पटना: कमरे की खिड़कियां बंद हैं. अंधेरे में बच्चे पढ़ रहे हैं. मास्टर जी तो ब्लैकबोर्ड पर दरवाजे से आ रही रोशनी की मदद से लिख ले रहे हैं, लेकिन बच्चों को साफ -साफ दिखाई नहीं दे रही है. यह हाल है राजकीय कन्या मध्य विद्यालय, सैदपुर का जहां बिजली नहीं है. कमरे में खिड़कियां तो हैं, लेकिन कैंपस में कचरे का अंबार लगा है. बदबू इतनी कि खिड़कियों को बंद कर दिया गया है. अंधेरे में पढ़नेवाले छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी ङोलनी पड़ रही है.
मात्र चार कमरों में पढ़ाई
स्कूल में 250 से अधिक छात्र- छात्रएं पढ़ाई करते हैं. विद्यालय में कमरे छह हैं, लेकिन पढ़ाई मात्र पांच में होती है. कमरों की कमी से बच्चों को बरामदे में बैठ कर पढ़ाई करनी पड़ रही है.
शौचालय न के बराबर
विद्यालय में दो शौचालय हैं. इसमें किसी भी शौचालय की स्थिति ठीक नहीं है. न तो दरवाजे सही है और न ही अंदर की स्थिति. साथ ही जाने के रास्ते में भी जंगल व कचरे का अंबार होने से कीड़े-मकोड़े का भय बना रहता है. बाउंड्री टूटे होने से कैंपस के अंदर शरारती तत्वों का प्रवेश है, जिससे विद्यालय में टूट -फूट का काम अक्सर होता रहता है. कभी दरवाजे की कुंडी तोड़ देते हैं, तो कभी टेबुल व कुरसी. भवन में किसी तरह की मरम्मत नहीं हो रही है.