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प्रधान सचिव, नगर आयुक्त व डीसीएलआर हाजिर हों

पटना : पटना हाइकोर्ट ने पटना जंकशन के सामने 1998 के पहले बसे अशोक नगर मार्केट के दुकानदारों को पुनर्वासित करने के लंबित मामले में कड़ी नाराजगी व्यक्त की है. कोर्ट ने बुधवार को नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा, नगर आयुक्त जय सिंह और डीसीएलआर कुमार मिथिलेश प्रसाद सिंह को हाजिर […]

पटना : पटना हाइकोर्ट ने पटना जंकशन के सामने 1998 के पहले बसे अशोक नगर मार्केट के दुकानदारों को पुनर्वासित करने के लंबित मामले में कड़ी नाराजगी व्यक्त की है. कोर्ट ने बुधवार को नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा, नगर आयुक्त जय सिंह और डीसीएलआर कुमार मिथिलेश प्रसाद सिंह को हाजिर होने को कहा है. हाइकोर्ट ने अशोक नगर मार्केट की सभी दुकानों को हटाने के सरकार के फैसले को अवैध करार दिया था.
कोर्ट के दो सदस्यीय खंडपीठ ने 1998 में सरकार को सभी पीड़ित दुकानदारों को जगह उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. लेकिन, 17 साल बाद भी दुकानदारों को जगह नहीं मिल पायी है. इस संबंध में प्रदीप कुमार सिंह एवं अन्य की ओर से दायर लोकहित याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश नवनीति प्रसाद सिंह और न्यायाधीश नीलू अग्रवाल के खंडपीठ ने सरकार और नगर निगम काे कड़ी फटकार लगायी.
हाइकोर्ट ने जब देरी का जवाब मांगा, तो सरकार के वकील ने कहा कि पर्ल सिनेमा के पीछे वाली जमीन दुकानदारों को दी जायेगी. लेकिन, यह जमीन नगर निगम की है, इसलिए अड़चन आ रहा है. इस पर नगर निगम के वकील ने कहा कि नहीं, यह जमीन राज्य सरकार की है.
सरकार यदि नगर निगम को यह जमीन उपलब्ध कराती है, तो निगम सभी प्रभावितों को जगह उपलब्ध करा देगा. इस पर कोर्ट ने कहा कि सरकार और निगम में एकमत नहीं है. नाराज कोर्ट ने नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव, नगर अायुक्त और डीसीएलआर को हाजिर होने तथा इस मामले में अब तक की प्रगति रिपोर्ट और संबंधित जमीन के मालिकाना हक को लेकर जवाब देने को कहा है.
यह है मामला
गौरतलब है कि पटना जंकशन के सामने जहां पर मल्टी स्टाेरी पार्किंग बनी है, वहां बसे अशोक नगर मार्केट को तोड़ दिया गया था. सरकार के इस फैसले के खिलाफ पीड़ित दुकानदारों ने पटना हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. कोर्ट ने सरकार के फैसले को अवैध मानते हुए जल्द ही पीड़ित दुकानदारों को कहीं और जगह देने का निर्देश दिया था. लेकिन, 17 वर्षों के बाद भी मामला लंबित हैं.
1998 में दिया था निर्देश
कोर्ट के दो सदस्यीय खंडपीठ ने 1998 में सरकार को सभी पीड़ित दुकानदारों को जगह उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. लेकिन, 17 साल बाद भी दुकानदारों को जगह नहीं मिल पायी है.

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