Advertisement
राम भरोसे पब्लिक, वीआइपी के पीछे बॉडीगार्ड
सच का सामना. पटना में 41 लाख की आबादी पर मात्र साढ़े सात हजार कांस्टेबल, बॉडीगार्ड हैं 853 एक ओर शहर में पुलिस बल की कमी है, तो दूसरी ओर सैकड़ों कांस्टेबल विधायकों, नेताओं, बिल्डरों, व्यवसायियों के बने हुए हैं अंगरक्षक. नितिश पटना : पुलिस बल की कमी से जूझ रहे पटना जिले में 853 […]
सच का सामना. पटना में 41 लाख की आबादी पर मात्र साढ़े सात हजार कांस्टेबल, बॉडीगार्ड हैं 853
एक ओर शहर में पुलिस बल की कमी है, तो दूसरी ओर सैकड़ों कांस्टेबल विधायकों, नेताओं, बिल्डरों, व्यवसायियों के बने हुए हैं अंगरक्षक.
नितिश
पटना : पुलिस बल की कमी से जूझ रहे पटना जिले में 853 कांस्टेबल विधायकों, नेताओं, बिल्डरों, व्यवसायियों की सुरक्षा में तैनात हैं. पटना जिले की आबादी 41 लाख (2011 की जनगणना के अनुसार) के आसपास है और पहले से ही पटना पुलिस में मात्र साढ़े सात हजार कांस्टेबल हैं.
इतने लोगों में सुरक्षाकर्मियों की संख्या इतनी कम है, इसके बावजूद वीआइपी की सुरक्षा में 853 कांस्टेबल स्वीकृत किये गये हैं. खास बात है कि साढ़े सात हजार की संख्या से ही 853 कांस्टेबल को बॉडीगार्ड बनाये गये हैं. वर्तमान स्थिति यह है कि करीब एक हजार कांस्टेबल भी ट्रेनिंग में चले गये हैं और थाने से लेकर सड़क तक पर 5647 कांस्टेबल ही कार्यरत हैं. कम कांस्टेबल होने का खामियाजा यहां की सुरक्षा व्यवस्था पर पड़ रहा है. डीआइजी शालीन के आदेश पर चेकिंग के लिए 40 प्वाइंट बनाये गये थे, लेकिन कई प्वाइंटों को कांस्टेबल की कमी के कारण बंद कर दिया गया है.
कुछ माननीय की सुरक्षा में पांच कांस्टेबल तक
विधायक को नियमानुसार सरकार द्वारा तीन अंगरक्षक प्रदान किये गये हैं, लेकिन उन्होंने चालाकी से अपने विधानसभा क्षेत्र के जिले से भी बॉडीगार्ड स्वीकृत करा रखा है. उनके पास सरकार द्वारा दिये गये तीन अंगरक्षक तो हैं ही, दूसरे जिले से स्वीकृत कराये गये अंगरक्षक भी हैं.
इसके कारण अंगरक्षकों की संख्या पांच तक पहुंच गयी है. इसमें कुछ कांस्टेबल लंबे समय से एक ही व्यक्ति की सुरक्षा में है. इसके अलावा कुछ लोग ऐसे हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले भी दर्ज हैं और उन्हें सरकारी सुरक्षा मिली हुई है.
स्टेटस सिंबल के लिए भी ले रखे हैं अंगरक्षक
कुछ बिल्डर या व्यवसायी ऐसे हैं, जिन्हें किसी प्रकार का खतरा नहीं है, लेकिन वे स्टेटस सिबंल के लिए सरकारी अंगरक्षक स्वीकृत करा रखे हैं. ऐसे भी कुछ शख्स हैं, जिन्हें पहले जान पर खतरा था और उन्होंने कई वर्षों पहले सरकारी अंगरक्षक लिये थे, अब उन्हें अंगरक्षक की कोई जरूरत नहीं है, इसके बाद भी वे अपने अंगरक्षक रखे हुए हैं.
इस बिंदु पर कभी भी किसी पुलिस अधिकारी द्वारा प्रयास तक नहीं किया गया, जिसके कारण पटना पुलिस से नये अंगरक्षक तो बनाये जा रहे हैं, लेकिन पुराने की वापसी नहीं हो रही है. यह स्थिति तब है, जब पटना पुलिस हर बार जवानों की कमी का रोना रो रही है. एेसे भी कुछ राजनेता हैं, जो पहले किसी पद पर थे और उन्हें सरकार द्वारा हाउस गार्ड तक दिया गया था. अब वे उस पद पर नहीं हैं, जिसके कारण उन्हें हाउस गार्ड नहीं दिया जा सकता है. इसके बाद भी उनके पास हाउस गार्ड मौजूद है. ऐसे गार्डों को यदि वापस बुला लिया जाये, तो कुछ हद तक जवानों की कमी दूर होगी.
आइजी ने दिया कार्रवाई का एसएसपी को निर्देश
जोनल आइजी कुंदन कृष्णन ने एसएसपी मनु महाराज को सरकारी बॉडीगार्ड के संबंध में समीक्षा करने का निर्देश दिया है, ताकि इसका खुलासा हो सके कि किन्हें बॉडीगार्ड की जरूरत है और किन्हें नहीं. अगर समीक्षा में बॉडीगार्ड की आवश्यकता सामने नहीं आयेगी, तो ऐसी स्थिति में आइजी ने वैसे बॉडीगार्ड को तुरंत हटाने को कहा है, जिनकी वीआइपी को जरूरत नहीं है.
तो 250 कांस्टेबल आ सकते हैं वापस
बॉडीगार्ड मामले को गंभीरता से लेते हुए आइजी कुंदन कृष्णन द्वारा दिये गये इस निर्देश के बाद यह संभावना जतायी जा रही है कि वीआइपी की सुरक्षा में तैनात कम-से-कम 250 कांस्टेबल वापस आ सकते हैं. वापस लौटने पर इन लोगों से आम लोगों की सुरक्षा को लेकर ड्यूटी ली जा सकती है. ऐसे में पुलिस बल की कुछ कमी दूर हो सकती है. मालूम हो कि कांस्टेबल की कमी के कारण ही कई जगहों पर ट्रैफिक जांच प्वाइंट को बंद कर दिया गया है. जवान के आने से कुछ जगहों की समस्या दूर हो सकती है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement