पटना: विधायकों के आपराधिक रिकार्ड पर भारत निर्वाचन आयोग की पैनी नजर है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आयोग ने इस तरह की पहल की है. हाल ही में चारा घोटाला में कोर्ट के फैसले के बाद राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और जदयू सांसद जगदीश शर्मा की लोकसभा सदस्यता समाप्त हो चुकी है. राज्य में कई ऐसे विधायक हैं, जिन पर गंभीर आरोप है. हालांकि अदालत द्वारा उनके खिलाफ अभी तक निर्णय नहीं दिया गया है. अगर वैसे विधायकों के खिलाफ निर्णय आता है, तो आयोग आगे की कार्रवाई करने की पहल करेगा.
इस परिपेक्ष्य में आयोग का कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है. पहली बार आयोग ने स्वत: पहल करते हुए विधायक व सांसदों को मिली सजा का रिकॉर्ड मंगाने की पहल की है.
पूर्व में ऐसे जनप्रतिनिधयों के बारे में चुनावी शपथपत्र के माध्यम से ही किसी तरह की जानकारी मिलती थी. निर्वाचन विभाग के सूत्रों का कहना है कि आयोग ने समय सीमा का निर्धारण करते हुए अब सजायाफ्ता विधायकों की सूचना हर माह आयोग में उपलब्ध कराने का दायित्व सौंपा है. आयोग के आदेश के आलोक में राज्य निर्वाचन विभाग ने राज्य सरकार को पत्र भेजा है. गृह विभाग को निर्देश दिया गया है कि वह जनप्रतिनिधियों के खिलाफ अदालतों द्वारा दिये गये आपरधिक निर्णय को संगृहित कर हर माह उपलब्ध कराये. इसकी सूचना सभी जिलों को भी भेज दी गयी है.