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सूचना आयोग में 19 मामलों की अब फास्ट ट्रैक सुनवाई
पटना : राज्य सूचना आयोग (एसआइसी) में प्राथमिकता के आधार पर शिकायतों को तवज्जों दी जायेगी और इसी के आधार पर इनका निपटारा किया जायेगा. सूचना आयोग ने ऐसे 19 मामलों की श्रेणी बनाकर इनकी सुनवाई करने के लिए फास्ट ट्रैक व्यवस्था तैयार की है. इस श्रेणी में वैसे मामलों को रखा गया है, जिनकी […]
पटना : राज्य सूचना आयोग (एसआइसी) में प्राथमिकता के आधार पर शिकायतों को तवज्जों दी जायेगी और इसी के आधार पर इनका निपटारा किया जायेगा. सूचना आयोग ने ऐसे 19 मामलों की श्रेणी बनाकर इनकी सुनवाई करने के लिए फास्ट ट्रैक व्यवस्था तैयार की है.
इस श्रेणी में वैसे मामलों को रखा गया है, जिनकी सूचना समय पर नहीं मिलने से संबंधित व्यक्ति को कोई बड़ा नुकसान या क्षति हो सकती है. इसके तहत सुनवाई किये जाने वाले मामलों का निपटारा 30 दिनों के अंदर हो जायेगा. इस श्रेणी में आने वाले मामलों को तमाम क्रमांक या लाइन को तोड़कर प्राथमिकता के आधार पर इनकी सुनवाई होगी.
फास्ट ट्रैक सुनवाई
– एसआइसी के मुख्य सूचना अधिकारी सीधे ऐसे मामलों की सुनवाई करेंगे
– मुख्य सूचना अधिकारी हर सुबह 10:30 से 11 बजे तक सुनवाई करेंगे
– संबंधित विभाग या संस्थान से सूचना मंगवाने या पत्राचार करने के लिए हरे रंग का लिफाफा उपयोग होगा
– सभी लिफाफे पर फास्ट ट्रैक सुनवाई लिखा होगा, जिससे सभी को इसकी प्राथमिकता मालूम हो सके
– सुनवाई के 30 दिनों के अंदर मामले का निबटारा कर दिया जायेगा
– उपयोग होनेवाले कागज का रंग भी हरा ही होगा
फास्ट ट्रैक्ट के तहत मामले
– शैक्षणिक संस्थानों या चयन आयोग या चयन पर्षद से जुड़े वैसे मामले, जिसमें 30 दिन के अंदर सूचना नहीं मिलने से नियुक्ति या नामांकन प्रभावित होती है – छात्रवृत्ति या सहायता अनुदान के मामले
– गंभीर बीमारी के इलाज के लिए राज्य सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता या अनुदान
– विकलांगता या बीमारी या आपराधिक मामलों की जांच के बाद प्रमाणपत्र – बीपीएल, इंदिरा आवास, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, कन्या विवाह योजना के तहत अनुदान – पासपोर्ट जारी से संबंधित पुलिस जांच रिपोर्ट जमा करने
– अनुकंपा पर सरकारी नौकरी – सेवांत लाभों के भुगतान में देरी करने से जुड़े मामले – सरकारी सेवकों के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही से संबंधित
– सरकारी सेवा से बर्खास्तगी, निलंबन या पदच्युत करने से जुड़ी जानकारी
– सरकारी कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न
– सरकारी सेवकों के एक से अधिक विवाह करने के आरोपों में- सरकारी सेवकों पर दहेज उत्पीड़न या घरेलू हिंसा के आरोपों की जांच में- निजी भूमि पर सरकारी निर्माण कार्य कराने पर
– सरकारी सेवकों के बाल श्रम से जुड़े मामले
– एफआइआर दर्ज करने में पुलिस की तरफ से हाईकोर्ट के निर्देश का पालन नहीं करने में
– मानवाधिकार का उल्लंघन के मामले- लोक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कृत्यों मसलन शराब दुकान खोलना, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों आदि के मामले.
– कोई ऐसा मामला जिसमें सूचना तुरंत नहीं मिलने पर स्वतंत्रता पर खतरा हो
बॉक्स में…..
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