पटना: नगर निगम में राजस्व की कमी हमेशा बनी रहती है. दरअसल, निगम प्रशासन अपनी संपत्तियों का रखरखाव ठीक से नहीं कर पा रहा. कहीं खाली भूखंड पर अतिक्रमण है, तो कहीं संपत्ति की आवंटन की प्रक्रिया पूरा है तो एकरारनामा नहीं किया गया है. यह स्थिति मौर्या टावर की ही है. इससे निगम को राजस्व की भारी क्षति हो रही है. यह खुलासा निगम की ऑडिट रिपोर्ट में हुई है. इसके बाद से वहां कर्मियों के बीच हड़कंप मचा हुआ है.
लीज कराये बिना ही दे दिया किराये पर : मौर्यालोक शॉपिंग कॉम्पलेक्स में मौर्या टावर निगम के अधीन है. निगम प्रशासन ने मौर्या टावर की दुकान संख्या 1/203, 2/202, 2/205 और 1/204 के लीज धारकों को रेस्तरां व कैफे खोलने के लिए आवंटित किया. लेकिन, लीजधारकों ने निगम प्रशासन से न तो एकरारनामा लिया न ही एनओसी. बावजूद बिहार अरबन इन्फ्रास्ट्रर डेवलपमेंट प्रा लि (बुडको) को किराये पर दे दिया. लीजधारक बुडको से प्रति माह किराया की वसूली भी कर रहा है.
एनओसी नहीं लेनेवालों पर हुई प्राथमिकी : हाल में एएन कॉलेज के समीप ऑर्किड मॉल में निगम से एनओसी लिये बिना निर्माण कार्य कराया जा रहा था. इस पर निगम ने एसके पुरी थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. मौर्या टावर में आवंटित दुकानों में बुडको का कार्यालय बिना एकरारनामा व एनओसी के खुल गया. लेकिन, लीजधारक ने एक वर्ष में बुडको से 46 लाख रुपये किराये के रूप में वसूले. रिपोर्ट में सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी मुकेश कुमार ने सवाल उठाया कि निगम मुख्यालय से महज सौ गज की दूरी पर स्थित मौर्या टावर में बिना एकरारनामा व एनओसी के दफ्तर खुल गया. यह भू-संपदा पदाधिकारी व कर्मियों की मिलीभगत के संभव नहीं है.