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स्टोरी : फाइलों में ही वेंडिंग जोन, जमीं पर कब बनेगा पता नहीं

स्टाेरी : फाइलों में ही वेंडिंग जोन, जमीं पर कब बनेगा पता नहीं – दारोगा राय पथ पर भी नहीं बन सका वेंडिंग जोन, पथ निर्माण विभाग ने नहीं दी स्वीकृति – पहले चरण में करीब 600 फुटपाथी दुकानदारों का करना है शिफ्टसंवाददाता, पटना नगर निगम योजना तो बना लेता है, लेकिन वह फाइलों से […]

स्टाेरी : फाइलों में ही वेंडिंग जोन, जमीं पर कब बनेगा पता नहीं – दारोगा राय पथ पर भी नहीं बन सका वेंडिंग जोन, पथ निर्माण विभाग ने नहीं दी स्वीकृति – पहले चरण में करीब 600 फुटपाथी दुकानदारों का करना है शिफ्टसंवाददाता, पटना नगर निगम योजना तो बना लेता है, लेकिन वह फाइलों से निकल नहीं पाती है. कुछ ऐसा ही हाल है नगर निगम के वेंडिंग जोन का. इसके लिए दारोगा राय पथ में जमीन भी चिह्नित कर ली गयी, किंतु पथ निर्माण विभाग ने इसकी स्वीकृति नहीं दी. इसकी वजह से यह योजना फिर से फाइलों में ही दब गयी और दो माह में एक कदम आगे नहीं चल पायी है.दरअसल निगम क्षेत्र की प्रधान व मुख्य सड़कों के किनारे अतिक्रमणकारियों का कब्जा है. यहां तक कि चयनित पार्किंग में भी अतिक्रमणकारी ही काबिज हैं. इसकी वजह से लोग पार्किंग के बदले सड़कों पर ही लोग वाहन पार्क करते हैं. इससे रोजाना जाम की समस्या होती है. इसी से निजात दिलाने के लिए निगम प्रशासन ने वेंडिंग जोन बनाने की योजना बनायी, ताकि अतिक्रमणकारियों को वहां शिफ्ट किया जा सके. दारोगा राय पथ में वेंडिंग जोन बना कर बोरिंग कैनाल रोड के फुटपाथी दुकानदारों को शिफ्ट करना था. लेकिन, पथ निर्माण विभाग ने इसकी स्वीकृति नहीं दी. पहले चार क्षेत्र को करना था अतिक्रमण मुक्त निगम प्रशासन ने फुटपाथी दुकानदारों को सड़क से हटा कर वेंडिंग जोन में शिफ्ट करने की योजना तैयार की. इस योजना के तहत पहले चरण में राजधानी के गांधी मैदान के चारों ओर, स्टेशन रोड, बोरिंग कैनाल रोड और बोरिंग रोड में फैले फुटपाथी दुकानदारों को शिफ्ट करना था. इन इलाकों में करीब 600 फुटपाथी दुकानदार हैं. इन दुकानदारों का सर्वे भी कराया गया. इसके तहत कैंप लगा कर दावा आपत्ति लेने की बात की गयी थी, लेकिन अब तक कैंप ही नहीं लगाया गया है.हाइकोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं अतिक्रमणकारियों ने राजधानी के अधिकतर सड़कों पर कब्जा किया है, जिससे रोजाना जाम की समस्या बनती है. इस समस्या को लेकर हाइकोर्ट में भी जनहित याचिका दायर की गयी थी, जिस पर कोर्ट ने दर्जनों बार निगम प्रशासन को फटकार लगायी है. हाइकोर्ट के निर्देश के आलोक में निगम प्रशासन अतिक्रमण हटाने का अभियान भी चलता है, लेकिन अभियान खत्म होते ही अतिक्रमणकारियों की दुकानें सज जाती हैं. अब तक सर्वे कार्य भी पूरा नहीं किया गयानगर आवास विकास विभाग द्वारा नासवी नामक संस्था को राजधानी के फुटपाथी दुकानों को बायोमीटरिक सर्वे का कार्य किया गया था. नासवी ने सर्वे कार्य शुरू भी किया, लेकिन अब तक पूरा नहीं किया जा सका है. इसके साथ ही निगम प्रशासन द्वारा टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन भी करना है, लेकिन कमेटी भी गठित नहीं की जा सकी है. अब नगर आवास विकास विभाग ने नगर आयुक्त को निर्देश दिया है कि 31 दिसंबर तक सर्वे कार्य पूरा कर रिपोर्ट उपलब्ध कराये.

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