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फर्जी दस्तावेज पर बन रहे पासपोर्ट

बड़ा मामला. पकड़े गये बांग्लादेशी अब्दुल मन्नान से पूछताछ से हुआ खुलासा पटना : बांग्लादेश के लोग पटना से पासपोर्ट बनवा रहे हैं. इसके पीछे इंटर स्टेट गैंग सक्रिय है, जिसके तार बिहार के नवादा, बिहारशरीफ, पटना के साथ कोलकाता व बांग्लादेश तक जुड़े हुए हैं. फर्जी दस्तावेज के आधार पर पासपोर्ट बनवाने का यह […]

बड़ा मामला. पकड़े गये बांग्लादेशी अब्दुल मन्नान से पूछताछ से हुआ खुलासा
पटना : बांग्लादेश के लोग पटना से पासपोर्ट बनवा रहे हैं. इसके पीछे इंटर स्टेट गैंग सक्रिय है, जिसके तार बिहार के नवादा, बिहारशरीफ, पटना के साथ कोलकाता व बांग्लादेश तक जुड़े हुए हैं.
फर्जी दस्तावेज के आधार पर पासपोर्ट बनवाने का यह सनसनीखेज खुलासा उस समय हुआ, जब आशियाना-दीघा रोड में पासपोर्ट के लिए आवेदन देने पहुंचे बांग्लादेश के नावागांव जिले के अतरई थाने के कालोपरा परसेन का रहनेवाले अब्दुल मन्नान को पकड़ा गया. उसके पास से नवादा के तकिया पर नवादा, गोंदापुर नवादा के पते का एक आधार कार्ड और उसी पते का कॉरपोरेशन बैंक का एक पासबुक व स्वामी विवेकानंद सेकेंडरी एंड सीनियर सेेकेंडरी ओपन एजुकेशन दिल्ली का दसवीं पास सर्टिफिकेट व मार्कशीट बरामद किये गये हैं. सर्टिफकेट के अनुसार वह दसवीं प्रथम श्रेणी में पास है. इसके साथ ही उसके पास से एक पासपोर्ट बरामद किया गया है, जो बांग्लादेश के पते का बना हुआ है. यह पासपोर्ट 2020 तक वैलिड है.
दरअसल अब्दुल मन्नान पासपोर्ट कार्यालय में गुरुवार को जब पहुंचा था, तो उसकी गतिविधि संदिग्ध लगी. ऐसे में उसे पकड़ लिया गया और आइबी के हवाले कर दिया गया. आइबी ने पूछताछ करने के बाद अब्दुल मन्नान को शुक्रवार को पटना पुलिस के हवाले कर दिया. शास्त्रीनगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पूछताछ जारी है, एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि पकड़े गये मन्नान ने काफी अहम जानकारियां पुलिस को दी हैं. उसके बयान का सत्यापन कराया जा रहा है.
अब्दुल मन्नान ने पूछताछ में बताया कि बांग्लादेश के लोगों को पटना से पासपोर्ट बनवाने के लिए एक गिरोह काम कर रहा है, जिसका सरगना नवादा का नूर मोहम्मद है. उसने कोलकाता में नूर मोहम्मद के परिचित से बात की थी और उसने 30 हजार में पासपोर्ट बनवाने की बात कही. उसने नूर मोहम्मद से बात करायी. फिर एडवांस में 20 हजार रुपये दिये गये.
उसे एक माह पहले दिसंबर में पटना बुलाया गया था और आधार कार्ड बनवाने के लिए फिंगर प्रिंट लिये गये थे.बाकी के 10 हजार लेकर दोबारा पटना बुलाया गया. वह बांग्लादेश से सड़क के माध्यम से हरदासपुर पहुंचा और वहां से कोलकाता आया. उसने हुगली में एक सिम कार्ड लिया और फिर वहां से पटना आया. बिहारशरीफ में उसे नूर मोहम्मद ने आधार कार्ड, बैंक पासबुक व सर्टिफिकेट दिये. इसके बाद वह पासपोर्ट कार्यालय पहुंचा और वहां पकड़ा गया.
अब्दुल मन्नान को हिंदी व अंगरेजी नहीं आती है. अगर उसने हिंदी या अंगरेजी में पासपोर्ट कार्यालय में बात कर ली होती, तो संभवत: वह बच निकलता. उसके बोलचाल के बाद ही वह संदिग्ध बन गया और फिर उसे पकड़ लिया गया. अगर वह बच निकलता, तो आसानी से उसके पासपोर्ट बन जाते. क्योंकि, पासपोर्ट विभाग अपने अनुसार जांच करने के बाद उसे पुलिस के पास भेज देती और पुलिस भी उसके आवासीय पते पर सत्यापन कर सही करार देती.
पासपोर्ट बनवाने के लिए दिये गये शैक्षणिक दस्तावेज की जांच नहीं होती है और इसी में वह बच निकलता. पासपोर्ट बनाने की जो प्रक्रिया है और उसके लिए जिस तरह से दस्तावेज आसानी से बन रहे हैं, उससे सवाल उठने लगे हैं. यह पुलिस के लिए अनुसंधान का विषय है. जबकि, आम आदमी को ये दस्तावेज बनवाने में पसीने छूट जाते हैं.

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