पटना: केंद्र सरकार पिछड़े राज्यों को मुख्यधारा में लाने के लिए मौजूदा मानकों में बदलाव के लिए राजी हो गयी, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछड़े राज्यों के अगुआ बन उभरेंगे. पैमाना बदलने का लाभ सिर्फ बिहार को ही नहीं, बल्कि ओड़िशा, राजस्थान व झारखंड जैसे राज्यों को भी मिलेगा. वे भी विशेष राज्य का दर्जा हासिल कर पायेंगे.
राज्यों के बीच अब तक भाषा और भूगोल जैसे संवेदनशील मसलों पर गोलबंदी होती रही है. लेकिन, पहली बार आर्थिक मुद्दों को लेकर बिहार ने पिछड़े राज्यों की अगुवाई की और केंद्र सरकार विशेष राज्य के लिए वर्तमान फॉर्मूले को बदलने को सहमत हुई है. मुख्य आर्थिक सलाहकार की अध्यक्षतावाली विशेष कमेटी की पहली बैठक शीघ्र होनेवाली है. 60 दिनों में रिपोर्ट मिल जाने के बाद केंद्र को निर्णय लेने का आधार मिल जायेगा.
केंद्र ने खारिज कर दी थी मांग
जानकारों की राय में केंद्र जब भी इस संबंध में निर्णय करे, रिपोर्ट के रूप में एक व्यापक आधार तो तैयार हो ही जायेगा. लोकसभा चुनाव में अभी एक साल की देर है. दो महीने में रिपोर्ट मिलने के बाद भी निर्णय लेने के लिए केंद्र के समक्ष काफी वक्त होगा. बिहार ने इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ी है. मानक बदलने की लड़ाई लड़ना बिहार के लिए इतना आसान नहीं था.
अप्रैल,2012 में जब योजना आयोग की सदस्य सचिव सुधा पिल्लई ने मौजूदा मानकों के आधार पर बिहार की मांग को खारिज कर दिया था, तो उस समय केंद्र के खिलाफ आम लोगों में भी गुस्से की झलक दिखने लगी थी. बिहार की मांग खारिज कर दी गयी और इसकी भनक तक सरकार को नहीं लग पायी. कुछ दिन बीते तो जदयू सांसद एनके सिंह ने सूचना के अधिकार के तहत आवेदन किया और तब पता चला कि केंद्र ने बिहार की इस मांग को खारिज कर दिया है. सवा करोड़ लोगों के हस्ताक्षर जुटाये गये थे. इसके बाद ही अंतरमंत्रलयी समूह गठित हुआ था.
प्रभात खबर ने भी चलाया था हस्ताक्षर अभियान
बिहारी उप निवेशवाद को आम लोगों की भावनाओं से जोड़ने की मुहिम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कभी ब्रेक नहीं लगाया. प्रभात खबर ने भी इस अभियान को गति दिया. 11 मार्च, 2011 को हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की गयी. स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहला हस्ताक्षर किया और हस्ताक्षर रथ को राज्य भर के लिए रवाना किया. इसके बाद सरकार की ओर से चार नवंबर की गांधी मैदान की अधिकार रैली में मुख्यमंत्री ने पिछड़े राज्यों को भी इस मुहिम में साथ लेकर चलने का संकेत दिया था. दिल्ली की रैली में इस बात की आधिकारिक रूप से घोषणा की गयी.