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स्टेटस सिंबल वाले बॉडीगार्ड वापस
कार्रवाई. चिह्नित 150 अंगरक्षकों को तीन दिनों में लाइन में योगदान का निर्देश पटना : पटना जिले में 150 कांस्टेबल बिल्डर, व्यवसायियों व वीआइपी के स्टेटस सिंबल बन कर घूम रहे थे. ये सभी बॉडीगार्ड के रूप में तैनात थे और इनकी जरूरत उन लोगों को नहीं थी. इसका खुलासा उस समय हुआ, जब एसएसपी […]
कार्रवाई. चिह्नित 150 अंगरक्षकों को तीन दिनों में लाइन में योगदान का निर्देश
पटना : पटना जिले में 150 कांस्टेबल बिल्डर, व्यवसायियों व वीआइपी के स्टेटस सिंबल बन कर घूम रहे थे. ये सभी बॉडीगार्ड के रूप में तैनात थे और इनकी जरूरत उन लोगों को नहीं थी.
इसका खुलासा उस समय हुआ, जब एसएसपी मनु महाराज ने आइजी कुंदन कृष्णन व डीआइजी शालीन के निर्देश पर उन तमाम कांस्टेबल की तैनाती की समीक्षा की. उन सभी कांस्टेबल को पुलिस लाइन वापस योगदान करने का निर्देश दे दिया गया है. योगदान देते ही इनकी ड्यूटी आम लोगों की सुरक्षा में लगायी जायेगी. इसके साथ ही डीआइजी ने शालीन ने गुरुवार को एसएसपी मनु महाराज को पत्र के माध्यम से निर्देश दिया कि जो भी कांस्टेबल तीन दिन के अंदर पुलिस लाइन में योगदान नहीं देते हैं, उनके खिलाफ कड़ी-से-कड़ी कार्रवाई की जाये.
पटना जिले में 853 कांस्टेबल विधायकों, नेताओं, बिल्डरों, व्यवसायियों की सुरक्षा में बॉडीगार्ड के रूप में तैनात हैं. पटना जिले की आबादी लगभग 41 लाख (2011 की जनगणना के अनुसार) है और पहले से ही पटना पुलिस में मात्र साढ़े सात हजार कांस्टेबल हैं.
खास बात है कि इनमें से करीब 700 कांस्टेबल ट्रेनिंग पर हैं. आंकड़े के अनुसार थाने से लेकर सड़क तक पर 5647 कांस्टेबल तैनात हैं. कम कांस्टेबल होने के कारण सुरक्षा व्यवस्था में जवानों की कंजूसी करनी पड़ रही है. डीआइजी शालीन के आदेश पर चेकिंग के लिए 40 प्वाइंट बनाये गये थे, लेकिन कांस्टेबल की कमी से कई प्वाइंटों को बंद करना पड़ा.
तो होगी कड़ी कार्रवाई
करीब 150 कांस्टेबल को तीन दिन के अंदर पुलिस लाइन में योगदान करने का निर्देश दिया गया है. योगदान नहीं देनेवालों पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
– शालीन, डीआइजी (केंद्रीय)
जरूरत नहीं, फिर भी हैं रखे हुए
एसएसपी की समीक्षा के दौरान कई तरह की बातें सामने आयी हैं. एक चिकित्सक को 12 साल पहले ही बॉडीगार्ड मिला था. उस समय उन्हें बॉडीगार्ड की जरूरत थी. तब उस समय उनके साथ घटना हो गयी थी. लेकिन वह कांस्टेबल अभी तक वहीं तैनात था. एक नेता के पास दो बॉडीगार्ड हैं, जबकि फिलहाल उन्हें किसी प्रकार का खतरा नहीं है. इसी तरह एक राजनेता पहले बिहार विधानसभा में बड़े ओहदे पर थे. इसके कारण उन्हें प्रोटोकॉल के मुताबिक बॉडीगार्ड दिया गया था, लेकिन अब वे उस पद पर नहीं हैं. इसके बाद भी हाउस गार्ड के रूप में कांस्टेबल उनके आवास पर तब से तैनात थे.
इन बिंदुओं पर समीक्षा
विधायक को नियमानुसार सरकार की अोर से तीन अंगरक्षक देने का प्रावधान है, लेकिन ऐसा तो काई नहीं, जिन्होंने इससे अधिक संख्या में बॉडीगार्ड रखा हो? दरअसल दूसरे जिलों के कुछ विधायकों ने वहां से भी बॉडीगार्ड ले लिये थे. ऐसे में कुछ विधायकों के पास तीन की जगह बॉडीगार्ड की संख्या पांच तक पहुंच गयी थी.
ऐसा कोई तो नहीं है, जिसके खिलाफ आपराधिक मामले भी दर्ज हैं और उन्हें सरकारी सुरक्षा मिली हुई है?
कुछ ऐसे बिल्डर या व्यवसायी तो नहीं है, जिन्हें किसी प्रकार का खतरा नहीं है और उन्होंने स्टेटस सिबंल के लिए बॉडीगार्ड रखा है?
ऐसे लोग तो नहीं हैं, जिन्हें वर्षों पहले जान पर खतरा था, लेकिन अब उन्हें अंगरक्षक की कोई जरूरत नहीं है?
ऐसा तो कोई वीआइपी नहीं, जिसे उसके पद के अनुसार बॉडीगार्ड दिया गया, अब वह उस पद पर नहीं है?
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