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निराला के प्रतीक किताब का विमोचन

निराला के प्रतीक किताब का विमोचनबिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में हुआ कार्यक्रमलाइफ रिपोर्टर पटनाबिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में शनिवार को डॉक्टर राम ललित सिंह द्वारा लिखी गयी समीक्षा पुस्तक निराला के प्रतीक का विमोचन किया गया. इसका विमोचन डॉक्टर चौथी राम यादव ने किया. इस मौके पर कई लेखक और विद्वान उपस्थित हुए. इस कार्यक्रम […]

निराला के प्रतीक किताब का विमोचनबिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में हुआ कार्यक्रमलाइफ रिपोर्टर पटनाबिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में शनिवार को डॉक्टर राम ललित सिंह द्वारा लिखी गयी समीक्षा पुस्तक निराला के प्रतीक का विमोचन किया गया. इसका विमोचन डॉक्टर चौथी राम यादव ने किया. इस मौके पर कई लेखक और विद्वान उपस्थित हुए. इस कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉक्टर अनिल सुलभ ने कहा कि कवि निराला के प्रतीक का साहित्य संसार में स्वागत होगा. उनका साहित्य पुरूष का कौस्तुभ मणि है. अपने विपुल साहित्य और उसकी अभिव्यंजना में निराला ने समाज का समस्त विषपान किया.वहीं पुस्तक लेखक डॉक्टर राम ललित सिंह ने आभार प्रकट करते हुए कहा कि निराला को जिस प्रकार इलाहाबाद की सड़क पर पत्थर तोड़ती मिली थी, उसी प्रकार उनका भी जीवन निराला के प्रति आकर्षक पाया गया. लोकार्पण कर्ता डाॅक्टर चौथी राम यादव ने कहा कि निराला पर बड़े-बड़े लेखकों ने लिखा है. बावजूद उन पर डॉक्टर सिंह ने लिखा है यह शाबासी देने वाला कार्य है. यह पाठक के सामने कवि के काव्य को उजागर करने का प्रयास है. कार्यक्रम में स्वागत आनंद किशोर शास्त्री ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन बालकृष्ण मेहता ने किया. इस मौके पर योगेंद्र प्रसाद मिश्र, पंडित शिवदत्त मिश्र, नेहाल सिंह निर्मल समेत कई और कवि उपस्थित थे.निराला नहीं होते, तो नहीं मिलता साहित्य को पौरुषइस मौके पर आयोजित प्रोग्राम में डॉक्टर शंकर प्रसाद ने निराला के प्रतीकों के बारे में कहा कि यदि कालजयी निराला नहीं होते तो किसी साहित्य को पौरूष नहीं मिलता. वहीं मुख्य अतिथि भाषण में डॉक्टर शैलेश्वर सती ने निराला युग के स्पंदन का अकल अपनी रचना का सृजन किया. यह कृति की महानता है कि वह अपनी बातों को कैसे पाठकों व श्रोताओं के मन में बैठा देता है. कार्यक्रम में मंच संचालन करते हुए डॉक्टर नंद किशोर नंदन ने इस बात पर बल दिया कि निराला रास्ते पर पत्थर तोड़ती हुई महिला को दर्द समझते थे और अपने काव्य में उसका पूरा बिंब रचा था. कार्यक्रम में डॉक्टर अरूण कुमार सिंह, डॉक्टर वीके मंगलम ने भी अपने विचारों को रखा.

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