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अवैध शराब का पता खुद बताने लगे लोग

हेल्पलाइन पर तीन दिनों में आयीं 114 शिकायतें पटना : राज्य में शराबबंदी को सफल बनाने के लिए अब आम लोगों ने भी कमर कस ली है. लोग खुद हेल्पलाइनों में फोन कर अवैध शराब के बारे में पता बताने लगे हैं. देसी, मसालेदार और चुलाई की शराब की अवैध बिक्री या बनाने की शिकायत […]

हेल्पलाइन पर तीन दिनों में आयीं 114 शिकायतें
पटना : राज्य में शराबबंदी को सफल बनाने के लिए अब आम लोगों ने भी कमर कस ली है. लोग खुद हेल्पलाइनों में फोन कर अवैध शराब के बारे में पता बताने लगे हैं. देसी, मसालेदार और चुलाई की शराब की अवैध बिक्री या बनाने की शिकायत करने के लिए उत्पाद विभाग और पुलिस महकमा ने अलग-अलग कंट्रोल रूम बना रखा है.
इसे शुरू हुए मात्र तीन दिन हुए हैं, पर हेल्पलाइन नंबरों पर 114 शिकायतें आयी हैं. इसमें 23 शिकायतें पुलिस की हेल्पलाइन और 91 शिकायतें उत्पाद विभाग की टॉल-फ्री नंबर पर आयी हैं. यानी हर पौने दो घंटे में हेल्पलाइन के नंबरों पर एक फोन कॉल आया है. 10 से कम शिकायतें सटीक थीं. इन स्थानों पर छापेमारी करने पर पुलिस को सफलता मिली है.
पटना के आसपास की जानकारी सही
पुलिस विभाग की हेल्पलाइन पर एक फोन कॉल के माध्यम से दानापुरा के दियारा इलाके में अवैध रूप से करीब 60-70 की संख्या में देसी शराब पॉउच होने की जानकारी दी गयी. पुलिस सटीक पता प्राप्त कर कार्रवाई की, तो जानकारी पक्की मिली. करीब 80 देसी पॉउच बरामद किया गया. इसी तरह बिहटा, बिक्रम समेत अन्य क्षेत्रों में भी कुछ स्थानों पर फोन कॉल की जानकारी के आधार पर कार्रवाई की गयी.
कई शिकायतें गलत भी हेल्पलाइन नंबरों पर जितनी संख्या में फोन कॉल आते हैं, उनमें कई शिकायतें विशिष्ट नहीं होती हैं. नियमानुसार, हेल्पलाइन पर मिलने वाली शिकायतों पर अधिकतम 24 घंटे के अंदर कार्रवाई करनी है. इसके तहत जो भी शिकायतें मिलती हैं, उन पर तुरंत कार्रवाई की जाती है. परंतु कई शिकायतों में पता गलत होने के कारण पुलिस या छापेमारी दल को बैरंग लौटना पड़ा. कई शिकायतों में पता ही गलत बताया गया था. जिस टोला या गांव का जिक्र किया रहता है, उस नाम का कोई स्थान रहता ही नहीं है.
मुख्यमंत्री बोले : शहरी क्षेत्रों में भी शीघ्र लागू होगी पूर्ण शराबबंदी
राजगीर में पुरोहितों के सम्मेलन में राज्य में लागू की गयी शराबबंदी की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले छात्र-छात्राओं के अभिभावकों से एक करोड़ 17 लाख शपथ पत्र प्राप्त हुआ है. सात लाख स्थलों पर शराबबंदी के खिलाफ कार्ड लिखे गये हैं. उन्होंने कहा कि सूबे में 04 अप्रैल को पुलिस वालों को शराबबंदी का संकल्प दिलाया जायेगा, जबकि 05 अप्रैल को आइएएस सहित सभी अधिकारियों को संकल्प दिलाया जायेगा. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के बाद अब बारी शहरी क्षेत्रों में पूर्ण शराब बंदी की है. शीघ्र ही शहरी क्षेत्रों में भी इसे लागू किया जायेगा.
400 को लाइसेंस, खुलीं 25 दुकानें
शराबबंदी लागू होने के बाद बिहार स्टेट वेबरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएसबीसीएल) को राज्य के सभी नगर निगम और नगर परिषद क्षेत्र में 656 विदेशी शराब दुकानों को खोलना है. परंतु अभी तक 400 दुकानों का ही लाइसेंस लेने में बीएसबीसीएल सफल हो पाया है. इसमें 100 दुकानों को खोलने के लिए स्थान समेत अन्य सभी सुविधाएं मिल गयीं हैं, लेकिन पूरे राज्य में अब तक महज 25 दुकानें ही खुल पायी हैं. पटना नगर निगम क्षेत्र में 90 विदेशी दुकानें खुलनी हैं, लेकिन इनमें महज तीन दुकानें ही खुल पायी हैं.
अब सार्वजनिक स्थानों पर ताड़ी बेचने पर भी लगाया गया प्रतिबंध
पटना. राज्य में सार्वजनिक स्थानों पर अब ताड़ी बेचने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. अगर किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई ताड़ी बेचते पकड़ा गया, तो उसे सीधे जेल भेज दिया जायेगा.
इस संबंध में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने शनिवार को आदेश जारी कर दिया है. इसके अनुसार, राज्य के किसी भी ग्रामीण या शहरी क्षेत्र में मौजूद सार्वजनिक स्थल पर ताड़ी की खरीद-बिक्री नहीं की जायेगी. हालांकि इन स्थानों पर ताड़ी पीने की कोई मनाही नहीं होगी. ताड़ी का उपयोग राज्य में सिर्फ व्यक्तिगत रूप से ही किया जा सकता है.
इसी वजह से ताड़ी पर किसी तरह का उत्पाद शुल्क नहीं वसूला जाता है. उत्पाद विभाग ने ताड़ी की खरीद-बिक्री को भी पूरी तरह से प्रतिबंधित करते हुए इसे भी शराबबंदी अभियान के दायरे में शामिल कर दिया है. ताड़ी का उपयोग व्यक्तिगत तौर पर किया जा सकता है. यानी इसके पीने पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध या सजा का प्रावधान नहीं है.
परंतु शर्त यह है कि इसे खरीदना या बेचना नहीं है. पीने के लिए पेड़ से उतारकर सीधे इसका उपयोग कर सकते हैं. इसका किसी रूप में व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जा सकता है. ताड़ी की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने का प्रमुख कारण शराबबंदी अभियान को सूबे में सफल बनाना है. यह माना जा रहा है कि देसी या चुलाई की शराब बंद होने के बाद ताड़ी का व्यापार सबसे ज्यादा बढ़ता और इसे की तरह से नशीला बनाकर लोग उपयोग कर सकते थे, जो बड़ी समस्या पैदा कर सकता है. इसके मद्देनजर ताड़ी के व्यावसायिक उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया गया है.

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