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विकास के रास्ते पर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पीयू

विकास के रास्ते पर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पीयू इयर इंडर 2015 – पूरे साल डेवलपमेंट के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ – पुरानी सारी योजनाएं जस की तस, नईं योजनाएं और मास्टर प्लान भी एक कदम नहीं बढ़ा आगे- फाइलें तो बढ़ती हैं लेकिन कुलपति के टेबल पर जाकर अटक जाती […]

विकास के रास्ते पर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पीयू इयर इंडर 2015 – पूरे साल डेवलपमेंट के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ – पुरानी सारी योजनाएं जस की तस, नईं योजनाएं और मास्टर प्लान भी एक कदम नहीं बढ़ा आगे- फाइलें तो बढ़ती हैं लेकिन कुलपति के टेबल पर जाकर अटक जाती हैं अमित कुमार , पटना पूरा साल ऐसे ही बीत गया लेकिन पटना विश्वविद्यालय विकास के रास्ते पर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया. साल भर पहले जहां थे विवि आज भी वहीं खड़ा है. पुरानी सारी योजनाएं जस की तस हैं वहीं नई योजनाएं और मास्टर प्लान एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा. कंप्यूटराजेशन और तकनीकी रूप से भी पीयू अन्य दूसरे विवि से काफी पीछे ही है. ऐसा लगता है जैसे विवि के काम करने की गति पूरी तरह से ठहर सी गई है. डेवलपमेंट के लिए तो फाइलें तो बढ़ती हैं लेकिन कुलपति के टेबल पर जाकर अटक जाती हैं. रूटीन कार्यों को छोड़ दें तो विवि में एक ईंट भी कहीं नई नहीं लगी है. ना ही विवि में इसको लेकर किसी को चिंता ही है. विवादों के साथ हुई साल की शुरुआत पीयू में साल की शुरुआत ही विवादों के साथ हुई. पीयू में वीसी आवास के माली ने आत्म हत्या कर ली. इसके बाद उसे दिया गया मुआवजे का 25 लाख का चेक फिर पीयू के द्वारा वापस ले लिया गया. इसको लेकर खूब विवाद हुआ. लेकिन समय के साथ यह मामला भी ठंडा हो गया. आज भी माली की पत्नी पीयू में नौकरी के लिए दर दर की ठोकरें खा रही है. इसके बाद सीनेट की बैठक हुई. कई योजनाएं प्रस्तावित हुईं. ऐसा लगा कि अब शायद विकास की गाड़ी कुछ बढ़ेगी लेकिन पूरा साल बीत गया लेकिन पीयू में कुछ भी नहीं हुआ. हड़ताल, धरना-प्रदर्शन व हंगामा बनी नियतिपटना विवि में धरना-प्रदर्शन व हंगामा वहां की नियती बन गई है. काम नहीं होने, सुविधाएं नहीं मिलने और कुलपति से नाराजगी की वजह से छात्र तो पूरे साल हंगामा प्रदर्शन करते ही रहे, कर्मचारियों की भी अच्धी खासी नाराजगी कुलपति को झेलनी पड़ी. कर्मचारी अपनी मांग को लेकर दो बार हड़ताल पर गये इसमें करीब दो महीना बर्बाद हुआ. इस वजह से पीयू के एकेडमिक कैलेंडर जो पटरी पर था उस पर भी प्रभाव पड़ गया. छात्रों का सिलेबस पीछे है फिर छात्र परीक्षा देने को मजबूर हैं. हंगामें और हड़ताल की वजह से कुलपति भी कार्यालय आना छोड़ दिये. तीन-चार महीने से कुलपति आवास से ही विवि चला रहे हैं. सारी बैठकें वहीं हो रही हैं. बीच सत्र में लागू किया गया सिलेबस बना मुसीबत पीयू में बीच सत्र में ही नया सिलेबस लागू कर दिया गया जो विवि के लिए मुसीबत बन गया. नया सिलेबस ना छात्रों के पास पहुंचा और ना ही शिक्षकों के पास. वहीं इसको लेकर कंफ्यूजन था सो अलग. जो बदलाव हुए उसे समझे बगैर ही शिक्षकों को नया सिलेबस पढ़ाने की मजबूरी हो गई. स्थिति यह हो गई कि बाद में बैठक कर कुलपति को स्वंय कहना पड़ा कि ऐसा प्रश्न पूछे जाएं जिससे छात्रों को परेशानी ना हो. सालों बाद हटे अतिक्रमण पीयू में अगर इस साल कुछ साकारात्मक हुआ तो वह यह कि कोर्ट के आदेश पर विवि कैंपस को अतिक्रमण से मुक्त करा लिया गया. कुछ जगहों को छोड़कर लगभग सारे जगहों से अतिक्रमण हटा दिया गये. इसके अतिरिक्त वर्षों बाद हॉस्टलों को भी अवैध छात्रों से मुक्ति मिल गई. सभी हॉस्टलों को सील किया गया और फिर से अावंटित किया गया. हालांकि इस कार्य में ज्यादातर भूमिका कोर्ट और जिल प्रशासन की ही रही. तकनीकी रूप से भी पीछे है पीयू विवि को वाइफाइ करने, विभागों को कंप्यूटर नेटवर्क आदि से जोड़ने, ई-लाइब्रेरी को बनवाने समेत तकनीकी रूप से भी विवि में कोई बहुत विकास देखने को नहीं मिला. इसके लिए विवि में कई बार बैठकें हुई लेकिन तकनीकी रूप से सुदृढ़ करने के लिए कई तकनीकी पेच हैं जिसे विवि ना तो सुलझाना चाहता है और ना ही किसी को इसकी चिंता ही है. सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं पीयू में छात्र सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. छात्रों के लिए शौचालय और पीने की पानी तक की व्यवस्था भी विवि में नहीं है और इसके लिए इस वर्ष भी छात्र इंतजार करते ही रह गये. लाइब्रेरी और प्रयोगशालाएं भी वैसे की वैसे हैं. शिक्षक की कमी तो पहले से है ही. वहीं छात्रों के सुरक्षा के नाम पर भी पीयू में कुछ भी नहीं है. वहीं कुलपति की सुरक्षा पर प्रति महीने अभी भी लाखों रूपये खर्च होते हैं. विकास योजनाएं जस की तस, ठेकेदारों को अब तक नहीं हुआ पेमेंट विकास के सारे काम जहां थे वहीं पर आज भी हैं. ठेकेदारों के फाइल इस नाम पर रोक दिये गये कि ये सारे काम पूर्व कुलपतियों ने कराये थे और सबकी जांच करनी होगी. जांच के नाम पर कमेटी बनी पर वह भी नाम की है और फाइल जहां थी वहीं है. इसका निष्कर्ष निकालने को कोई विवि में तैयार नहीं है. विवि में यूजीसी का करीब सवा करोड़ से अधिक रुपये मार्च में यूजीसी को वापस करना पड़ा. इसकी चिंता भी किसी को नहीं है. सारे पुराने भवन वैसे ही जर्जर हैं और नये भवनों का निर्माण रुका है. पीयू को केंद्रीय विवि का दर्जा और नैक मान्यता दिलाने की दिशा में भी पूरे साल कोई भी ठोस कदम नहीं उठाये गये. साफ-सफाई के लिए बनायी गयी कमेटी पर भी विवाद हुआ और विवि में साफ-सफाई में कोई खास अंतर देखने को नहीं मिला. नहीं ही कहीं फूल पत्ति ही लगाये गये. सिर्फ वीसी आवास में और उसके आसपास ही सफाई देखने को मिली. उपलब्धियां – पीयू के अतिक्रमण मुक्त कराया गया – नया मास्टर प्लान के लिए सीनेट में रखा गया प्रस्ताव – वोकेशनल कोर्स के लिए विभाग बनाये जाने का प्रस्ताव सीनेट में पारित – बीएड-एमएड के नये रेगूलेशन, आॅर्डिनेंस व सिलेबस को स्वीकृति – बीएड में नामांकन प्रक्रिया शुरू – एकेडमिक व उपस्थिति में सुधार – एजुकेशनल इंफ्रास्ट्रचर डेपलपमेंट कॉरपोरेशन के द्वारा हॉस्टलों की मरम्मती कार्य शुरू – जयंती और कार्यक्रमों का हुआ आयोजन नाकामी – सारी योजनाए जस की तस – विवादों और हड़ताल में ही बीता साल – कर्मचारियों की मांगों को नहीं किया गया पूरा – शिक्षकों को भी नहीं मिला प्रमोशन – वाई-फाई नहीं हुआ कैंपस – छात्रों को मूलभूत सुविधाएं नहीं – प्रयोगशाला और लाइब्रेरी भी जस की तस – कंवोकेशन नहीं कराया जा सका, छात्रों को नहीं मिली डिग्री उम्मीदें – सीबीसीएस व ग्रेडिंग सिस्टम होंगे लागू – नये सिलेबस से नियमित होगी पढ़ाई – नैक की मान्यता के लिए होंगे सार्थक प्रयास – पीयू के सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने के लिए होगी ठोस पहल – छात्र संघ का चुनाव कराकर कैंपस में लोकतंत्र की स्थापना – पुरानी योजनाएं और अर्धनिर्मित भवनों के कार्यों को कराया जायेगा पूरा – छात्रों के लिए मूलभूत सुविधाओं और सुरक्षा का होगा इंतजाम – मास्टर प्लान पर होगा काम – वाणिज्या कॉलेज, वोकेशनल कोर्स और पीजी विभागों के लिए बनेंगे भवन – परीक्षा हॉल और सभागारों का होगा निर्माण – कैंपस प्लेसमेंट की होगी व्यस्था – कैंपस होगा वाई-फाई

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