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विधानमंडल सत्र : 2019 तक बिजली उत्पादन में बिहार सबसे आगे

ऊर्जा विभाग का 143 अरब 67 करोड़ 84 लाख 49 हजार का बजट पारित ऊर्जा मंत्री बोले केंद्र और राज्य मिल कर काम करे, तो विकास में कभी पीछे नहीं रहेगा बिहार ऊर्जा मंत्री ने कहा, 2017 तक हर घर को बिजली देने का तय किया लक्ष्य पटना : 2019 तक बिजली उत्पादन के मामले […]

ऊर्जा विभाग का 143 अरब 67 करोड़ 84 लाख 49 हजार का बजट पारित
ऊर्जा मंत्री बोले केंद्र और राज्य मिल कर काम करे, तो विकास में कभी पीछे नहीं रहेगा बिहार
ऊर्जा मंत्री ने कहा, 2017 तक हर घर को बिजली देने का तय किया लक्ष्य
पटना : 2019 तक बिजली उत्पादन के मामले में बिहार ‘नंवर-वन’ राज्य बनेगा. 18 मार्च तक नवी नगर, मुजफ्फरपुर और बरौनी की इकाईयों से भरपूर बिजली मिलने लगेगी. सरकार ने 2017 तक हर घर को बिजली देने का लक्ष्य तय किया है.
घर-घर बिजली पहुंचाने के लिए ऊर्जा विभाग और ग्रिड कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया छह जिलों क्रमश: नवादा, छपरा, भागलपुर, शेखपुरा, गया और पटना में 1792 करोड़ की लागत से ग्रिड बना रहा है. यह घोषणा गुरुवार को ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव ने विधानसभा में की. वे ऊर्जा विभाग के बजट प्रस्ताव पर बोल रहे थे. उनके जवाब से असंतुष्ट एनडीए के विधायक सदन से वाक-आउट कर गये. सदन ने 143 आरब, 67 करोड़, 84 लाख और 49 हजार का ऊर्जा विभाग का बजट ध्वनिमत से पारित कर दिया.
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि बिहार ने विद्युत उत्पादन की यात्रा शून्य से शुरू की थी, आज हम 34 सौ से आधिक मेगावाट बिजली का उपयोग कर रहे हैं. हमने ही नहीं, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आनेवाले दिनों में बिहार ‌बिजली उत्पादन व उपयोग करनेवाला देश का नंबर-वन राज्य बनेगा. उन्होंने कहा कि बिजली के मामले में केंद्र से सहयोग नहीं मिल रहा. जब अटल जी पीएम थे, तब उन्होंने ग्राम सड़क और ग्राम विद्युत योजना के तहत मुफ्त बिजली देने की योजना बनायी थी. तब 90 प्रतिशत रेवेन्यू विलेजों को मुफ्त में बिजली दी भी गयी थी.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इसे जारी रखा, किंतु वर्तमान केंद्र सरकार ने इसमें कटौती कर दी. केंद्र इस मद में अब 90 के बजाय 60 प्रतिशत ही अनुदान दे रहा है. यही नहीं, बिहार की दीन दयाल उपाध्याय योजना के टेंडर की स्वीकृति भी दो दिन पहले दी गयी है. उन्होंने कहा कि बिहार ईस्टर्न-जोन में आता है. इसमें 10 प्रतिशत राज्य, 15 प्रतिशत केंद्र इन्वेस्ट करता है. ईस्टर्न जोन की बिजली का 75 प्रतिशत राज्य उपयोग करता है.
उन्होंने कहा कि बिहार को नयी यूनिटों से मंहगी बिजली मिल रही है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल से हमने सस्ती बिजली देने का आग्रह किया है. उन्हने कहा कि केंद्रीय विमान पत्तन प्राधिकरण की आपत्ति के कारण मुजफ्फरपुर यूनिट से कम बिजली का उत्पादन होगा. चौसा, पीरपैंती और कजरा में पावर प्लांट लगाने की भी केंद्र से अनुमति मांगी गयी है. केंद्र और राज्य यदि मिल-जुल कर काम करे, तो बिहार बिजली के मोरचे पर विकास में कभी पीछे नहीं रहेगा.
सदन में विपक्ष के निशाने पर रहे पीएचइडी मंत्री : विधानसभा में गुरुवार को लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण (पीएचइडी) मंत्री विपक्ष के निशाने पर रहे. राज्य में पेयजल को लेकर पूछे गये सवाल पर उनका जवाब होता था कि सात निश्चय में इसे शामिल किया गये है. इसे लेकर विपक्ष के सदस्यों का कहना था कि सात निश्चय को सुनकर लोगों के कान पक गये हैं.
इस पर संसदीय कार्य मंत्री ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि विपक्ष का कान पक चुका जबकि जनता ने सात निश्चय पर ही पूर्ण बहुमत देने का काम किया है. सत्यदेव प्रसाद सिंह ने कहा कि भाजपा के नेताओं ने जो घोषणा की है ढाई साल बाद खुद उसको जुमला कहते हैं.
इनको अपनी घोषणा का ध्यान ही नहीं है. भाजपा विधायक मिथिलेश तिवारी ने पीएचइडी मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा से जानना चाहा था कि राज्य सरकार के सात निश्चय में हर घर में नल से जल व हर घर में शौचालय बनाने की योजना के तहत सभी जिलों में चयनित 400 ग्राम में पाइप जलापूर्ति की 330 योजनाएं वित्तीय वर्ष 2014-15 से प्रस्तावित हैं. पिछले डेढ़ साल में आवंटित 250 करोड़ में से केवल 25 फीसदी राशि का अब तक खर्च नहीं हो सका है. इसके जवाब में मंत्री ने बताया कि 12 दिसंबर, 2015 को कैबिनेट द्वारा हर घर में
पेयजल की योजना को सात निश्चय में शामिल कर लिया गया है. ऐसी स्थिति में 2014-15 की योजना लेने का प्रश्न ही नहीं उठता.
इस पर प्रश्नकर्ता ने कहा कि सात निश्चय सुनकर लोगों के कान पक गये हैं. भाजपा नेता नंद किशोर यादव ने पूछा कि सात निश्चय अभी का है. इसके पहले सुशासन के कार्यक्रम में स्वच्छ पेयजल को मिशन मोड में लिया गया था. आखिर 250 करोड़ की योजना की राशि का 25 फीसदी भी खर्च नहीं हुआ, सवाल यह है.
इस पर सत्ता पक्ष की ओर से किसी सदस्य ने कहा कि इसके पहले पांच साल तक यह विभाग किसके पास था, क्या उस मंत्री ने कोई काम नहीं किया. इस पर पलटवार करते हुए नंद किशोर यादव ने कहा कि पांच सालों में 11 माह तक मुख्यमंत्री के अंदर में यह विभाग रहा है. उनको भी इसका जवाब देना होगा. सरकार के जबाब नहीं मिलने व आसन की ओर से नंद किशोर यादव को बैठने का इशारा करने पर नंद किशोर यादव ने पूछा कि क्या सदस्यों को सवाल पूछने का अधिकार नहीं है. अगर ऐसा है तो वह बैठ जाते हैं पर सवाल कोई नहीं पूछ पायेगा.
बजट में अंतर को लेकर विपक्ष ने किया सदन से वॉकआउट
स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिये गये प्रतिवेदन में विभाग का बजट व बजट भाषण में अंकित राशि में अंतर को लेकर विपक्ष ने सदन का वॉक आउट किया. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव ने बजट पर वाद-विवाद के बाद जवाब में कहा कि 2016-17 में स्वास्थ्य विभाग का बजट 8234 करोड़ 70 लाख है.
इसके बाद विभाग से संबंधित वक्तव्य सदन के पटल पर रखा. इससे पहले भाजपा के रजनीश कुमार ने स्वास्थ्य विभाग की चर्चा करते हुए कहा कि विभाग द्वारा रोगी जोड़ डॉक्टर जोड़ इलाज बराबर अस्पताल के रूप में परिभाषित किया गया है. राज्य के सभी अस्पताल में जहां 11 हजार 400 डॉक्टरों की जरूरत है. वहां मात्र 1600 डॉक्टर हैं. पीएमसीएच की कुव्यवस्था पर खुद एससी-एसटी मंत्री संतोष कुमार निराला टिप्पणी कर चुके हैं. भाजपा की किरण घई सिन्हा जब स्वास्थ्य विभाग पर बोल रही थी उस समय रजनीश कुमार ने कहा कि जिस विभाग पर चर्चा हो रही है. उसके बजट राशि में अंतर है.
बजट भाषण में विभाग का बजट 8234 करोड़ 70 लाख है, जबकि विभाग द्वारा जो प्रतिवेदन दिया गया है उसमें 8246 करोड़ 44 लाख है. योजना मद की राशि में बजट भाषण में 5337 करोड़ 18 लाख, जबकि प्रतिवेदन में 5347 करोड़ 92 लाख है. गैर योजना मद में बजट भाषण व प्रतिवेदन में समान राशि 2897 करेाड़ 52 लाख है. उन्होंने कहा कि आखिर किस पर चर्चा होनी चाहिए. सदन में स्वास्थ्य मंत्री मौजूद हैं उन्हें स्पष्ट करना चाहिए. उप सभापति हारुण रशीद ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री द्वारा जवाब देने के समय स्पष्ट कर दिया जायेगा. इस पर विपक्ष सदन से वॉकआउट कर गया.
शून्यकाल में विपक्ष वेल में, चली पूरी कार्यवाही
शून्यकाल में मुख्य विपक्षी दल सहित एनडीए के सदस्य वेल में आ गये. उनकी मांग थी कि सरकारी अस्पतालों में दवा की आपूर्ति ठप है. गरीब मरीजों को दवा नहीं मिलने से जान खतरे में है. इधर विपक्ष द्वारा वेल में आने के बाद भी विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने सदन की कार्यावही संचालित की और शोरगुल व हंंगामे के बीच पूरी कार्यवाही संपन्न हुई.
सवाल हुआ स्थगित : नगर विकास एवं आवास मंत्री महेश्वर हजारी सुल्तानगंज के गंगा किनारे के खरतरनाक घाटों के विकास को लेकर सदन को संतुष्ट नहीं कर सके. मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होने पर विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने प्रश्न को स्थगित कर दिया. इस पर फिर बाद में सरकार को जवाब देना होगा.
डीएम की रिपोर्ट मिलने पर नयी नगर पंचायतों का गठन : हजारी
नगर विकास एवं आवास मंत्री महेश्वर हजारी ने बताया कि सरकार 12 हजार से अधिक आबादीवाली पंचायतों को नगर पंचायत के रूप में अधिसूचित करेगी. उन्होंने बताया कि इस दिशा में सभी जिलाधिकारियों को चार जनवरी व 19 फरवरी, 2016 को पत्र भेज कर ऐसी पंचायतों के संबंध में रिपोर्ट की मांग की गयी है.
वे गुरुवार को विधानसभा में सत्यदेव प्रसाद सिंह के प्रश्न का जवाब दे रहे थे. उन्होंने बताया कि सरकार ने 2011 की जनसंख्या के आधार पर जिलाधिकारियों से 12 हजार से ऊपर की आबादीवाली पंचायतों को नगर पंचायत के रूप में परिवर्तन करने की घोषणा की है. जिलों से रिपोर्ट का इंतजार है. सत्यदेव प्रसाद सिंह का प्रश्न था कि सीवान जिला के गोरेया कोठी विधानसभा क्षेत्र के बसंतपुर बाजार काफी पुराना बाजार है.
इसमें प्रखंड, अंचल, थाना, निबंधन एवं विद्युत कार्यालय के अलावा 90 प्रतिशत व्यापारी अपना कार्यकलाप करते हैं. वर्ष 2004 में तत्कालीन विभागीय मंत्री द्वारा इस बाजार को नगरपालिका का दर्जा देने की घोषणा की गयी थी.
1646 मदरसे लाये जायेंगे अनुदान की श्रेणी में : अशोक चौधरी
शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने सदन को बताया कि राज्य के 1646 मदरसों को अनुदान की श्रेणी में लाना है. इन मदरसों को अनुदान की श्रेणी में लाने के बाद ही किसी अन्य मदरसे को अनुदान की श्रेणी में लाने पर विचार किया जायेगा. शिक्षा मंत्री गुरुवार को विधानसभा में नौशाद आलम के सवाल का जवाब दे रहे थे. शिक्षा मंत्री ने बताया कि राज्य के अंतर्गत स्वीकृत 1128 मदरसे हैं.
इसके अतिरिक्त 2459 जोड़ एक कोटि के मदरसों के मामले पर सरकार द्वारा विचार करने का निर्णय लिया गया है. सरकार द्वारा राज्य के अराजकीय स्वीकृत 1128 मदरसों में कार्यरत शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मियों को देय वेतनमान के आधार पर भुगतान किया जाता है. राज्य के 2459 जोड़ एक कोटि के अंतर्गत 205 व 609 यानी कुल 814 स्वीकृत मदरसा को नियत वेतनमान दिया जाता है.
इस कोटि के शेष 1646 मदरसों को अनुदान की श्रेणी में लाया जाना है. नौशाद आलम ने सरकार से जानना चाहा था कि क्या सभी अर्हता पूरी करने के बाद बिहार राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा स्वीकृति दिये गये 339 मदरसों को अनुदान की श्रेणी में लाने के लिए 2459 जोड़ एक कोटि के मदरसों के साथ भूलवश सचिव द्वारा शिक्षा विभाग को नहीं भेजा गया. विशेष निदेशक द्वारा सचिव को दिये गये 339 मदरसों की सूची शिक्षा विभाग को उपलब्ध करायी थी. एक साल गुजरने के बाद भी इनको अनुदान की श्रेणी में नहीं लाया गया है.

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