पटना: जदयू ने केंद्र सरकार द्वारा उतराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के केंद्र के फैसले का कड़ा प्रतिरोध किया है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सांसद केसी त्यागी ने कहा कि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन थोपे जाने के केंद्र सरकार के असंवैधानिक फैसले की जदयू कड़े शब्दों में निंदा करता है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का यह फैसला लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने वाला है. सरकार के इस कुकृत्य से कॉपरेटिव फेडरलिज्म के प्रति उसकी मानसिकता भी परिलक्षित होती है. 28 मार्च, को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत सदन में बहुमत पेश करने की कवायद में थे. केंद्र सरकार एक दिन का इंतजार किये बगैर यह फैसला कैसे ले सकती है? त्यागी ने कहा कि 25 जनवरी, 2016 को अरूणाचल प्रदेश में भी राज्यपाल पद का दुरुपयोग कर केंद्र सरकार द्वारा चुनी हुई राज्य सरकार को अस्थिर कर राष्ट्रपति शासन थोपा गया था.
गैर भाजपाई दलों की सरकारों को अस्थिर करने का प्रयास एक साजिश है जो लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी भी है. सांसद त्यागी ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा हेतु जदयू, भाजपा के सहयोगी दल, खासकर टीडीपी, अकाली दल, शिव सेना तथा पीडीपी समेत सभी गैर भाजपा दलों से अनुरोध करती है कि केंद्र सरकार के इस अनैतिक प्रयास का एकजुट होकर विरोध करे. आगामी संसद सत्र में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाये. पार्ट ने राष्ट्रपति महोदय से अनुरोध किया है कि वह राज्य में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी प्रदान करने के फैसले पर एक बार पुनर्विचार करें.