उधर, बदलते रहे डीएम, इधर व्यवस्था में बदलाव का होता रहा इंतजारइयर इंडिंग 2015 : पटना जिला प्रशासनसुमित कुमार, पटना पटना जिला प्रशासन के लिए वर्ष 2015 विकास के इंतजार में ही बीत गया. साल के पहले दस महीने चुनाव की तैयारी से लेकर उसको अंजाम तक पहुंचाने में बीते, वहीं अंतिम दो महीने उसको वापस पटरी पर लाने में लग गये. इस दौरान शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याएं जस की तस बनी रही.विकास योजनाओं पर पड़ा चुनाव का असर जिला प्रशासन दो स्तरों पर काम करता है. पहली विधि व्यवस्था की बहाली और दूसरी विकास योजनाओं को रफ्तार. चुनाव के चलते विधि व्यवस्था फोकस में रहा जबकि आदर्श आचार संहिता व अधिकारियों व कर्मियों की चुनावी व्यस्तता ने विकास योजनाओं पर असर डाला. उचित निगरानी नहीं होने से लोक सेवा का अधिकार कानून, मनरेगा, इंदिरा आवास व राशन किरासन जैसी योजनाएं पिछड़ती नजर आयीं. पिछले छह महीने से मनरेगा मजदूरों का भुगतान लंबित है जबकि 3500 इंदिरा आवास के निर्माण अधूरे रह गये. इसी तरह, राशन-किरासन का बैकलॉग भी कायम रहा. फिलहाल बीस दिन बाद भी सभी पैक्सों में धान खरीद की शुुरुआत नहीं हो सकी है.पार्किंग-अतिक्रमण का नहीं हुआ ठोस इलाजविधि व्यवस्था के स्तर पर बात करें तो पूरे साल शहरवासी ट्रैफिक से लेकर पार्किंग, अतिक्रमण और सार्वजनिक वाहनों की मनमानी से जूझते नजर आये. अंतिम महीनों में इसको लेकर पहल की गयी, जिसके नतीजे भी दिखे. बावजूद पांच साल से लंबित मल्टीलेवल पार्किंग का काम पूरा नहीं हो सका. करोड़ों रुपये खर्च कर गांधी मैदान की बदहाली भी दूर करने की कोशिश हुई. प्राइवेट अस्पताल व स्कूलों की मनमानी पर भी अंकुश नहीं लगाया जा सका. तबादले ने डाला प्रशासनिक सेहत पर असरयही नहीं, इस साल में छह बार डीएम की अदला-बदली ने भी प्रशासनिक सेहत पर असर डाला. शुरुआती आठ महीने तो अभय कुमार सिंह डीएम रहें, लेकिन उसके बाद चार महीने में अब तक छह बार पद की अदला-बदली हुई है. अभय कुमार सिंह के तबादले के बाद डॉ प्रतिमा को डीएम बनाया गया. मगर उनकी तैनाती की अवधि मात्र 24 दिन रही. उनकी जगह संजय कुमार अग्रवाल आये, मगर पंद्रह दिन बाद ही चुनाव आयोग ने फिर उनकी जगह डॉ प्रतिमा की तैनाती कर दी. इसके बाद करीब 65 दिन डॉ प्रतिमा डीएम रहीं. उनके ही नेतृत्व में चुनाव हुआ. मगर चुनाव परिणाम के बाद वापस संजय कुमार अग्रवाल को डीएम बना दिया गया. इस बीच वरीय एडीएम शिवशंकर मिश्रा और सांवर भारती भी क्रमश: तीन दिन व एक दिन के लिए डीएम रहे. उपलब्धियां : – आर ब्लॉक पर जाम की परेशानी खत्म. धरना के लिए नये स्थल का चयन – गांधी मैदान का जीर्णोद्धार, नये गेट व ओपन एयर जिम की व्यवस्था, पर नहीं बने ग्रीन ट्वायलेट्स. – जाम से निजात दिलाने को बेली रोड पर शेखपुरा मोड़ से जगदेव पथ मोड़ तक नये फ्लाइ ओवर का उद्घाटन – तीन साल पुरानी जलालपुर की समस्या दूर कर पाटलिपुत्र स्टेशन के उद्घाटन का रास्ता साफ किया.- बगैर किसी हिंसा कराया सफल चुनाव.नाकामी- बिंद टोली के विवाद में बीता पूरा साल. दीघा-सोनपुर रेल सड़क नहीं हो सका शुरू. – कार्यालयों में कर्मियों की कार्य संस्कृति में अपेक्षित सुधार नहीं. आरटीपीएस सेवाएं देने में जिला फिसड्डी. – बिहटा में आइआइटी की जमीन विवाद का नहीं निकला हल. बार-बार किसानों के आंदोलन से परेशानी- प्रयासों के बावजूद मल्टी लेवल पार्किंग की शुरुआत नहीं. स्टेशन पर ऑटो के लिए स्थायी स्टैंड नहीं. – नहीं खुली कलेक्ट्रियट के नये भवन की फाइल. जर्जर भवन के नीचे ही कर्मी काम करने को मजबूर उम्मीद – फरवरी 2017 में होने वाले श्री गुुरु गोविंद सिंह की 350वीं जयंती को लेकर समय पर कई विकास काम पूरा करने की चुनौती. – एक्जीबिशन रोड, स्टेशन रोड व न्यू मार्केट के फ्लाइ ओवर का शुभारंभ तथा जीपीओ से आर ब्लॉक व यारपुल पुल तक जोड़ने का काम होगा शुरू. – बिंद टोली की समस्या दूर कर दीघा-सोनपुर रेल सह सड़क पुल के चालू होने की उम्मीद. – आर ब्लॉक दीघा रेल लाइन की जगह सड़क की बाधा दूर कर जाम से बचाव के उपाय.- अतिक्रमण दूर करने ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर को नये पार्किंग इंतजाम.
उधर, बदलते रहे डीएम, इधर व्यवस्था में बदलाव का होता रहा इंतजार
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