चित्र प्रदर्शनी पर आयोजित हुई परिचर्चाभारतीय नृत्य कला मंदिर में हुआ आयोजनकई कलाकारों ने लिया हिस्सालाइफ रिपोर्टर पटनाश्रम और श्रमशक्ति समुदाय के समाज के सबसे निचले पायदान पर जी रहे लोगों की जीवन स्थिति को कला का विषय बनाने की जरूरत है. यह बात वरिष्ठ कवि आलोक धन्वा ने कही. भारतीय नृत्य कला मंदिर में वरीय चित्रकार डॉक्टर मंजू प्रसाद की एकल चित्र प्रदर्शनी के आयोजन के अंतिम दिन आयोजित एक परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा कि कला को आम लोगों में ले जाना होगा. इस मौके पर अपने चित्रों को साझा करते हुए मंजू प्रसाद ने कला के कई विषय संदर्भ को लेकर विविध पहलूओं की चर्चा की. उन्होंने कहा कि आज के चित्रकार मानवीय समाज में आ रही क्रूरता से लेकर कई सामाजिक विषयों को उठाने का साहस दिखा रहे हैं. कला क्षेत्र में भी हो सकता है बेहतर भविष्यइस परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए कला समीक्षक और चित्रकार शिल्पी रवींद्र ने चित्रकला के एतिहासिक संदर्भों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पर्यावरण, प्रदूषण और मानवीय त्रासदियों को आज की कला का विषय बनाया जाना स्वागत योग्य है. वहीं शिल्पकार सन्यासी रेड ने मंजू प्रसाद की कलाकृतियों को समकालीन सामाजिक जटिलताओं की जीवंत अभिव्यक्ति बताया. पीयू के पूर्व एचओडी व इतिहासकार डॉक्टर भारती एस कुमार ने कला में प्रतिरोध के स्वर को महत्व देने पर जोर दिया.कलाकार दे वास्तविक सत्य की अभिव्यक्तिइस परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए संस्कृतिकर्मी अनिल अंशुमन ने बाजार संस्कृति द्वारा कला की सभी विद्याओं में सृजन की मौलिकता नष्ट करने की जारी प्रक्रिया की चर्चा की. इस परिचर्चा का संचालन करते हुए पटना कला महाविद्यालय की प्रोफेसर राखी कुमारी ने डॉक्टर मंजू प्रसाद के चित्रों को समकालीन संदर्भों की बेहतर प्रस्तुति बताया. इस आयोजन में आधी जमीन पत्रिका की मधु, चित्रकार मृदुला, दिनेश कुमार, किसान नेता शिवसागर शर्मा समेत कई लोगों ने संबोधित किया. साथ ही इस तरह की कला प्रदर्शनियों को स्कूलों तक ले जाने का प्रस्ताव लिया गया. इस आयोजन में कई युवा कलाकरों ने हिस्सा लिया.
चत्रि प्रदर्शनी पर आयोजित हुई परिचर्चा
चित्र प्रदर्शनी पर आयोजित हुई परिचर्चाभारतीय नृत्य कला मंदिर में हुआ आयोजनकई कलाकारों ने लिया हिस्सालाइफ रिपोर्टर पटनाश्रम और श्रमशक्ति समुदाय के समाज के सबसे निचले पायदान पर जी रहे लोगों की जीवन स्थिति को कला का विषय बनाने की जरूरत है. यह बात वरिष्ठ कवि आलोक धन्वा ने कही. भारतीय नृत्य कला मंदिर में […]
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