे के पांच आयुव्रेदिक कॉलेजों में भी वर्तमान सत्र में नामांकन नहीं हो सका है. दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से आइटीआइ की परीक्षा भी रद्द कर दी गयी है. उक्त बातें शनिवार को विधान परिषद में विपक्ष के नेता सुशील मोदी ने कहीं. उन्होंने मुख्यमंत्री से उपरोक्त मामलों में सवाल पूछा है. सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन नहीं करने से यह पेच फंसा है. कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार सितंबर के बाद कोई एडमिशन नहीं लिया जा सकता. इस मामले में एआइसीटीआइ ने भी कोई राहत छात्रों को नहीं दी है.

आइटीआइ में सफल छात्र-छात्राओं का पॉलिटेक्निक की 984 सीटों पर द्वितीय वर्ष में नामांकन का प्रावधान है. इसके लिए बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद द्वारा परीक्षा ली जाती है. परीक्षा का परिणाम भी आया, लेकिन आइटीआइ ने परीक्षा ही रद्द कर दी. सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में 173 सीटों पर एडमिशन के लिए पहली काउंसेलिंग विलंब से होने के कारण उक्त सीटें खाली रह गयीं. पहली काउंसेलिंग सितंबर तक चली. जिस कारण दूसरी काउंसेलिंग कराने का समय ही नहीं बचा. पटना,भागलपुर,दरभंगा,बक्सर और बेगूसराय के आयुव्रेदिक कॉलेजों की मान्यता समाप्त होने के कारण चालू सत्र में नामांकन नहीं हो सका.

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