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विभाग सिंचाई योजनाओं के लिए लीज पर लेगा भूमि

पटना : भू-अर्जन न होने से अटकी सिंचाई की छोटी -बड़ी योजनाओं का काम शुरु होने में अब दिक्कत नहीं होगी. जो भू-स्वामी भूमि आधिग्रहण के तहत अपनी जमीन देने को तैयार नहीं होंगे, विभाग उनकी जमीन अब लीज पर लेगा. राजस्व एवं भूमि सुधार और जल संसाधन विभाग ने मिल कर सिंचाई योजनांओं के […]

पटना : भू-अर्जन न होने से अटकी सिंचाई की छोटी -बड़ी योजनाओं का काम शुरु होने में अब दिक्कत नहीं होगी. जो भू-स्वामी भूमि आधिग्रहण के तहत अपनी जमीन देने को तैयार नहीं होंगे, विभाग उनकी जमीन अब लीज पर लेगा. राजस्व एवं भूमि सुधार और जल संसाधन विभाग ने मिल कर सिंचाई योजनांओं के लिए लीज पर लोगों की जमीन लेने के लिए नई नीति बनायी है.
प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बावजूद बिहार में सिंचाई को छोटी-बड़ी 67 सिंचाई योजनाएं महज भूमि अधिग्रहण संबंधी संकट को ले कर पिछले तीन वर्षों से जमीन पर नहीं उतर पायी है.
जल संसाधन और राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने भू-अर्जन में एकरुपता बनाये रखने व पर्यवेक्षण का जिम्मा ‘आद्री’ को सौंपा है.
सिंचाई योजनाअों के लिए भूमि अधिग्रहण की समस्या को ले कर जल संसाधन विभाग को काफी परेशानियों के सामना करना पड़ रहा है. जमुई, शेखपुरा, नालंदा, वैशाली. मुजफ्फरपुर, गया, सीवान, छपरा, कैमूर, जहानाबाद और मधुबनी में 2012-13 में 67 सिंचाई योजनाओं की प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी.
67 सिंचाई योजनाओं पर विभाग 20. 79 करोड़ रुपये खर्च करता, किंतु भूमि अधिग्रहण के मोरचे पर सफलता नहीं मिलने के कारण किसी योजना का काम शुरु नहीं हो पाया.
कई भू-स्वामियों ने तो को़र्ट में केस भी कर रखा है. तीन वर्षों से सिंचाई योजना का कोई काम न होने के कारण उसकी लागत में भी 40 से 45 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है.
लीज-नीति के तहत लोगों से 10 से 15 वर्षों तक के लिए लीज पर जमीन ली जायेगी. 15 वर्ष बाद जमीन-लीज की अवधि विस्तार के लिए पुन: भू-स्वामियों के साथ विभाग एकरारनामा करेगा.

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