पटना / गया : एक बार फिर मगध विश्वविद्यालय द्वारा दी गयी पीएचडी की डिग्री पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं. मामला इतना बड़ा है कि इसकी जांच का जिम्मा निगरानी विभाग को सौंपा गया है. विभाग यह जांच कर रहा है कि गत चार वर्षों में विदेशियों को दी गयी पीएचडी की उपाधि कितनी सही है और कितना इसमें घोटाला हुआ है. निगरानी द्वारा अन्य प्रकार की डिग्रियों की भी जांच की जा रही है. निगरानी विभाग वर्ष 2011 के बाद से अबतक की दी गयी डिग्री की जांच में लगा हुआ है. विभाग द्वारा सभी महत्पूर्ण डिग्री के अलावा विश्वविद्यालय के दस्तावेजों को खंगाला जा रहा है.
300 विदेशियों को पीएचडी की डिग्री
विश्वविद्यालय ने 300 विदेशी लोगों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की है. इसमें कई देशों के छात्र शामिल हैं. निगरानी को यह सूचना मिली की विश्वविद्यालय द्वारा आनन-फानन में थाईलैंड, वर्मा और श्रीलंका के नागरिकों को यह डिग्री प्रदान की गयी है. विभाग उन विदेशियों के पासपोर्ट और विजा से भी जानकारी हासिल कर रहा है कि वह कितने दिनों तक देश में रहे और किस प्रकार डिग्री हासिल की. उनकी पीएचडी के लिये लिखे गये दस्तावेजों के अलावा गया एअरपोर्ट और विदेश विभाग से भी जानकारी हासिल की जा रही है.
निगरानी के हवाले जांच
विभाग अपने जांच के दायरे को संबंधित विषयों और मार्कशीट के अलावा यह भी पता लगा रही है कि 2011 के बाद कितने विदेशी छात्रों ने पीएचडी के लिये आवेदन दिया. आवेदन में उनके नाम और पते क्या है. इतना ही नहीं विश्वविद्यालय द्वारा बैंक के जिस खाते का संचालन होता है उसका भी पता लगाया जा रहा है. इसमें परीक्षा नियंत्रक द्वारा संचालित बैंक खातों की भी जांच की जा रही है.
पहले भी उठा है ऐसा मामला जानकारी की माने तो इस मामले में विश्वविद्यालय का रिकार्ड ठीक नहीं है. मगध विश्वविद्यालय में पहले भी फर्जी डिग्री का मामला सामने आता रहा है. पंजाब के एक अधिकारी की डिग्री का मामला सुर्खियों में आया था जब एक स्थानीय चैनल ने यह मामला उठाया था. अब इसकी जांच निगरानी के जिम्मे है.