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असर: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से राज्य में बालू उठाव व खनन पर लगायी गयी रोक, गिट्टी न बालू, कई प्रोजेक्टों पर लगा ब्रेक

पटना: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा राज्य में बालू उठाव व खनन पर लगायी गयी रोक ने पूरे प्रदेश में चल रहे निर्माण कार्यों पर ब्रेक लगा दिया है. चोरी-छुपे थोड़ी बहुत हो रही बालू बिक्री को छोड़ दें, तो सामान्य मकान से लेकर अपार्टमेंट व सरकारी प्रोजेक्ट ठप पड़ गये हैं. सरकार ने गिट्टी […]

पटना: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा राज्य में बालू उठाव व खनन पर लगायी गयी रोक ने पूरे प्रदेश में चल रहे निर्माण कार्यों पर ब्रेक लगा दिया है. चोरी-छुपे थोड़ी बहुत हो रही बालू बिक्री को छोड़ दें, तो सामान्य मकान से लेकर अपार्टमेंट व सरकारी प्रोजेक्ट ठप पड़ गये हैं. सरकार ने गिट्टी (कंक्रीट) पर पहले से ही रोक लगा रखी है. अब बालू पर लगी रोक से न सिर्फ निर्माण क्षेत्र, बल्कि इससे जुड़े दूसरे व्यवसाय भी प्रभावित हुए हैं. ट्रैक्टर चालक से लेकर मजदूर व भवन निर्माण सामग्रियों के उपयोग में भी कमी आयी है.
दोगुने दाम पर हो रही बिक्री
राजधानी में बालू की आपूर्ति पश्चिम में दानापुर से लेकर कोईलवर व पूरब में फतुहा से लेकर बख्तियारपुर से होती है. मगर खनन व उठाव पर रोक से बालू कारोबारी गायब हो गये हैं. आम दिनों में सगुना मोड़ से लेकर कुर्जी के आसपास सड़कों पर बालू लदे दर्जनों ट्रैक्टर टेलर दिख जाते थे, जिनकी संख्या काफी कम हो गयी है. ये लोग भी बालू की दोगुनी कीमत वसूल रहे हैं. इनका कहना है कि बरसात से पहले उन लोगों ने बालू का स्टॉक कर रखा था, जो अब बेच रहे हैं.
कहीं ढलाई, तो कहीं प्रोजेक्ट ही रुके
बालू के अभाव में कई लोगों ने अपने मकान का निर्माण बीच में ही रोक दिया है. शहर में कई ऐसे मकान दिखे, जिसकी छत के लिए सेंट्रिंग तो हो चुकी है, लेकिन बालू नहीं मिलने से उसकी ढलाई नहीं पा रही है. निजी बिल्डर भी प्रोजेक्ट रुकने से निराश हैं. सबसे अधिक प्रभाव सरकारी प्रोजेक्ट पर दिख रहा है. कई बड़े प्रोजेक्ट इंचार्ज बालू के अभाव में काम रुके होने की बात कह रहे हैं. निर्माण क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि बालू का अधिक भंडारण संभव नहीं है. इसलिए, दो-चार दिन में ही परेशानी बढ़ गयी है.
अन्य निर्माण सामग्रियों पर भी बालू का साइड इफेक्ट
बालू उठाव पर रोक लगने से न सिर्फ निर्माण कार्य ठप पड़ गये हैं, बल्कि इससे जुड़े दूसरे रोजगार व व्यवसाय पर भी गहरा असर पड़ा है. बालू खनन व उठाव पर रोक का साइड इफेक्ट ईंट, सीमेंट, छड़, मार्बल से लेकर कई निर्माण सामग्रियों की बिक्री पर पड़ा है. इन व्यवसाय से जुड़े लोगों की मानें तो पिछले कुछ दिनों में इनकी बिक्री में कमी आयी है. बालू पर रोक लगने से इसके ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े ट्रैक्टर व ट्रक चालक भी बेरोजगार हुए हैं.
मजदूरों का रोजगार भी छिना
निर्माण क्षेत्र से जुड़े लोगों की मानें तो पूरे साल में वर्तमान समय निर्माण कार्य के लिए काफी मुफीद होता है. इस वक्त मानव बल से लेकर निर्माण सामग्रियां काफी आसानी से सुलभ होती हैं. ऐसे में ठीक इसी वक्त बालू उठाव पर रोक लगने से असर पड़ेगा ही. होली से पहले मजदूर बेरोजगार होंगे ही दूसरी सामग्रियों की बिक्री घटने से बाजार भी डाउन होगा. विशेषज्ञों के मुताबिक कृषि के बाद निर्माण सेक्टर सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता क्षेत्र है और बालू-गिट्टी इसका प्रमुख घटक है. अगर बालू पर लगी रोक लंबे समय तक कायम रही, तो राज्य की जीडीपी पर भी इसका असर दिख सकता है.
इनकी परेशानी बढ़ी
बालू उठाव पर लगी रोक का कंस्ट्रक्शन पर व्यापक असर पड़ा है. बालू की कमी के चलते दो दिन से अधिकतर बिल्डरों के प्रोजेक्ट ठप पड़ गये हैं. रोक अधिक दिन तक लागू रही तो राज्य की ग्रोथ पर भी इसका असर पड़ेगा.
मणिकांत, उपाध्यक्ष, बिल्डर एसोसिएशन ऑफ इंडिया
बालू नहीं मिलने से ईंट का कारोबार भी घट गया है. बालू के लिए लोग संपर्क कर रहे हैं, लेकिन मुझे ही उपलब्ध नहीं हो रहा है. स्टॉक कर रखे कुछ लोग बालू लेकर आते हैं, लेकिन उनकी कीमत दोगुनी तक होती है.
विशाल कुमार, ईंट कारोबारी, दानापुर
क्या है मामला
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने प्रदेश में बालू खनन व उसकी ढुलाई पर रोक लगा दी है. ट्रिब्यूनल ने बिहार को पर्यावरण मामले में बने कानून के उल्लंघन का दोषी पाया है. ट्रिब्यूनल की कोलकाता पीठ के समक्ष अमन कुमार सिंह बनाम बिहार सरकार की याचिका में कहा गया है कि बालू खनन के मामले में बिहार में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट 2010 की धारा 14 का उल्लंघन किया जा रहा है. इस पर 19 जनवरी को सुनवाई हुई और ट्रिब्यूनल ने मुख्य सचिव को नोटिस जारी करते हुए बालू खनन और उसकी ढुलाई पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया. इसके बाद बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने सभी जिलों के डीएम व एसपी को ट्रिब्यूनल के फैसले को कड़ाई से लागू करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी, जिसमें मुख्य सचिव एक्शन टेकेन रिपोर्ट उपलब्ध करायेंगे. हालांकि, राज्य सरकार इस निर्णय को एक पक्षीय मानता है और अगली सुनवाई में अपना पक्ष रखेगा.

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