22.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ह्यआवारा मसीहा की औपन्यासिकताह्ण का विमोचन

‘आवारा मसीहा की औपन्यासिकता’ का विमोचनसमालोचक कलानाथ मिश्र ने लिखी पुस्तकलाइफ रिपोर्टर पटनाहिन्दी साहित्य के मूर्धन्य रचनाकार विष्णु प्रभाकर ने आवारा मसीहा में शरत के जीवन की सच्चाईयों और अपनी कल्पनाशीलता के योग से एक कालजयी कृति का निर्माण किया. प्रस्तुत पुस्तक ‘आवारा मसीहा की औपन्यासिकता’ में कलानाथ मिश्र ने शरत की जीवनी और उपन्यास […]

‘आवारा मसीहा की औपन्यासिकता’ का विमोचनसमालोचक कलानाथ मिश्र ने लिखी पुस्तकलाइफ रिपोर्टर पटनाहिन्दी साहित्य के मूर्धन्य रचनाकार विष्णु प्रभाकर ने आवारा मसीहा में शरत के जीवन की सच्चाईयों और अपनी कल्पनाशीलता के योग से एक कालजयी कृति का निर्माण किया. प्रस्तुत पुस्तक ‘आवारा मसीहा की औपन्यासिकता’ में कलानाथ मिश्र ने शरत की जीवनी और उपन्यास कला के आधार पर आलोचनात्मक दृष्टि से उसकी पड़ताल की है. ये कहना है जााने माने साहित्यकार एवं प्रसिद्ध पुस्तकालय विज्ञानी डॉक्टर रामशोभित प्रसाद सिंह का. श्री सिंह चर्चित कथाकार, समालोचक डाक्टर कलानाथ मिश्र की पुस्तक ‘आवारा मसीहा की औपन्यासिकता’ के विमोचन के अवसर पर अपने विचार रख रहे थे. इस आयोजन में कई और लोगों ने हिस्सा लिया. समारोह की अध्यक्षता डा. रामशोभित प्रसाद सिंह ने की तथा मुख्य अतिथि ए. एन. कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रोफेसर डा. ललन सिंह थे.कहानियों में दिखता है वर्तमान जीवन का यथार्थसाहित्यिक पत्रिका ‘नई धरा’ द्वारा आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए संपादक एवं कवि समालोचक डॉक्टर शिव नारायण ने कहा कि एक ओर जहां कलानाथ मिश्र की कहानियों में वर्तमान जीवन के सामाजिक रिश्तों का यथार्थ दर्शित है वही दूसरी ओर उनका आलोचना कर्म बौद्धिक विवेचन और बारीक विश्लेषण पर आधारित है. वहीं एएन कॉलेज के प्रधानाचार्य ने डॉक्टर ललन सिंह ने कहा कि कलानाथ जी एक शोध प्रत्रिका के संपादन के साथ–साथ कॉलेज पत्रिका के भी कुशल संपादक हैं. अत: इनकी आलोचना दृष्टि सूक्ष्म है. उन्होंने कहा कि शरत चंद्र के उपन्यास में महिला जीवन का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण हुआ है. अत: उनका जीवन तो उपन्यासिक है ही, उपन्यास मन को छूती हैं और जीवन के यथार्थ से परिचित कराती है. जब आवारा मसीहा पढ़ने का अवसर मिला तो जीवनी और उपन्यास के बीच की बारीकियों पर ध्यान गया. जीवनी और उपन्यास रचना के दो अलग अलग शिल्प हैं किन्तु महान रचनाकारों के जीवन के संबंध में साक्ष्य की कमी के कारण रचनाकार अभिष्ट प्रभाव के सृजन के लिए कल्पना का सहारा लेता है और इस प्रकार रचना औपन्यासिक प्रभाव से संपृक्त हो जाता है. कविता का हुआ पाठइस मौके पर करुणा कमल ने राजकुमारी मिश्र की कविता का पाठ किया. इस मौके पर हिन्दी विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डाक्टर बद्री नारायण सिंह, संजय सिंह ने अपने विचारों को रखा. वहीं साहित्यकार निविड़ शिवपुत्र, भावना शेखर, ह्षिकेश पाठक, राजकुमार प्रेमी, कथालेखिका निरूपमा राय, इति माधवी जैसे लेखकों ने ‘आवारा मसीहा की औपन्यासिकता’ की प्रशंसा करते हुए कलानाथ मिश्र के आलोचना कर्म की प्रशंसा की. इस अवसर पर डाक्टर मिश्र के परिवार के सदस्य भी उपस्थित थे. कार्यक्रम के आरंभ में स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग के छात्र अमित मिश्र, शिवनन्दन, सीमा कुमारी अतिथियों का स्वागत किया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें