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असली लोकतंत्र अभी बाकी : दिवाकर
पटना : डॉ डीएम दिवाकर ने कहा कि संविधान में सामाजिक लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के प्रावधान तो हुए, लेकिन धरती पर असली लोकतंत्र को अभी उतरना बाकी है. वे बाबू जगजीवन राम की जयंती के अवसर पर ‘जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान’ द्वारा आयोजित स्मृति व्याख्यानमाला में बोल रहे थे. उन्होंने […]
पटना : डॉ डीएम दिवाकर ने कहा कि संविधान में सामाजिक लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के प्रावधान तो हुए, लेकिन धरती पर असली लोकतंत्र को अभी उतरना बाकी है. वे बाबू जगजीवन राम की जयंती के अवसर पर ‘जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान’ द्वारा आयोजित स्मृति व्याख्यानमाला में बोल रहे थे. उन्होंने लोकतंत्र की चुनौतियों को इंगित करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित करने में राज्य की भूमिका सिमटती जा रही है. हमारा संसद गरीबों की बात तो करता है, पर काम कॉरपोरेट के लिए करता है.
उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यह सोचने वाली बात है कि लोकतंत्र में तानाशाही कैसे आ गयी? यह सोचनीय है कि संसदीय लोकतंत्र पूंजी का है या जनसाधारण का? उन्होंने राजनीति के अपराधीकरण की चर्चा करते हुए प्रश्न उठाया कि क्या वजह है कि आज मतदान के समय नोटा की संख्या बढ़ गयी है?
संस्थान के निदेशक श्रीकांत ने विषय प्रवेश कराते हुए इसके औचित्य पर प्रकाश डाला. अतिथियों का स्वागत डॉ वीणा सिंह और धन्यवाद ज्ञापन अरुण सिंह ने किया. समारोह का संचालन डाॅ मनोरमा ने किया. मौके पर सर्वेन्द्र कुमार वर्मा, अख्तर हुसैन, शेखर, प्रभात सरसिज, इन्द्रा रमण उपाध्याय, इन्दु सिन्हा और संतोष यादव आदि मौजूद थे.
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