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सिंगल टेंडर में फंसीं दवाएं
पटना : राज्य के अस्पतालों में मरीजों को दवाएं नहीं मिल रही हैं. दवाओं की खरीद की जिम्मेवारी बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम (बीएमएसआइसीएल) को दी गयी है. दवाओं की आवश्यकता को पूरा करने के लिए तीन-तीन सक्षम प्राधिकार भी निर्णय नहीं ले पा रहे हैं. प्रस्ताव एक के पास से दूसरे जगह […]
पटना : राज्य के अस्पतालों में मरीजों को दवाएं नहीं मिल रही हैं. दवाओं की खरीद की जिम्मेवारी बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम (बीएमएसआइसीएल) को दी गयी है.
दवाओं की आवश्यकता को पूरा करने के लिए तीन-तीन सक्षम प्राधिकार भी निर्णय नहीं ले पा रहे हैं. प्रस्ताव एक के पास से दूसरे जगह जा रहा है. निर्णय नहीं हो रहा है.
नीतिगत निर्णय नहीं लिये जाने के कारण अस्पतालों के लिए खरीदी जानेवाली दवाओं व उपकरणों का टेंडर की गयी 28 प्रकार की दवाएं व 25 प्रकार के सर्जिकल उपकरण खरीदे नहीं जा रहे हैं. इसी तरह से अन्य टेंडर जिसके तहत 235 दवाएं और 170 सर्जिकल उपरणों की खरीद की जानी है.इसकी खरीद नहीं हो रही है.
सूत्रों का कहना है कि यह मामला उन दवा और उपकरणों के लेकर फंसा है, जिनका टेक्निकल बिड के बाद सिंगल टेंडर बच गया है. तकनीकी बिड में तो कई टेंडर आये थे, जबकि तकनीकी बिड में मात्र एक ही एजेंसी सही पायी गयी है.
अब यह निर्णय लेना है कि जो सिंगल टेंडर है, उसे स्वीकृत किया जाये या अस्वीकृत किया जाये. जब तक यह निर्णय नहीं हो जाता है तब तक अन्य टेंडरों का जारी नहीं किया जा सकता है. अगर जारी किया जाता है तो कानूनी अड़चन आ सकती है.
निगम ने इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग से टेंडर को जारी करने के लिए मार्गदर्शन का प्रस्ताव भेजा था. स्वास्थ्य विभाग ने इस प्रस्ताव को वित्त विभाग के पास भेजकर निर्णय की मांग की. वित्त विभाग ने अपना गोलपटोल प्रस्ताव पर मंतव्य देते हुए कहा कि बिहार वित्त संशोधन नियमावली 2005 में निगम के पास निर्णय लेने का अधिकार है.
अब तीन प्रशासी संस्थाओं के चक्कर में निर्णय ही नहीं हो रहा है कि टेंडर जारी किया जाये या नहीं. इस चक्कर में बीएमएसआइसीएल द्वारा टेंडर ही जारी नहीं किया जा रहा है.
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